प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को यूक्रेन की अपनी संक्षिप्त लेकिन ऐतिहासिक यात्रा के दौरान कीव में वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की से मुलाकात की। पीएम मोदी द्वारा यूक्रेनी राष्ट्रपति को गले लगाने से पहले दोनों नेताओं ने हाथ मिलाया। जैसे ही दोनों ने युद्धग्रस्त देश के मार्टिरोलॉजिस्ट प्रदर्शनी का दौरा किया, भारतीय नेता का हाथ ज़ेलेंस्की के कंधे पर मजबूती से रहा – जो यूक्रेन के साथ भारत की एकजुटता का एक प्रतीकात्मक इशारा था।
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पीएम मोदी और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ‘मार्टिरोलॉजिस्ट’ में एक साथ नजर आए। पीएम मोदी ने जब जेलेंस्की को गले से लगाया तो वह बहुत ही गंभीर नजर आ रहे थे। इस दौरान दोनों नेता यूक्रेन नेशनल म्यूजिम पहुंचे, जहां दोनों नेताओं ने रूस और यूक्रेन युद्ध में मारे गए बच्चों को श्रद्धांजलि दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कीव के AV फोमिन बॉटनिकल गार्डन में महात्मा गांधी की कांस्य की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए। इस प्रतिमा को महात्मा गांधी की 151वीं जयंती पर 2020 में स्थापित किया गया था।
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इससे पहले कीव पहुंचने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। उन्होंने कीव पहुंचने पर भारतीयों से मुलाकात की। इस दौरान लोगों ने पीएम मोदी से हाथ मिलाया। इस दौरान पीएम मोदी का स्नेह साफ झलक रहा था। यहां सुबह 6 बजे से बच्चे पहुंच गए थे। कई शहरों में रहने वाले भारतीय छात्र भी यहां आए हुए थे। ये स्टूडेंट्स पीएम मोदी के दौरे से काफी उत्साहित थे।
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1991 में सोवियत संघ से आजादी मिलने के बाद यूक्रेन का दौरा करने वाले नरेंद्र मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं।
दरअसल, पीएम मोदी पिछले महीने 8 जुलाई को रूस पहुंचे थे। उसी दिन रूस ने यूक्रेन पर ताबड़तोड़ हमले किए थे जिनका निशाना बच्चों का एक अस्पताल भी बना था। उस दिन कई बच्चों समेत 39 लोगों की मौत हो गई थी। नाराज जेलेंस्की ने नौ जुलाई 2024 को कहा था कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता का मॉस्को में सबसे बड़े अपराधी को गले लगाना बेहद निराशाजनक है। पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन के सामने बच्चों की मौत का मुद्दा बेझिझक उठाया था।इस बात को क़रीब डेढ़ महीने हो रहे हैं और अब पीएम मोदी यूक्रेन के दौरे पर हैं।
मालूम हो कि कीव और नई दिल्ली के बीच राजनयिक संबंध 30 साल पहले यानी 1994 में स्थापित हुए थे। यह दोनों नेताओं की चौथी मुलाकात है। पहली बार मोदी और जेलेंस्की नवंबर 2021 में स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर में मिले थे। ग्लासगो में उस समय संयुक्त राष्ट्र का COP26 जलवायु सम्मेलन हुआ था। इसी सम्मेलन में दोनों नेताओं की मुलाकात हुई थी। इसके बाद दूसरी मुलाकात मई 2023 में जापान के हिरोशिमा में G7 शिखर सम्मेलन में हुई थी। तीसरी मुलाकात 14 जून 2024 को इटली में आयोजित G7 शिखर सम्मेलन में हुई थी।
रूस के साथ ऐतिहासिक रूप से मैत्रीपूर्ण संबंध होने के बावजूद भारत ने यूक्रेन युद्ध पर तटस्थ रुख बनाए रखा है। युद्ध छिड़ने के बाद, भारत ने यह सुनिश्चित किया कि वह दोनों देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखे। इसमें मॉस्को पर पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद रूस के साथ व्यापार जारी रखना शामिल था। व्यापार ने न केवल रूसी अर्थव्यवस्था को बचाए रखने में मदद की, बल्कि नई दिल्ली के लिए भी फायदेमंद था क्योंकि उन्होंने भारी छूट पर कच्चे तेल का आयात किया। यूक्रेनी मोर्चे पर, भारत ने आवश्यक दवाएं और सहायता प्रदान करके अपनी मदद बढ़ाई।
इस बीच संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने उम्मीद जताई है कि प्रधानमंत्री मोदी की यूक्रेन यात्रा रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को खत्म करने में योगदान देगी।