एम्स दिल्ली ने संदिग्ध मंकीपॉक्स रोगियों से निपटने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) में कहा गया है कि संदिग्ध रोगियों को अन्य रोगियों और कर्मचारियों के साथ संपर्क को कम करने के लिए तुरंत एक निर्दिष्ट अलगाव क्षेत्र में रखा जाना चाहिए। केंद्र संचालित संस्थान ने एक बयान में कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंकीपॉक्स के प्रकोप को अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है, जिससे बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने, तेजी से पहचान करने और आगे फैलने से रोकने के लिए कड़े संक्रमण नियंत्रण उपायों की आवश्यकता बढ़ गई है।
एम्स एसओपी के अनुसार, मंकीपॉक्स एक वायरल ज़ूनोसिस है जिसके लक्षण अतीत में चेचक के रोगियों में देखे गए लक्षणों के समान हैं, हालांकि चिकित्सकीय रूप से कम गंभीर हैं।
एसओपी में एम्स आपातकालीन विभाग में ऐसे मामलों को संभालने के लिए आवश्यक कदमों की रूपरेखा दी गई है।
प्रोटोकॉल के अनुसार, बुखार, दाने, या पुष्टि किए गए मंकीपॉक्स मामलों के संपर्क के इतिहास वाले रोगियों को तत्काल मूल्यांकन के लिए चिह्नित किया जाना चाहिए। इसमें बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, सूजी हुई लिम्फ नोड्स, ठंड लगना, थकावट और विशिष्ट त्वचा के घाव (मैकुलोपापुलर दाने जो पुटिकाओं और फुंसियों में बदल सकते हैं) जैसे प्रमुख लक्षणों की पहचान करने के लिए भी कहा गया है।
एम्स दिल्ली के प्रोटोकॉल में ये बातें कही गई हैं:
1.Mpox के संदिग्ध मरीजों के लिए AIIMS दिल्ली ने पांच बेड आरक्षित किए गए हैं।
2.यदि किसी मरीज में Mpox के लक्षण दिखाई देते हैं या संदिग्ध मरीज आता है तो उसे इन्हीं बेड्स पर भेजा जाएगा।
इसके अतिरिक्त Mpox की पुष्टि के लिए जरूरी टेस्ट किए जाएंगे, जिसमें लैब परीक्षण शामिल होंगे।
3.Mpox से संदिग्ध मरीज का उपचार करते समय डॉक्टरों को पीपीई किट पहननी होगी।
4.संदिग्ध मरीज की हर जरूरी जानकारी जैसे घर का पता, मेडिकल हिस्ट्री और लक्षण सभी को फाइल में मेंटेन करना होगा।
मंकीपॉक्स एक वायरल संक्रमण है जो मवाद से भरे घावों और फ्लू जैसे लक्षणों का कारण बनता है। संक्रमित व्यक्ति के लिए यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। इस वायरस की पहचान सबसे पहले 1970 में हुई थी। वायरस के दो सबवैरिएंट हैं- क्लेड-1 और क्लेड-2, जानकारी के अनुसार यह एक ऐसा वायरस है जो बंदरों से इंसानों में फैला था। इसके साथ ही इस वायरस का ट्रांसमिशन यानी फैलाव एक से दूसरे इंसान में भी होता है। इससे संक्रमित होने के बाद सबसे पहले इंसान को बुखार आता है। उसको दाने निकलते हैं जो पूरे शरीर पर फैल सकते हैं। शुरू में दाने चेहरे पर नजर आते हैं। इसके बाद पूरे शरीर पर फैलते हैं। यह वायरस शुरुआत सबसे पहले अफ्रीका से फैला था।
एसओपी ने अधिकारियों को मंकीपॉक्स के संदिग्ध मामले की पहचान होने पर एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) को सूचित करने और उन्हें रोगी का विवरण, संक्षिप्त इतिहास, नैदानिक निष्कर्ष और संपर्क विवरण प्रदान करने का भी निर्देश दिया गया है।
दिशानिर्देशों में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को इस बीमारी से पीड़ित होने का संदेह होने पर आगे के मूल्यांकन और उपचार के लिए सफदरजंग अस्पताल भेजा जाना चाहिए क्योंकि इसे ऐसे रोगियों के प्रबंधन और उपचार के लिए नामित किया गया है।
Mpox के लक्षण ये हैं:
त्वचा में दाने
बुखार
गले में खराश
सिरदर्द
मांसपेशियों में दर्द
पीठ दर्द
कम ऊर्जा
सूजी हुई लिम्फ नोड्स
मरीजों को सफदरजंग अस्पताल में स्थानांतरित करने के लिए एक समर्पित एम्बुलेंस भी आवंटित की गई है।
एसओपी के अनुसार, सभी मंकीपॉक्स रोगियों को सख्त संक्रमण नियंत्रण उपायों के साथ संभाला जाना चाहिए और कर्मचारियों को उनसे निपटते समय व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) का उपयोग करना चाहिए।
प्रोटोकॉल में कहा गया है कि इसके अलावा, रोगी के विवरण, लक्षण और रेफरल प्रक्रिया का उचित दस्तावेज़ीकरण बनाए रखा जाना चाहिए।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पड़ोसी देशों में मंकीपॉक्स के प्रकोप के बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी हवाई अड्डों के साथ-साथ बांग्लादेश और पाकिस्तान की सीमा पर स्थित भूमि बंदरगाहों के अधिकारियों को आने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों में मंकीपॉक्स के लक्षणों के बारे में सतर्क रहने के लिए कहा है।
दिल्ली में तीन नोडल अस्पताल – सफदरजंग, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और राम मनोहर लोहिया अस्पताल – को इसके लिए चिह्नित किया गया है। इनमें इस वायरस के मरीजों को क्वारंटीन करके उनका इलाज किया जाएगा।
संदिग्ध मरीजों की आरटी-पीसीआर और नेजल स्वैब जांच की जाएगी।
सूत्रों ने बताया कि हवाईअड्डों को भी आवश्यक सावधानी बरतने के लिए सतर्क कर दिया गया है।
राज्यों के साथ बैठक में उन्हें भी इसको लेकर अलर्ट रहने के लिए कहा गया है। सूत्रों के मुताबिक, केंद्र ने बांग्लादेश और पाकिस्तान की सीमाओं से आने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को लेकर अधिकारियों से सतर्क रहने के लिए कहा गया है। विशेषकर उन लोगों को लेकर ज्यादा सतर्क रहने के लिए कहा गया है, जिनमें मंकीपॉक्स (एमपॉक्स) के लक्षण दिखाई देते हैं।