जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच गठबंधन हो गया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) नेता फारूक अब्दुल्ला ने पुष्टि की है कि पार्टी आगामी जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन करेगी। दोनों पार्टियां सैद्धांतिक रूप से एक साथ आने पर सहमत हो गई हैं और फिलहाल सीटों के बंटवारे पर बातचीत चल रही है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के नेताओं ने गठबंधन के विवरण पर चर्चा करने के लिए श्रीनगर में देर रात बैठक की, जिसमें मुख्य रूप से दोनों दलों के बीच सीटों के आवंटन पर ध्यान केंद्रित किया गया। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस ने कश्मीर घाटी में 12 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है, जबकि जम्मू संभाग में एनसी को 12 सीटों की पेशकश की है।
हालांकि सीट बंटवारे पर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, समझौते को अंतिम रूप देने के लिए एक और दौर की बातचीत होगी, जिसके अगले एक-दो दिन में संपन्न होने की उम्मीद है। यह गठबंधन आगामी चुनावों में जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।
इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला से उनके आवास पर मुलाकात की। वहां उमर अब्दुल्ला भी मौजूद थे।
आनन-फानन में शुक्रवार सुबह साढ़े 11 बजे सुबह जम्मू-कश्मीर में 10 उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा के लिए स्क्रीनिंग कमेटी की और उसी शाम नाम फाइनल करने के लिए 3 बजे केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक बुला ली गयी, जबकि पहले चरण में कुल 24 सीटें हैं।
सूत्रों के मुताबिक एनसी के उमर अब्दुल्ला कांग्रेस को 90 में से 25-30 सीटें देने को तैयार थे। वहीं, कांग्रेस 90 में से 40 सीटें मांग रही थी। ऐसे कांग्रेस को 35 के आस-पास सीटें मिल सकती है। साथ ही एक सीट सीपीएम के यूसुफ तारिगामी को दी जाएगी। ये तो लाजमी है कि कांग्रेस जम्मू में तो एनसी श्रीनगर में ज्यादा सीटें लड़ेंगे।
कांग्रेस चाहती है कि इंडिया गठबंधन बना रहे इसलिए पीडीपी को शामिल किया जाए, लेकिन उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस को दो-टूक कहा कि बीजेपी के साथ सरकार बनाने के बाद महबूबा मुफ्ती डिस्क्रेडिट हो चुकीं हैं।
वहीं जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रविंदर रैना ने तंज कसते हुए कहा, “कल तक फारूक अब्दुल्ला और नेशनल कॉन्फ्रेंस दावा कर रही थी कि किसी के साथ गठबंधन नहीं होगा, आखिर नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस को रातों-रात ऐसा कौन सा डर आ गया कि वे एक-दूसरे से हाथ मिलाने को मजबूर हो गए। नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस द्वारा घोषित गठबंधन से साफ पता चलता है कि इस गठबंधन में शामिल होने वाले राजनीतिक दल हार से डरे हुए हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने भाजपा के डर से हाथ मिलाया है। वे चाहे जितने भी गठबंधन कर लें, उन्हें हार का सामना करना पड़ेगा।”
दरअसल जैसे ही चुनाव आयोग (ईसीआई) ने बहुप्रतीक्षित जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों की घोषणा की, छह साल के अंतराल के बाद क्षेत्र में राजनीतिक गतिविधि तेज हो गई है। पिछली महत्वपूर्ण राजनीतिक व्यस्तता लोकसभा चुनावों के दौरान हुई थी, लेकिन अब, विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ, राजनीतिक परिदृश्य एक बार फिर गर्म हो रहा है।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक हैं क्योंकि ये पिछले पांच वर्षों में जम्मू-कश्मीर में हुए गहन बदलावों के बाद हो रहे हैं। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करना था, जिसके कारण राज्य का दर्जा घटाकर एक केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) कर दिया गया और इसका विभाजन हो गया, जिसके साथ लद्दाख बिना विधानसभा के एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गया।
आगामी विधानसभा चुनाव तीन चरणों – 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होंगे। नतीजे 4 अक्टूबर को घोषित होने की उम्मीद है।