सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 31 वर्षीय महिला ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले से निपटने के लिए कोलकाता पुलिस को फटकार लगाई। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ का हिस्सा रहे न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला ने कोलकाता पुलिस की ढिलाई की ओर इशारा किया। न्यायमूर्ति पारदीवाला ने सुनवाई के दौरान कहा, “आपके राज्य द्वारा अपनाई गई पूरी प्रक्रिया कुछ ऐसी है जो मैंने अपने जीवन के 30 वर्षों में नहीं देखी है।”
अदालत ने कहा कि इस मामले में 14 घंटे बाद एफआईआर क्यों दर्ज की गई? इसके साथ ही कोर्ट ने प्रिंसिपल की दूसरी जगह नियुक्ति पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के वकील सिब्बल से पूछा कि जब प्रिंसिपल को उस कॉलेज से हटाया गया तो दूसरी जगह प्रिंसिपल क्यों बना दिया गया? सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि रात 11:30 बजे एफआईआर दर्ज करने को उचित नहीं ठहराया जा सकता जबकि शव बहुत पहले बरामद किया गया था। सीजेआई ने कहा कि 14 घंटे की देरी के बाद एफआईआर दर्ज करने का क्या कारण है? इस पर सिब्बल ने कहा कि पीड़िता के माता-पिता ने कहा था कि जब हम औपचारिक शिकायत देंगे, तभी एफआईआर दर्ज की जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने के लिए सीबीआई कोर्ट को निर्देश दिए हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि सीबीआई कोर्ट 23 अगस्त शाम पांच बजे तक घोष के पॉलीग्राफ टेस्ट की मंजूरी दे।
CJI ने कहा कि डॉक्टर काम पर लौटने को तैयार हैं पर राज्य सरकारों को सुरक्षा के लिए कदम उठाने होंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव को निर्देश दिया गया है कि राज्य के मुख्य सचिवों और डीजीपी के साथ बैठक कर सुरक्षा के मुद्दे को सुलझाएं। एक हफ्ते में ये काम हो जाए और राज्य सरकारें दो हफ़्ते में कदम उठा लें। मामले की अगली सुनवाई 5 सितंबर को होगी।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या हुआ?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को काम पर लौटने दिया जाए। अदालत ने कहा – एक बार जब वे काम पर लौट आएंगे तो अदालत अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं करने का दबाव बनाएगी। अदालत ने कहा कि अगर डॉक्टर काम पर नहीं लौटेंगे तो पब्लिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर कैसे काम करेगा?
चीफ जस्टिस ने डॉक्टरों की ड्यूटी 36 घंटे तक होने पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि जब मेरे एक रिश्तेदार भर्ती थे, तब मैं भी सरकारी हॉस्पिटल में फर्श पर सोया हूं। सरकारी अस्पतालों में इतनी दिक्कतें हैं कि उसे बताते हुए हमारे पास कई ईमेल आए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुबह 10.10 बजे अननेचुरल डेथ की डायरी एंट्री हुई। ये परेशान करने वाली है। शव उठाते वक्त पुलिस को मालू्म था कि यह अननेचुरल डेथ है, फिर भी रात में 11.45 बजे एफआईआर की गई। अदलात ने बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल को फटकार लगाते हुए उन्हें जिम्मेदारी से जवाब देने तक को कह दिया।
बंगाल सरकार के वकील से सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि पुलिस ने जो प्रक्रिया अपनाई है, वो क्रिमिनल प्रोसीजर कोड से अलग है। जज ने कहा कि मैंने अपने 30 साल के करियर में ऐसा नहीं देखा है। आपके पुलिस अधिकारी के काम का तरीका बिल्कुल सही नहीं था। डायरी एंट्री दिखाती है कि क्राइम सीन को पोस्टमार्टम के बाद संरक्षित किया गया।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि घटनास्थल पर कई अहम सुराग थे, लेकिन उसे संरक्षित करने में देर की गई. इसकी वजह से अहम सबूत मिट जाने का अंदेशा है।
कोलकाता केस पर सुनवाई के दौरान अदालत में कपिल सिब्बल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के बीच झड़प भी हो गई। मेहता ने कहा कि घटना की सूचना की जानकारी सुबह 10.10 बजे की है, जबकि अननेचुरल डेथ केस रात 11.30 बजे दर्ज हुआ है। इतनी देरी गलत ही नहीं, बल्कि अमानवीय है। इसका सिब्बल ने विरोध किया।
अदालत में सुनवाई के दौरान इस बात का भी जिक्र हुआ कि एक वकील ने शव से भारी मात्रा में सीमेन मिलने की बात कही थी। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारे पास पोस्टमार्टम रिपोर्ट है। आप सोशल मीडिया के आधार पर दावा मत कीजिए।
बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में हुई हिंसा के मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि वहां लोग प्रोटेस्ट के नाम पर जुटे थे। बाद में वहां हिंसा होने लगी।
सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई की तरफ से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि वैसे सरकार का हलफनामा भी सोशल मीडिया के आधार पर ही है। ये सुनकर सिब्बल नाराज हो गए और कहा कि आप हलफनामा ठीक से पढ़िए।
सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने बताया कि अननेचुरल डेथ के मामले में से दिशा-निर्देशों का पालन किया गया है। चीफ जस्टिस ने कहा कि इससे रात को 11:30 FIR करना जस्टिफाई नहीं किया जा सकता जबकि बॉडी सुबह 9:30 बजे मिल गई थी।
CJI ने पूछा- FIR दर्ज करने में 14 घंटे की देरी कारण क्या है? कॉलेज के प्रिंसिपल को खुद FIR करने आना चाहिए था? वह किसी को बचाने की कोशिश कर रहे हैं? उन्होंने इस्तीफा दिया और उनका दूसरा कॉलेज दे दिया गया?
CJI ने कहा- डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए बनाई गई नेशनल टास्क फोर्स डिस्ट्रेस कॉल सिस्टम, संस्थागत FIR और कंपनसेशन डिस्ट्रेस फंड पर विचार करेगी। नेशनल टास्क फोर्स मंत्रालय की वेबसाइट पर एक पोर्टल भी खुलेगा, जिसमें लोग सुझाव दे सकते हैं। इसके साथ ही शांतिपूर्ण ढंग से किया जा रहे विरोध-प्रदर्शन को डिस्टर्ब नहीं किया जाएगा। पुलिस शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टर से काम पर लौटने की अपील की। उनकी सुरक्षा का पूरा ध्यान सरकार को रखना होगा।
CJI ने कहा कि मेडिकल प्रोफेशनल के संस्थागत सुरक्षा के मामले में अब अदालत ने कदम उठाए हैं। यह उम्मीद की जाती है कि डॉक्टर अपने काम पर लौटेंगे। नेशनल टास्क फोर्स भी अपना काम करेगी। सभी राज्य सरकार डॉक्टरों की सुरक्षा का ध्यान रखें।
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि पश्चिम बंगाल के एक मंत्री कह रहे हैं कि अगर उनके नेता के खिलाफ कुछ भी बोला गया तो उनकी उंगलियां काट दी जाएगी।इस पर कपिल सिब्बल ने कहा आपके नेता गोली मारने की बात करते हैं तो इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि राजनीतिकरण ना करें कानून अपना काम करेगा हम डॉक्टरों की सुरक्षा और कल्याण के लिए चिंतित हैं।
सीजेआई ने कहा कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि कोर्ट को दिए गए आदेश का पालन किया जाएगा कि डॉक्टर अपनी ड्यूटी पर लौट आएंगे, अगर विरोध करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाती है, तो हम निर्देश देते हैं कि उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा। सीजेआई ने कहा कि अगर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की जाती है, तो अब काम पर वापस लौट आएं। कोर्ट ने कहा कि हमने पहले भी विरोध प्रदर्शन के लिए कोई कठोर कदम नहीं उठाने की बात कही है। सीजेआई ने कहा कि जहां तक डॉक्टरों के समुदाय का सवाल है, उन्हें काम पर वापस लौटना होगा।
मालूम हो कि 13 अगस्त को बलात्कार-हत्या मामले की जांच अपने हाथ में लेने वाली सीबीआई ने दिन में सुप्रीम कोर्ट को अपनी स्थिति रिपोर्ट सौंपी। इससे पता चला कि अपराध स्थल को बदल दिया गया था, हत्या को आत्महत्या बताकर पीड़ित परिवार को गुमराह किया गया था और आरोपी संजय रॉय ने अकेले ही इस घटना को अंजाम दिया था।
कोलकाता पुलिस के एक नागरिक स्वयंसेवक, रॉय को आरजी कर अस्पताल के सेमिनार हॉल के अंदर ट्रेनी डॉक्टर का अर्धनग्न शरीर पाए जाने के एक दिन बाद 10 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था।