कोलकाता में 31 साल की ट्रेनी महिला डॉक्टर से रेप के बाद हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि अदालत डॉक्टर्स की सुरक्षा पर नेशनल टास्क फोर्स बनाने जा रही है। साथ ही शीर्ष अदालत ने प्रशिक्षु डॉक्टर के क्रूर बलात्कार और हत्या मामले से निपटने के तरीके पर बंगाल सरकार को फटकार लगाई। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने एफआईआर दर्ज करने में देरी पर आरजी कर अस्पताल के अधिकारियों पर भी कड़ा असंतोष व्यक्त किया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “शव परीक्षण से पता चला कि डॉक्टर की हत्या के 3 घंटे 30 मिनट के बाद प्राथमिकी रात 11.45 बजे दर्ज की गई थी। अस्पताल के अधिकारी क्या कर रहे थे?”
31 वर्षीय डॉक्टर को 9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में मृत पाया गया था, जिसके बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन और डॉक्टरों की हड़ताल शुरू हो गई। संजय रॉय नाम के एक नागरिक स्वयंसेवक को एक दिन बाद कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।
कोलकाता डॉक्टर बलात्कार-हत्या: शीर्ष बिंदु ये हैं-
सर्वोच्च न्यायालय ने कार्यस्थलों पर डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए तौर-तरीके सुझाने के लिए अपने अधिकार के तहत एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन किया। सीजेआई ने कहा, “इसमें विविध पृष्ठभूमि के डॉक्टर होंगे जो पूरे भारत में अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों का सुझाव देंगे ताकि काम पर सुरक्षा की स्थिति बनी रहे और युवा या मध्यम आयु वर्ग के डॉक्टर अपने काम के माहौल में सुरक्षित रहें।”
राष्ट्रीय टास्क फोर्स के सदस्य:
1. वाइस एडमिरल आरके सरीन
2. डॉ. डी नागेश्वर रेड्डी
3. डॉ. एम श्रीनिवास
4. डॉ. प्रतिमा मूर्ति
5. डॉ. गोवर्धन दत्त पुरी
6. डॉ. सौमित्र रावत
7. प्रोफेसर अनीता सक्सेना
8. प्रोफेसर पल्लवी सप्रे
9. डॉ. पद्मा श्रीवास्तव
10. केंद्रीय कैबिनेट सचिव
11. केंद्रीय गृह सचिव
12. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव
13. नेशनल मेडिसिन कमीशन के अध्यक्ष
14. नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनर्स के अध्यक्ष
सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार से प्रदर्शनकारियों के खिलाफ जबरदस्ती कार्रवाई न करने का भी आग्रह किया। अदालत ने कहा, “शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर राज्य की शक्ति का प्रयोग न किया जाए। यह राष्ट्रीय मुक्ति का क्षण है।”
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से ये सवाल किया-
CJI ने पूछा, प्रिंसिपल को दूसरे कॉलेज में क्यों जॉइन कराया गया?
कोर्ट ने कहा कि हम पीड़िता की पहचान उजागर होने को लेकर भी चिंतित हैं।
पीड़िता की फोटो और पोस्टमार्टम के बाद उसकी बॉडी को दिखाना चिंताजनक है।
पीड़िता की तस्वीरें और नाम सोशल मीडिया पर प्रसारित होने से बहुत चिंतित हैं।
CJI ने कहा हर जगह पीड़िता की पहचान उजागर हुई. जबकि ऐसा नही होना चाहिए था।
CJI ने पश्चिम बंगाल सरकार से पूछा कि क्या प्रिंसिपल ने हत्या को आत्महत्या बताया था?
क्या पीड़िता के माता-पिता को सूचना देर से दी गई. क्या उन्हें मिलने नहीं दिया गया?
अस्पताल से सुप्रीम कोर्ट ने कहा-
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने पश्चिम बंगाल सरकार और हॉस्पिटल प्रशासन को फटकार लगाई।
CJI ने कहा कि जब हत्या की घटना हुई, उस समय पीड़िता के माता-पिता वहां मौजूद नहीं थे।
ये हॉस्पिटल प्रबंधन की जिम्मेदारी थी कि वो एफआईआर दर्ज कराए।
सीजेआई ने सवाल किया कि एफआइआर देर से क्यों दर्ज हुई?
हॉस्पिटल प्रशासन आखिर क्या कर रहा था?
CJI ने पूछा- उस समय प्रिंसिपल क्या कर रहे थे? माता-पिता को पीड़िता का शव भी देर से सौंपा गया।
SC ने पूछा, सबसे पहले एफआईआर किसने और कब दर्ज कराई।
इस पर जानकारी दी गई कि मामले में उस रात 11.45 PM पर पहली एफआईआर दर्ज की गई।
CJI ने कहा की अभिभावकों को बॉडी देने के 3 घंटे 30 मिनट के बाद एफआईआर दर्ज की गई?
पुलिस से सुप्रीम कोर्ट के सवाल ये थे-
कोर्ट ने एफआईआर (प्रथम सूचना रिपोर्ट) दर्ज करने में देरी के लिए पश्चिम बंगाल सरकार और पुलिस को फटकारा।
कोर्ट ने कहा, शुरुआत में मामले में FIR दर्ज नहीं की गई. पुलिस क्या कर रही थी?
एक गंभीर अपराध हुआ है. उपद्रवियों को अस्पताल में घुसने दिया गया?
CJI ने कहा कि पुलिस ने क्राइम सीन को प्रोटेक्ट क्यों नहीं किया?
हजारों लोगों को अंदर क्यों आने दिया?
पुलिस को सबसे पहला काम अपराध स्थल की सुरक्षा करना है।
CJI ने कहा कि सीबीआई इस मामले में गुरुवार तक स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करे।
जांच इस समय नाजुक दौर में है इसलिए डायरेक्ट रिपोर्ट कोर्ट में दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने हड़ताली डॉक्टर्स से ये कहा-
CJI ने कहा कि हम एक नेशनल टास्क फोर्स बनाना चाहते हैं, जिसमें सभी डॉक्टरों की भागीदार हो।
CJI ने डॉक्टरों को कहा कि आप हम पर भरोसा करें. जो डॉक्टर हड़ताल पर है।
इस बात को समझें कि पूरे देश का हेल्थ केयर सिस्टम उनके पास है।
हम डॉक्टरों से आग्रह करते हैं कि काम पर लौटें. हम डॉक्टरों से अपील करते हैं।
हम उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यहां हैं. हम इसे हाईकोर्ट के लिए नहीं छोड़ेंगे।
ये बड़ा राष्ट्रहित का मामला है।
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव रोहित पांडेय और वकील उज्ज्वल गौड़ ने सीजेआई को पत्र लिखकर मामले में स्वतः संज्ञान लेने की मांग की थी। सीजेआई को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि यह मामला केवल एक निर्दोष के जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन ही नहीं है, बल्कि यह हमारे राष्ट्र की आत्मा पर हमला है क्योंकि यह न्याय और मानवता के आदर्शो का घोर आपमान है, जिसे हमारा संविधान बरकरार रखता है।
पत्र में यह भी कहा गया कि जिस क्रूर तरीके से ट्रेनी डॉक्टर के जीवन को खत्म किया गया उसने हमारे राष्ट्र की सामूहिक चेतना को झकझोर कर रख दिया है क्योंकि उसी परिसर में क्रूरतापूर्वक दुर्व्यवहार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई, जहां उसने मानवता की, सेवा करने के लिए ली गई शपथ का पालन करते हुए सेवा कर रही थी।
इससे पहले कोलकाता हाई कोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई से असंतुष्ट होकर मामले की जांच अपने हाथ में लेने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने मृतक के माता-पिता की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था। सीबीआई के सूत्रों के माने तो ट्रेनी डॉक्टर से रेप-हत्या मामले में अब तक मुख्य आरोपी संजय रॉय और कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष सहित 19 लोगों से सीबीआई पूछताछ कर चुकी है। इनमें से ज्यादातर लोगों ने अस्पताल में मानव अंगों की तस्करी के रैकेट की बात कही है। इसमें कई बड़े लोग शामिल हो सकते गया।
बताया जा रहा है कि इस हत्या के मामले की जड़े इतनी गहरी है कि इसके उजागर होने पर कई सफेदपोश चेहरे बेनकाब हो सकते है। सीबीआई जांच में कई चीजें सामने आ रही है। छानबीन के दौरान 23 साल पहले 2001 में हुई कॉलेज की एक छात्रा की मौत मि कड़ियां भी इस मामले से जुड़ती हुई नजर आ रही है। वही, कॉलेज में सेक्स और ड्रग्स रैकेट चलाए जाने के आरोप भी रहे है। हालांकि, सीबीआई की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नही आया है।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से गुरुवार (22 अगस्त) तक जांच पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। बंगाल सरकार से तोड़फोड़ की घटना की जांच पर भी स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा गया है.