गुरुवार को संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ अमेंडमेंट बिल 2024 लोकसभा में पेश कर दिया है। विपक्षी सांसदों ने इसे “असंवैधानिक” और “कठोर” बताते हुए इसका विरोध किया।
विपक्ष की ओर से केसी वेणुगोपाल ने इस पर आपत्ति करते हुए कहा है कि ये संविधान की ओर से दिए धर्म और फंडामेंटल राइट्स पर हमला है। वेणुगोपाल ने बिल पर आपत्ति जताते हुए कहा कि ये संविधान से मिले धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है। उन्होंने सवाल किया कि क्या अयोध्या के मंदिर में कोई नॉन हिंदू है? क्या किसी मंदिर की कमेटी में किसी गैर हिंदू को रखा गया है? वेणुगोपाल ने कहा कि वक्फ भी एक धार्मिक संस्था है। ये समाज को बांटने की कोशिश है।
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लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का विरोध करते हुए डीएमके सांसद कनिमोझी ने कहा, “यह अनुच्छेद 30 का सीधा उल्लंघन है जो अल्पसंख्यकों को उनके संस्थानों का प्रबंधन करने से संबंधित है। यह विधेयक एक विशेष धार्मिक समूह को लक्षित करता है। ये बिल पूरी तरह से मुसलमानों के खिलाफ है। ये देश सेक्यूलर देश है जिसमें अलग-अलग धर्म, अलग-अलग भाषा के लोग रहते हैं।”
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रामपुर से सांसद मोहिबुल्ला ने चार धाम से लेकर तमाम हिंदू मंदिरों की कमेटियों का उदाहरण दिया और कहा कि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में भी लिखा गया है कि केवल सिख ही सदस्य होगा। फिर मुसलमानों के साथ ये अन्याय क्यों? हम बहुत बड़ी गलती करने जा रहे हैं जिसका खामियाजा हम सदियों तक भुगतते रहेंगे। सरकारी अमले को ये हक दिया जा रहा है, सर्वे कमीशन के अधिकार खत्म किए जा रहे हैं। ये मेरे मजहब के मुताबिक कोई चीज है तो उसे आप तय करेंगे या मैं तय करूंगा। ये हमारे मजहब में दखलअंदाजी है। ऐसा हुआ तो कोई भी अल्पसंख्यक खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करेगा।
केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने संसद में वक्फ बिल का समर्थन किया। ललन सिंह ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि ये बिल मुसलमान विरोधी नहीं है। ये मंदिर की बात करते हैं, मंदिर की बात कहां से आ गई। कोई भी संस्था जब निरंकुश होगी तो सरकार उस पर अंकुश लगाने के लिए, पारदर्शिता के लिए कानून बनाएगी। ये उसका अधिकार है। पारदर्शिता होनी चाहिए और ये बिल पारदर्शिता के लिए है। उन्होंने कहा कि ये अल्पसंख्यकों की बात करते हैं, सिखों का कत्लेआम किसने किया था?
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जद (यू) के अलावा भाजपा नीत राजग की प्रमुख सहयोगी टीडीपी ने वक्फ विधेयक का समर्थन किया और कहा कि सुधार लाना और उद्देश्य को कारगर बनाना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को विधेयक को चयन समिति के पास भेजने में कोई दिक्कत नहीं है।
सुप्रिया सुले ने वक्फ बिल पर सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार की एक नई कार्यप्रणाली देखने को मिल रही है। ये संसद से पहले मीडिया को बताते हैं। इस बिल की जानकारी हमें मीडिया से मिली।
इस पर स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि इस बिल को सर्कुलेट किया गया है। इसे 6 तारीख को ही लोकसभा के पोर्टल पर सर्कुलेट कर दिया गया था। चेक कर लें।
इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि बिजनेस एडवाइजरी कमेटी में भी इस पर चर्चा हुई थी।
सुप्रिया सुले ने बांग्लादेश के घटनाक्रम का भी जिक्र किया और इस बिल की टाइमिंग पर सवाल उठाए। उन्होंने सवाल किया कि वक्फ बोर्ड में अभी ऐसा क्या हुआ कि ये बिल अभी ही लाने की जरूरत पड़ गई?
मालूम हो कि देश में लगभग 30 वक्फ बोर्ड 9 लाख एकड़ में फैली संपत्तियों को नियंत्रित करते हैं, जिनकी अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये है। वक्फ बोर्ड के पास रेलवे और रक्षा मंत्रालय के बाद भारत में सबसे ज्यादा भूमि है।
केरल से मुस्लिम लीग के सांसद मोहम्मद बशीर ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि सरकार बहुत अन्याय कर रही है। आप इसके जरिये सिस्टम की हत्या कर रहे हैं। आप हिंदू-मुसलमान कर रहे हैं। हम देश को उस दिशा में नहीं जाने दे सकते। केरल से सीपीआईएम सांसद के राधाकृष्णन ने कहा कि ये बिल पेश करने से पहले सरकार ने किसी भी स्टेकहोल्डर, मुस्लिम या किसी संगठन से कोई चर्चा नहीं की। इसे वापस लिया जाना चाहिए। व्यापक चर्चा के लिए इसे स्टैंडिंग कमेटी को भेजा जाना चाहिए।
आरएसपी सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने नियम 72 (2) के तहत इस बिल पर आपत्ति जताई और कहा कि ये फंडामेंटल राइट्स का उल्लंघन है।
असदुद्दीन ओवैसी ने नियम 72 (2) के तहत बिल पेश किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि ये संविधान की मूल भावना पर हमला है। आप हिंदू पूरी संपत्ति अपने बेटे-बेटी के नाम पर दे सकते हो लेकिन हम एक तिहाई ही दे सकते हैं। हिंदू संगठन और गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में गैर धर्मों के सदस्य शामिल नहीं होते तो वक्फ में क्यों? ये बिल हिंदू-मुसलमान में भेदभाव करता है. वक्फ प्रॉपर्टी पब्लिक प्रॉपर्टी नहीं है। ये सरकार दरगाह और अन्य संपत्तियां लेना चाहती है। सरकार कह रही है कि हम महिलाओं को दे रहे हैं, मुझे यकीन है कि आप बिल्किस बानो और जकिया जफरी को मेंबर बनाएंगे। आप देश को बांटने का काम कर रहे हैं। आप दुश्मन हैं मुसलमानों के।
अखिलेश यादव ने कहा कि ये बिल जो इंट्रोड्यूस हो रहा है, बहुत सोची-समझी साजिश के तहत हो रहा है। वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम को शामिल करने का औचित्य क्या बनता है? इतिहास के पन्नों को पलटे होते, एक जिलाधिकारी थे, उन्होंने क्या किया? ये हम सब जानते हैं। बीजेपी हताश और निराश है। तुष्टिकरण के लिए, अपने कुछ मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए ये बिल ला रही है। अल्पसंख्यकों के अधिकार छीने जा रहे हैं। लॉबी में सुना है कि कुछ अधिकार आपके भी छीने जा रहे हैं और हम इसका विरोध करेंगे।
इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अखिलेश यादव आप इस तरह की गोलमोल बातें सदन में नहीं कर सकते। आ
स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि आसन पर, संसद की आंतरिक व्यवस्था पर कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।
टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने इसे हिंदू राष्ट्र बनाने की दिशा में कदम बताया और कहा कि हम इसका पुरजोर विरोध करेंगे।
इमरान मसूद ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा कि संविधान की धज्जियां इस बिल में उड़ाने का काम किया जा रहा है। वक्फ बोर्ड ही सभी मस्जिदों के प्रबंधन का काम करता है। वक्फ बोर्ड के पास देश में आठ लाख एकड़ प्रॉपर्टी है।
गौरव गोगोई ने वक्फ बिल का विरोध करते हुए कहा कि ये संवेनशील मसला है। इसे लेकर जो चिंता सदस्यों ने जताई है, उनकी चिंता का सरकार को संज्ञान लेना चाहिए। हर धर्म में दान का प्रावधान है।
वहीं शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे ने वक्फ बिल का समर्थन करते हुए कहा कि कुछ लोग इस बिल का विरोध जाति, धर्म के नाम पर कर रहे हैं। इस बिल का मकसद ट्रांसपैरेंसी और अकाउंटिबिलिटी। इस बिल के नाम पर विपक्षी पार्टियां भ्रम फैलाने का काम कर रही हैं। आपको अलग कानून क्यों चाहिए? महाराष्ट्र में जब इनकी सरकार थी, शिर्डी और अन्य मंदिरों पर कमेटी बैठाने का काम हुआ था, तब इनको सेक्यूलरिज्म याद नहीं आया।
मियां अल्ताफ अहमद ने हिंदुस्तान को अगर पूरी दुनिया में जाना जाता है तो सेक्युलरिज्म के लिए जाना जाता है। आप इस तरह का बिल लाकर देश की इमेज खराब कर रहे हैं।
आंध्र प्रदेश से वाईएसआरसीपी के सांसद मिधुन रेड्डी ने बिल का विरोध किया और कहा कि हम ओवैसी की चिंताओं से सहमत हैं।
इसके बाद किरेन रिजिजू ने कहा कि विपक्ष ने जो तर्क दिए हैं इस बिल का विरोध करते हुए, वो स्टैंड नहीं करते। इस बिल में संविधान के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं किया गया है। ये किसी भी धर्म में दखल नहीं है। किसी का हक छीनने के लिए नहीं, जिनको दबाकर रखा गया उनको जगह देने के लिए ये बिल लाया गया।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय का भी जिक्र किया और ये भी कहा कि ये कॉन्क्रीट में है। भारत सरकार को बिल लाने का अधिकार है। ये वक्फ अमेंडमेंट बिल अंग्रेजों के जमाने से लेकर के आजादी के बाद तक, कई बार पेश किया गया। ये एक्ट सबसे पहले 1954 में लाया गया था जिसके बाद कई अमेंडमेंट हुए हैं। जो अमेंडमेंट आज हम लाने जा रहे हैं, वह वक्फ एक्ट 1955 जिसको 2013 में अमेंडमेंट लाकर ऐसा प्रावधान डाला गया जिसकी वजह से ये अमेंडमेंट हमें लेकर आना पड़ रहा है। 1955 के वक्फ अमेंडमेंट में जो भी प्रावधान लाया गया था, उसको लोगों ने अलग-अलग तरीके से देखा है। कई कमेटियां, कई लोगों ने पूरा एनालिसिस किया है। ये पाया गया है कि 1955 का वक्फ अमेंडमेंट जिस परपज से लाया गया था, वह पूरे नहीं हो रहे थे। कई खामियां मिली हैं। ये अमेंडमेंट आप लोगों ने जो भी चाहा, वह नहीं कर पाए तो उसके लिए ही ये बिल लाया गया है। हम सब चुने हुए प्रतिनिधि हैं। इस बिल का समर्थन कीजिए, करोड़ों लोगों की दुआ मिलेगी। चंद लोगों ने वक्फ बोर्ड को कब्जा करके रखा हुआ है। गरीबों को न्याय नहीं मिला। इतिहास में दर्ज होगा कि कौन-कौन विरोध में था। जो खामियां 2014 से आज तक 1955 के एक्ट के बारे में कांग्रेस के जमाने में भी कई कमेटियां कह चुकी हैं। 1976 में वक्फ इनक्वायरी रिपोर्ट में बड़ा रिकंमेडेशन आया था कि उसको डिसीप्लीन करने के लिए प्रॉपर कदम उठाए जाने चाहिए, मतभेद सरल करने के लिए ट्राइबल गठन होना चाहिए। ऑडिट और अकाउंट्स का तरीका प्रॉपर नहीं है, पूरा प्रबंधन होना चाहिए। वक्फ अल औलाद में सुधार लाना चाहिए।
किरेन रिजिजू ने कहा कि हम भागने वाले नहीं हैं। उन्होंने विधेयक पेश करते हुए कहा कि इस बिल को यहां से पास कर दीजिए। इसके बाद इसमें जो भी स्क्रूटनी करनी हो, हम तैयार हैं। ये बिल आप जेपीसी बनाकर उसे भेज दीजिए। हर दल के सदस्य उस कमेटी में हों, जो भी स्क्रूटनी करना चाहें, हम तैयार हैं।
किरेन रिजिजू ने मुसलमान वक्फ रिपील बिल भी पेश किया।
रिजिजू ने कहा कि मुसलमान वक्फ एक्ट 1923 पूरे देश में लागू हुआ जिसमें बलूचिश्तान और संथाल परगना भी शामिल हैं। ये एक्ट एप्लिकेबल नहीं है। इसलिए इसे रूल बुक में ही नहीं रहना चाहिए।
अमित शाह ये 1955 के बिल और 2013 के संशोधन के बाद अस्तित्व में ही नहीं है। इसे हम कागज से निकाल रहे हैं। इसमें विपक्ष को आपत्ति नहीं होना चाहिए।
रिजिजू ने कहा कि हम प्रस्ताव करते हैं कि जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी को भेज दिया जाए। इस पर स्पीकर ने कहा कि हां, जल्द ही कमेटी बनाऊंगा। असदुद्दीन ओवैसी ने इस पर डिवीजन की मांग की। स्पीकर ने कहा कि इस पर डिवीजन कैसे बनता है? ओवैसी ने कहा कि हम तो शुरू से डिवीजन की मांग कर रहे हैं।
वक्फ बिल की मुख्य विशेषताएं:
-विधेयक में वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम करने का प्रस्ताव है।
-प्रमुख प्रस्तावों में केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों का गठन शामिल है, जिसमें मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व होगा।
-विधेयक का उद्देश्य जिला कलेक्टर को इस बात पर मध्यस्थ बनाना है कि कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या सरकारी भूमि। 1995 के एक्ट में ऐसे फैसले वक्फ ट्रिब्यूनल द्वारा लिए जाते हैं।
-इसमें बोहरा और आगाखानियों के लिए एक अलग औकाफ बोर्ड के निर्माण का भी प्रस्ताव है।
-इसके अलावा, कानून का उद्देश्य केंद्र को भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक द्वारा नियुक्त लेखा परीक्षक द्वारा किसी भी वक्फ के ऑडिट का निर्देश देने की शक्ति देना है।