सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सलाह दी कि वह अब खत्म हो चुकी दिल्ली शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अपनी जमानत याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार करें। आप प्रमुख ने पिछले सप्ताह निचली अदालत द्वारा उन्हें दी गई जमानत पर दिल्ली उच्च न्यायालय की रोक को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी।
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारा प्रस्ताव यह है कि हाईकोर्ट के आदेश को रिकॉर्ड पर आने दिया जाए और हम मामले को अगले सप्ताह रख सकते हैं। बिना आदेश के हम आगे कैसे बढ़ें। कोर्ट 26 जून को इस मामले में अगला सुनवाई करेगा।
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कोर्ट के आदेश पर सीएम केजरीवाल के वकील ऋषिकेश कुमार ने कहा, ”आज हमने अरविंद केजरीवाल की जमानत पर रोक लगाने के हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। मामले को आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था। अदालत ने आज कहा है कि क्योंकि उच्च न्यायालय का अंतिम आदेश अभी भी नहीं आया है और इसे कल सुनाए जाने की संभावना है इसलिए मामले को परसों के लिए स्थगित कर दिया गया है।”
सोमवार को न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति एसवी भट्टी की अवकाशकालीन बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान जहां वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और विक्रम चौधरी ने केजरीवाल का प्रतिनिधित्व किया, और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) राजू प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश हुए।
केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जमानत मिलने के बाद ईडी ने हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले में दिए गए दिशानिर्देशों के मुताबिक नहीं है। सिंघवी ने कहा कि ईडी ने 48 घंटे मांगे थे। लेकिन राउज एवेन्यू कोर्ट ने नहीं दिए। हाईकोर्ट के आदेश और प्रक्रिया पर यह अदालत रोक लगाए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने कहा कि 2 दिन में दे देंगे। ऐसे में क्या परेशानी है?
सिंघवी ने कहा कि यह उचित नहीं है। जब फैसला मेरे पक्ष में आया तो रोक क्यों?
सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की ओर से पेश अन्य वकील से कहा कि एक दो दिन की बात है। हाईकोर्ट का आदेश आने दें।
सिंघवी ने कहा कि निचली अदालत ने अपने फैसले में साफ किया है कि ईडी के पास स्पष्ट साक्ष्य नहीं हैं।
जस्टिस मनोज मिश्रा ने कहा कि अगर हम अभी आदेश देते हैं, तो हम इस मुद्दे पर पूर्वाग्रह से ग्रसित होंगे। यह कोई अधीनस्थ न्यायालय नहीं है, यह एक हाईकोर्ट है।
केजरीवाल के वकील ने कहा कि केजरीवाल समाज के लिए खतरा नहीं है। उन पर लगाए गए आरोप अभी साक्ष्यों द्वारा स्पष्ट नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश एक दो दिन में आने वाला है! सिंघवी ने कहा कि इस बीच केजरीवाल को रिहा क्यों नहीं किया जा सकता है? ट्रायल कोर्ट का फैसला हमारे पक्ष में था।
केजरीवाल के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के 10 मई के आदेश का हवाला दिया, जिसमें उन्हें अंतरिम जमानत दी गई थी। उन्होंने कहा कि तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केजरीवाल दिल्ली के सीएम हैं, उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, उन्हें गिरफ्तार करने का कोई खतरा नहीं है, जांच अगस्त 2022 से लंबित थी और उन्हें केवल मार्च 2024 में गिरफ्तार किया गया था।
केजरीवाल के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत देने के आदेश के बाद नियमित जमानत के लिए निचली अदालत जाने को कहा था। जब वहां से जमानत मिली तो हाईकोर्ट ने रोक लगा दी, जो सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के दिशानिर्देशों के मुताबिक नहीं है जो कैदियों के संबंध में दिया गया था। सिंघवी ने कहा कि हाईकोर्ट में ईडी ने बिना आदेश की प्रति के याचिका दायर कर दी।
वहीं ईडी ने कहा कि बाद में आदेश आया तो उसकी प्रति दी गई।
अभिषेक सिंघवी ने दलील देते हुए कहा, अगर हाईकोर्ट बिना ऑर्डर और फाइल के स्टे का आदेश दे सकता है तो सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं कर सकता? सुप्रीम कोर्ट भी कर सकता है।
ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दो दिन में अवकाश कालीन बेंच मे यह फैसला दिया। यह पूरी तरह से गलत है। निचली अदालत ने अपने ही आदेश में लिखा है कि वह ईडी के दस्तावेजों को नहीं देख पाई है।
मालूम हो कि केजरीवाल की ओर से दायर याचिका में दिल्ली हाइकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने केजरीवाल को निचली अदालत से मिली नियमित जमानत पर अंतरिम रोक लगाई थी। सीएम केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर से “पिटीशनर इन पर्सन” के तौर पर याचिका दायर की है। निचली अदालत ने अरविंद केजरीवाल को एक लाख रुपये की निजी मुचलके पर जमानत दे दिया था। जिसके खिलाफ ईडी द्वारा दिल्ली हाइकोर्ट में याचिका पर सुनवाई के बाद अगले आदेश तक रोक लगा दिया था।