प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया। विश्वविद्यालय के पिछले संघर्षों की सराहना करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि नालंदा भारत की पहचान, सम्मान, मूल्य और मंत्र का प्रतीक है। रिकॉर्ड तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद, यह नरेंद्र मोदी की राज्य की पहली आधिकारिक यात्रा है। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर, बिहार के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा तथा अन्य प्रतिनिधि शामिल हुए। कार्यक्रम में 17 देशों के राजदूत भी शामिल हुए।
नालंदा विश्वविद्यालय के अंतरिम कुलपति प्रोफेसर अभय कुमार सिंह ने नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ”मुझे तीसरे कार्यकाल के लिए शपथ ग्रहण करने के बाद पहले 10 दिनों में ही नालंदा आने का अवसर मिला है। यह मेरा सौभाग्य तो है ही, मैं इसे भारत की विकास यात्रा के एक शुभ संकेत के रूप में देखता हूं। नालंदा केवल एक नाम नहीं है। नालंदा एक पहचान है, एक सम्मान है। नालंदा एक मूल्य है, मंत्र है, गौरव है, गाथा है। नालंदा इस सत्य का उद्घोष है कि आग की लपटों में पुस्तकें भले जल जाएं लेकिन आग की लपटें ज्ञान को नहीं मिटा सकतीं।”
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प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं बिहार के लोगों को भी बधाई देता हूं। बिहार अपने गौरव को वापस लाने के लिए जिस तरह विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है, नालंदा का ये परिसर उसी की एक प्रेरणा है।”
उन्होनें कहा, “हम सभी जानते हैं कि नालंदा कभी भारत की परंपरा और पहचान का जीवंत केंद्र हुआ करता था। शिक्षा को लेकर यही भारत की सोच रही है। शिक्षा ही हमें गढ़ती है, विचार देती है और उसे आकार देती है। प्राचीन नालंदा में बच्चों का प्रवेश उनकी पहचान, उनकी राष्ट्रीयता को देख कर नहीं होता था। हर देश हर वर्ग के युवा हैं यहां पर। नालंदा विश्वविद्यालय के इस नए परिसर में हमें उसी प्राचीन व्यवस्था को फिर से आधुनिक रूप में मजबूती देनी है और मुझे ये देख कर खुशी है कि दुनिया के कई देशों से आज यहां कई विद्यार्थी आने लगे हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत में शिक्षा मानवता के लिए हमारे योगदान का एक माध्यम मानी जाती है। हम सीखते हैं ताकि अपने ज्ञान से मानवता का भला कर सकें। 2 दिन के बाद ही 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है। आज भारत में योग की सैंकड़ों विधाएं मौजूद हैं। हमारे ऋषियों ने इसके लिए कितना गहन शोध किया होगा लेकिन किसी ने योग पर एकाधिकार नहीं बनाया। आज पूरा विश्व योग को अपना रहा है। योग दिवस एक वैश्विस उत्सव बन गया है।”
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय न केवल भारत के इतिहास का है, बल्कि एशिया का भी हिस्सा है। उन्होंने कहा, “हमारे साथी देशों ने भी विश्वविद्यालय के पुनर्निर्माण में भाग लिया है।”
पीएम मोदी ने इसे “वसुधैव कुटुंबकम” की भावना बताते हुए कहा, “दुनिया भर के कई देशों से छात्र यहां आने लगे हैं। 20 से अधिक देशों के छात्र यहां नालंदा में पढ़ रहे हैं।”
वहीं कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, “खुशी की बात है कि नालंदा विश्वविद्यालय के परिसर का उद्घाटन आज प्रधानमंत्री मोदी के करकमलों से किया जा रहा है। पुराने नालंदा विश्वविद्यालय में देश के ही नहीं दुनिया की अनेक जगह के लोग आकर पढ़ते थे लेकिन दुर्भाग्य से ये विश्वविद्यालय 1200 ईस्वी में नष्ट हो गया था। 2005 से हम लोगों को काम करने का मौका मिला तब से हमने बिहार के विकास का काम शुरू किया। 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम बिहार आए थे और उन्होंने अपने संबोधन में नालंदा विश्वविद्यालय को फिर से स्थापित करने की बात की थी।”
उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा, “बिहार के लिए ये क्षण बहुत ऐतिहासिक है। ये वही धरती थी जहां से पूरे देश को ज्ञान जाता था। पूरे देश के विद्यार्थी यहां आकर पढ़ते थे। फिर से इसका पुनर्जागरण हमारी सांस्कृतिक विरासत को बढ़ाता है। पूरा राष्ट्र आज गौरान्वित है।”
इससे पहले उन्होंने बिहार में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों का दौरा किया। खंडहरों को 2016 में संयुक्त राष्ट्र विरासत स्थल घोषित किया गया था।
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अपने अतीत के साथ भारत के संबंधों को फिर से जागृत करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने, नालंदा विश्वविद्यालय के उद्घाटन से पहले, बुधवार को कहा कि विश्वविद्यालय “युवाओं की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा।”
पीएम मोदी ने कहा, “यह हमारे शिक्षा क्षेत्र के लिए एक बहुत ही खास दिन है। आज सुबह लगभग 10:30 बजे, राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया जाएगा। नालंदा का हमारे गौरवशाली हिस्से से एक मजबूत जुड़ाव है।”
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उद्घाटन समारोह में विदेश मंत्री एस जयशंकर, बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नालंदा विश्वविद्यालय के चांसलर अरविंद पनगढ़िया शामिल हुए।
ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, ब्रुनेई, दारुस्सलाम, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओस, मॉरीशस, म्यांमार, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका और वियतनाम सहित कुल 17 देशों के विदेशी दूत भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।
परिसर को दो शैक्षणिक ब्लॉकों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक में 40 कक्षाएँ हैं और कुल बैठने की क्षमता लगभग 1900 है। इसमें दो सभागार शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक में 300 की बैठने की क्षमता है। इसमें लगभग 550 लोगों की क्षमता वाला एक छात्र छात्रावास है। इसमें कई अतिरिक्त सुविधाएं भी हैं, जैसे एक अंतरराष्ट्रीय केंद्र, एक सभागार जिसमें 2000 लोग बैठ सकते हैं, एक क्लब और एक खेल परिसर सहित अन्य।
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