भाजपा नेता देवेन्द्र फड़णवीस ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश की है। पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा नेतृत्व से उन्हें उनके कर्तव्यों से मुक्त करने का अनुरोध किया ताकि वह इस साल के अंत में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
फडणवीस ने कहा, “मैं महाराष्ट्र में ऐसे नतीजों की जिम्मेदारी लेता हूं। मैं पार्टी का नेतृत्व कर रहा था। मैं भाजपा आलाकमान से अनुरोध करता हूं कि मुझे सरकार की जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए ताकि मैं आगामी चुनावों में पार्टी के लिए कड़ी मेहनत कर सकूं।”
फड़णवीस ने कहा कि भाजपा नेतृत्व को उन्हें नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी पर ध्यान केंद्रित करने का समय देना चाहिए।
वहीं फडणवीस के इस्तीफे पर महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा, “यह भाजपा का अंदरूनी मामला है इसपर हमें बोलने की आवश्यकता नहीं है। भाजपा को जनता ने नकारा है। आंकड़ों से पता चलता है कि चाहे केंद्र हो या राज्य का नेतृत्व हो वह फेल हो चुका है। महाराष्ट्र भाजपा का नेतृत्व देवेन्द्र फडणवीस ही करते हैं, चाहे कोई भी नेता हो जब जीत की जिम्मेदारी मिलती है तो हार की भी जिम्मेदारी मिलेगी ही।”
इससे पहले दिन में, महाराष्ट्र में भाजपा इकाई ने पार्टी के खराब प्रदर्शन का विश्लेषण करने के लिए एक बैठक की। बैठक में देवेन्द्र फड़णवीस और भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख चन्द्रशेखर बावनकुले और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए।
भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए महाराष्ट्र में 45 सीटें हासिल करने के अपने लक्ष्य से काफी पीछे रह गया।
भाजपा राज्य में सिर्फ नौ लोकसभा सीटें जीतने में सफल रही। 2019 के लोकसभा चुनावों की तुलना में पार्टी की सीटें 14 कम हो गईं। अपने सहयोगियों, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के साथ मिलकर, एनडीए ने 48 सीटों में से 17 सीटें जीतीं।
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने महाराष्ट्र में 23 सीटें जीतीं थीं।
दूसरी ओर विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने 30 सीटें हासिल की। जबकि कांग्रेस ने 13 सीटें जीतीं, शिवसेना (यूबीटी) ने नौ और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) ने आठ सीटें जीतीं।