कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा कि तकनीकी, संस्थागत और राजनीतिक विफलताओं के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियां जवाबदेही तय नहीं कर सकती हैं। खड़गे ने अपने चार पन्नों के पत्र में कहा कि, “सीबीआई अपराधों की जांच करने के लिए है, रेल दुर्घटनाओं की नहीं। सीबीआई या कोई अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसी, तकनीकी, संस्थागत और राजनीतिक विफलताओं के लिए जवाबदेही तय नहीं कर सकती है। इसके अलावा, उनके पास रेलवे सुरक्षा, सिग्नलिंग और रखरखाव प्रथाओं में तकनीकी विशेषज्ञता का अभाव है।”
उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि “प्रभारी लोग – आप और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव – यह स्वीकार नहीं करना चाहते हैं कि समस्याएं हैं”।
The devastating train accident in Odisha has shocked the nation.
Today, the most crucial step is to prioritise installation of mandatory safety standards to ensure safety of our passengers
My letter to PM, Shri @narendramodi, highlighting important facts. pic.twitter.com/fx8IJGqAwk
— Mallikarjun Kharge (@kharge) June 5, 2023
उन्होंने इस चिट्ठी में कहा है कि रेलवे को अधिक प्रभावी, उन्नत और कुशल बनाए जाने की बजाए इसके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।
खड़गे ने कहा, “रेल मंत्री दावा करते हैं कि उन्हें पहले ही एक मूल कारण मिल गया है, लेकिन फिर भी उन्होंने सीबीआई से जांच करने का अनुरोध किया है।”
खड़गे ने तर्क दिया कि 2016 में तत्कालीन रेल मंत्री ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी से कानपुर में एक ट्रेन के पटरी से उतरने की घटना की जांच करने को कहा था जिसमें 150 लोग मारे गए थे। खड़गे ने पूछा- “इसके बाद आपने खुद 2017 में एक चुनावी रैली में दावा किया था कि यह एक साजिश था। राष्ट्र को आश्वासन दिया गया था कि सख्त से सख्त सजा दी जाएगी। हालांकि, 2018 में एनआईए ने जांच बंद कर दी और चार्जशीट दायर करने से इनकार कर दिया। देश अभी भी अंधेरे में है – टाली जा सकने वाली उस 150 मौतों के लिए कौन ज़िम्मेदार है?”
उन्होंने कहा, “अब तक के बयान और आवश्यक विशेषज्ञता के बिना एक और एजेंसी को शामिल करना हमें 2016 की याद दिलाता है। वे दिखाते हैं कि आपकी सरकार का प्रणालीगत सुरक्षा की समस्या को दूर करने का कोई इरादा नहीं है, बल्कि जवाबदेही तय करने के किसी भी प्रयास को पटरी से उतारने के लिए डायवर्जन रणनीति ढूंढ रही है।”
खड़गे ने कहा कि ओडिशा में ट्रेन दुर्घटना सभी के लिए आंख खोलने वाली थी। रेल मंत्री के सभी खोखले सुरक्षा दावों की अब पोल खुल गई है। सुरक्षा में इस गिरावट को लेकर आम यात्रियों में गंभीर चिंता है। इसलिए, यह सरकार का कर्तव्य है कि वह इस गंभीर दुर्घटना के वास्तविक कारणों का पता लगाए और प्रकाश में लाए। उन्होंने कहा- आज हमारे यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और बालासोर जैसी दुर्घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए रेलवे मार्गों पर अनिवार्य सुरक्षा मानकों और उपकरणों की स्थापना को प्राथमिकता देना सबसे महत्वपूर्ण कदम है।
खड़गे ने कहा, “रेलवे को बुनियादी स्तर पर मजबूत करने पर ध्यान देने के बजाय खबरों में बने रहने के लिए केवल सतही टच-अप किया जा रहा है।” उन्होंने कहा- “रेलवे को अधिक प्रभावी, अधिक उन्नत और अधिक कुशल बनाने के बजाय, इसके बजाय सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। इस बीच, लगातार त्रुटिपूर्ण निर्णय लेने ने रेल यात्रा को असुरक्षित बना दिया है और बदले में हमारे लोगों की समस्याओं को बढ़ा दिया है।”
खड़गे ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री मोदी से 11 सवाल किए। उन्होंने बताया कि भारतीय रेलवे में करीब तीन लाख पद खाली पड़े हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा- “वास्तव में ईस्ट कोस्ट रेलवे में – इस दुखद दुर्घटना का स्थल – लगभग 8,278 पद रिक्त हैं। यह वरिष्ठ पदों के मामले में भी उदासीनता और लापरवाही की वही कहानी है, जहां नियुक्तियों में पीएमओ और कैबिनेट समिति दोनों महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नब्बे के दशक में 18 लाख से अधिक रेलवे कर्मचारी थे, जो अब घटकर लगभग 12 लाख रह गए हैं, जिनमें से 3.18 लाख अनुबंध के आधार पर कार्यरत हैं। रिक्त पद अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग और ईडब्ल्यूएस से संबंधित लोगों की सुनिश्चित नौकरियों के लिए खतरा पैदा करते हैं। यह पूछने के लिए एक उचित प्रश्न है – पिछले 9 वर्षों में इतनी बड़ी संख्या में रिक्तियों को क्यों नहीं भरा गया है?”
उन्होंने कहा कि रेलवे बोर्ड ने खुद स्वीकार किया है कि कर्मचारियों की कमी के कारण लोको पायलटों को अनिवार्य घंटों से ज्यादा घंटे काम करना पड़ा है। उन्होंने पूछा- “लोको पायलट सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं और उनका ओवरबर्डन दुर्घटनाओं का मुख्य कारण साबित हो रहा है। उनके पद अभी तक क्यों नहीं भरे गए?”
खड़गे ने फरवरी में कर्नाटक स्थित दक्षिण पश्चिम रेलवे के प्रधान मुख्य परिचालन प्रबंधक द्वारा उनके सिग्नलिंग समकक्ष को लिखे एक पत्र का भी उल्लेख किया, जिसमें संपर्क क्रांति एक्सप्रेस के साथ “सिग्नल विफलता” के मुद्दे पर प्रकाश डाला गया था। उन्होंने पूछा- “क्यों और कैसे रेल मंत्रालय इस महत्वपूर्ण चेतावनी को अनदेखा कर सकता है?”
खड़गे ने बताया कि परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर संसदीय स्थायी समिति ने “रेलवे सुरक्षा आयोग (सीआरएस) की सिफारिशों के प्रति रेलवे बोर्ड की पूर्ण उदासीनता और लापरवाही की आलोचना की थी और सुरक्षा प्रक्रियाओं का पालन नहीं करने के लिए रेलवे बोर्ड की खिंचाई की थी”।
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की नवीनतम ऑडिट रिपोर्ट, जिसमें कहा गया है कि 2017-18 और 2020-21 के बीच देश भर में चार में से लगभग तीन “परिणामी रेल दुर्घटनाएँ” पटरी से उतरने के कारण हुईं, खड़गे ने पूछा, “…क्यों थे इन गंभीर लाल झंडों पर ध्यान नहीं दिया गया?
उन्होंने पूछा- “पिछली सरकार की ट्रेन-टकराव रोधी प्रणाली, जिसे मूल रूप से रक्षा कवच नाम दिया गया था, को ठंडे बस्ते में डालने की योजना क्यों बनाई गई थी? आपकी सरकार ने बस योजना का नाम बदलकर ‘कवच’ कर दिया और मार्च 2022 में खुद रेल मंत्री ने इस योजना को एक नए आविष्कार के रूप में पेश किया। लेकिन सवाल अभी भी बना हुआ है कि भारतीय रेलवे के केवल 4 प्रतिशत मार्गों को अब तक ‘कवच’ द्वारा संरक्षित क्यों किया गया है?
खड़गे ने प्रधान मंत्री से 2017-18 में केंद्रीय बजट के साथ भारतीय रेलवे के बजट को विलय करने का कारण भी पूछा, “क्या इससे भारतीय रेलवे की स्वायत्तता और निर्णय लेने की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है?” उन्होंने पूछा कि, “क्या यह लापरवाह निजीकरण को आगे बढ़ाने के लिए रेलवे की स्वायत्तता को कमजोर करने के लिए किया गया था?”
वहीं कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी ट्विटर पर सरकार को घेरा। उन्होंने लिखा, “रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने अभी बालासोर ट्रेन दुर्घटना पर अपनी रिपोर्ट भी नहीं दी है, उससे पहले ही CBI जांच की घोषणा कर दी गई। यह कुछ और नहीं बल्कि हेडलाइन मैनेजमेंट है, क्योंकि सरकार डेडलाइन पूरा करने में पूरी तरह से विफल है।”
जयराम रमेश ने ट्विटर पर लिखा, अब इस क्रोनोलॉजी को याद कीजिए-
1. 20 नवंबर 2016: इंदौर-पटना एक्सप्रेस कानपुर के पास पटरी से उतर गई। इस दुर्घटना में 150 से ज़्यादा लोगों की जान चली गई।
2. 23 जनवरी 2017: तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र लिखकर इस दुर्घटना की NIA जांच कराने की मांग की।
3. 24 फरवरी 2017: प्रधानमंत्री ने कहा कि कानपुर रेल दुर्घटना एक साज़िश है।
4. 21 अक्टूबर 2018: अख़बारों में रिपोर्ट आई कि NIA इस मामले में कोई चार्जशीट दाखिल नहीं करेगी।
5. 6 जून 2023: कानपुर ट्रेन हादसे पर NIA की अंतिम रिपोर्ट को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक ख़बर नहीं आई है। कोई जवाबदेही नहीं!
Even before the Commissioner of Railway Safety has submitted his report on Balasore train disaster, a CBI inquiry is announced. This is nothing but headlines management having failed to meet deadlines.
Ab yeh Chronology yaad kijiye 👇🏾
1. Nov 20, 2016: Indore-Patna Express…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 6, 2023
बता दें कि बालासोर हादसा के बाद सोमवार को बहनाला रेलवे स्टेशन से पहली बार फुल स्पीड में ट्रेन निकली। सुबह साढ़े 9 बजे हावड़ा-पुरी वंदे भारत एक्सप्रेस पहली ट्रेन है, जो ट्रैक के रिस्टोरेशन के बाद पहली बार फुल स्पीड में निकली। इस दौरान रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव भी मौजूद रहे और उन्होंने लोको पायलट को हाथ हिलाकर अभिवादन भी किया।
#WATCH | Howrah – Puri Vande Bharat Express crosses from Odisha’s Balasore where the deadly #TrainAccident took place on June 2.
Indian Railways resumed train movement on the affected tracks within 51 hours of the accident. pic.twitter.com/myosAUgC4H
— ANI (@ANI) June 5, 2023