ऐसे समय में जब कांग्रेस कर्नाटक में बड़ी जीत के बाद जश्न के मूड में है, उसे अपनी राजस्थान इकाई में एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने राजस्थान में अपनी पार्टी की सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भ्रष्टाचार के आरोपों पर 15 दिन का समय दिया है और साथ ही धमकी देते हुए कहा है कि अगर मुख्यमंत्री इसमें विफल रहे तो वे राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगे।
#WATCH | Massive crowd joins Congress leader Sachin Pilot's 'Jan Sangharsh Yatra' in Mahapura, Rajasthan. pic.twitter.com/0ifboq950K
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) May 15, 2023
वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली पिछली भाजपा सरकार के कथित भ्रष्टाचार के मामलों पर गहलोत सरकार की निष्क्रियता के विरोध में सचिन पायलट ने पांच दिवसीय “जन संघर्ष यात्रा” का नेतृत्व किया। पायलट की “जन संघर्ष यात्रा”, जो उन्होंने 11 मई को शुरू की थी, सोमवार को समाप्त हो गई।
सचिन पायलट ने जयपुर में कहा, ‘अगर इस महीने के अंत तक हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो मैं पूरे राज्य की जनता के साथ आंदोलन करूंगा। उन्होंने कहा, “हमने अभी गांधीवादी तरीके से अनशन किया है, अगर भ्रष्टाचार के आरोपों पर कार्रवाई नहीं हुई तो हम पूरे राज्य में आंदोलन करेंगे। हम हर गांव, हर टोले में जाएंगे।”
#WATCH | If our demands are not by the end of this month, then I will hold an 'andolan' with the public in the entire state. We will continue to raise the issues of the public: Rajasthan Congress MLA Sachin Pilot before the conclusion of his 'Jan Sangharsh Yatra' in Jaipur pic.twitter.com/jSjiEXTUkA
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) May 15, 2023
वहीं सचिन पायलट की ‘जन संघर्ष यात्रा’ पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि, ‘जिसकी जो मर्जी है वे करे, पिछले दिनों भी उन्होंने(सचिन पायलट) बहुत कुछ किया है। मैं दावे से कह सकता हूं कि भारत में अगर काबिल मुख्यमंत्रियों की कोई सूची बनाई जाए तो उसमें पहली पंक्ति में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम होगा। कांग्रेस पार्टी हर प्रकार की चुनौती से निपटना जानती है।’
Let anyone do what they want. Congress party knows how to deal with every challenge. Ashok Gehlot is one of the most capable CMs: Congress MP Adhir Ranjan Chowdhury on party MLA Sachin Pilot's 'Jan Sangharsh Yatra' in Rajasthan pic.twitter.com/mG4uwarRMM
— ANI (@ANI) May 15, 2023
पायलट और गहलोत के बीच मतभेद गहराने से कयास लगाए जा रहे हैं कि पायलट कांग्रेस छोड़ सकते हैं। यह सब तब शुरू हुआ जब राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने 2020 के विद्रोह में शामिल विधायकों पर भाजपा से पैसे लेने का आरोप लगाया। पायलट समेत 19 विधायकों ने राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन की मांग की थी, जिसके बाद उन्हंं डिप्टी सीएम के पद से बर्खास्त कर दिया गया था।
पायलट नियमित रूप से गहलोत सरकार पर निशाना साधने के लिए भ्रष्टाचार के मुद्दे का इस्तेमाल करते रहे हैं।
पायलट ने कहा है कि, “इसमें कोई दर्द नहीं है कि हम कुछ दिनों के लिए धूप में चल रहे हैं। लेकिन उन युवाओं के बारे में सोचिए जिनकी परीक्षा प्रश्न पत्र लीक होने के कारण रद्द हो गई। ये पेपर लीक भ्रष्टाचार के कारण होता है। मैं यह लंबे समय से कह रहा हूं कि हमारी सरकार भ्रष्टाचार के मुद्दे को प्रभावी ढंग से संबोधित नहीं कर रही है।”
सचिन पायलट ने जयपुर में लाखों की संख्या में आए लोगों को संबोधित करते हुए राजस्थान सरकार से तीन महत्वपूर्ण मांगे रखी –
पहली – RPSC को भंग कर पुनर्गठित किया जाए, सरकारी नौकरियों में भर्ती की प्रकिया को पारदर्शी बनाया जाए और इसमें महत्वपूर्ण पदों पर विश्वसनीय अधिकारियों की नियुक्ति की जाए।
दूसरी – पेपर लीक से आर्थिक नुकसान झेलने वाले बच्चों को उचित मुआवजा मिले।
तीसरी – वसुंधरा राजे के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की उच्चस्तरीय जांच।
सचिन पायलट ने अपनी तीनों मांगों के लिए कांग्रेस सरकार को 15 दिन का समय दिया है।
उन्होंने आगे कहा- “2018 में मैं पार्टी की राज्य इकाई का अध्यक्ष था। मैं पार्टी का चेहरा था। सरकार बनने के बाद, मुख्यमंत्री चेहरा बन जाता है। इसलिए गहलोत जी और मुझे एक साथ (चुनाव) लड़ना होगा। मेरी मांग बहुत सरल है। मैंने किसी का अपमान नहीं किया है, कभी किसी को गाली नहीं दी है। मैं जो कह रहा हूं वह यह है कि लोग देख रहे हैं कि हम क्या कार्रवाई कर रहे हैं क्योंकि आरोप लगाना आसान है।”
कांग्रेस की राज्य इकाई ने तब कहा था कि पायलट का विरोध पार्टी के हितों के खिलाफ था और पूर्व उपमुख्यमंत्री को आंतरिक रूप से अशोक गहलोत सरकार के साथ किसी भी मुद्दे को हल करना चाहिए। टोंक के इस विधायक के धरने पर कांग्रेस नेताओं ने भी कड़ी आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा कि अपनी ही सरकार के खिलाफ कोई भी विरोध स्पष्ट रूप से पार्टी विरोधी गतिविधि है।
गहलोत और पायलट दोनों ही 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत के बाद से सीएम पद के लिए लकड़हारे रहे हैं। पायलट के साथ-साथ उनके 18 वफादार विधायकों के गहलोत के खिलाफ विद्रोह करने पर दोनों नेताओं के बीच मतभेद बढ़ गए। अब पायलट ने 5-दिवसीय रैली निकली है और गहलोत सरकार पर उनके नियमित हमले इस साल के अंत में राजस्थान में विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही पार्टी के लिए अच्छे संकेत नहीं दे रहे हैं।