राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के हवाले से केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने संसद (लोकसभा) में बताया है कि बीते तीन साल – 2019 से 2021 में कुल 1.12 लाख दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की। श्रम मंत्री ने ये भी बताया कि इसी अवधि में 66912 गृहणियों, 53661 स्व-नियोजित व्यक्तियों, 43420 वेतनभोगी व्यक्तियों और 43385 बेरोजगारों ने भी आत्महत्या की।
NCRB का हवाला देते हुए श्रम मंत्री ने बताया कि, साल 2019-2021 के बीच कुल 112,233 गृहिणियों ने आत्महत्या की। साल 2019 में 21,359, साल 2020 में 22,374, और साल 2021 में 231,79 आत्महत्या महिलाओं ने की। इसके बाद साल 2019 में 20,441, साल 2020 में 20,543 और साल 2021 में 23,547 के साथ कुल 64,531 अन्य व्यक्तियों ने आत्महत्या की।
उन्होंने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि 35950 छात्रों के अलावा इन तीन सालों- 2019, 2020 और 2021 में 31,839 कृषि क्षेत्र में लगे किसानों और कृषि कार्य में लगे मजदूरों ने भी आत्महत्या की है। वर्ष 2019 में 10281, 2020 में 10677 और 2021 में 10881 लोगों ने आत्महत्या की।
इन तीन सालों- 2019, 2020 और 2021 में 43,385 बेरोजगार लोगों ने आत्महत्या की, जो साल 2019 में 14,019, 2020 में 15652 और साल 2021 में 13714 थे।
मंत्री ने बताया कि संगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008 के अनुसार असंगठित क्षेत्र जिसमें दिहाड़ी मजदूर भी शामिल हैं उन्हें सोशल सिक्योरिटी उपलब्ध कराना सरकार का दायित्व है। उनके लिए उचित वेलफेयर स्कीम्स बनाकर उन्हें जीवन, विकलांगता कवर, हेल्थ और मैटरनिटी बेनेफिट्स, ओल्ड एज प्रोटेक्शन के साथ दूसरे प्रकार के बेनेफिट सरकार उन्हें उपलब्ध करा सकती है। उन्होंने बताया कि जीवन और दुर्घटना बीमा, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के द्वारा कवर किया जाता है।
उन्होंने कहा कि जीवन और विकलांगता कवर प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) के माध्यम से प्रदान किया जाता है।
मंत्री ने कहा कि पीएमजेजेबीवाई 18 से 50 वर्ष की आयु के उन लोगों के लिए उपलब्ध है, जिनके पास बैंक या डाकघर में खाता है, जो ऑटो डेबिट में अपनी सक्षमता की सहमति देते हैं। श्रम मंत्री ने बताया कि 31 दिसंबर 2022 तक 14.82 करोड़ लाभार्थी इस योजना से जुड़ चुके हैं।
इससे पहले पिछले साल संसद के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद के सवाल का जवाब देते हुए गृह मंत्रालय ने कहा था कि साल 2014 से 2021 के बीच दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्याओं की संख्या लगभग तीन गुना बढ़ गई है। गृह मंत्रालय ने बताया था कि 2014 में जहां 15,735 दिहाड़ी मजदूरों ने खुदकुशी की, वहीं 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 42004 हो गया। गृह मंत्रालय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक, जहां 2014 में रोजाना 43 दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की, वहीं 2021 में 115 दिहाड़ी मजदूरों ने अपनी जान दे दी। साल 2014-2021 के बीच जिन पांच राज्यों में आत्महत्या में इजाफा हुआ उनमें तमिलनाडु, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और गुजरात शामिल हैं। वर्ष 2014 में तमिलनाडु में 3880 दिहाड़ी मजदूरों ने सुसाइड किया, तो वहीं 2021 में 7673 ने खुदकुशी की. इसी तरह से साल 2014 में महाराष्ट्र में जहां 2239 दिहाड़ी मजदूरों ने खुदकुशी की, वहीं ये संख्या 2021 में बढ़कर 5270 हो गई।