न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर शपथ लिया। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने सोमवार सुबह करीब 10:30 बजे दोनों न्यायाधीशों को शपथ दिलाई। वरिष्ठता के मामले में जस्टिस बिंदल देश के हाई कोर्ट जजों में दूसरे सबसे वरिष्ठ जज हैं, जबकि जस्टिस कुमार फिलहाल 26वें नंबर पर हैं। इन दोनों जजों के शपथ ग्रहण के साथ अब सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या 34 हो गई है। शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की अधिकतम संख्या भी 34 ही है। इसका मतलब यह हुआ कि फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में जजों का कोई पद रिक्त नहीं है।
मालूम हो कि इस साल मई से जुलाई के बीच, सुप्रीम कोर्ट के छह न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर पद छोड़ देंगे।
आइए जानते हैं कि कौन हैं न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार?
जस्टिस राजेश बिंदल: न्यायमूर्ति राजेश बिंदल को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया है। वे 11 अक्तूबर, 2021 से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे। न्यायमूर्ति बिंदल का मूल कैडर पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय है। उन्होंने 1985 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से एलएलबी किया और सितंबर 1985 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में पेशे से जुड़ गए। 22 मार्च, 2006 को उन्हें पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। उन्होंने जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय और कलकत्ता उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में भी काम किया। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार न्यायमूर्ति बिंदल ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में अपने कार्यकाल के दौरान लगभग 80,000 मामलों का निस्तारण किया। उनका जन्म 16 अप्रैल 1961 को हुआ था।
जस्टिस अरविंद कुमार: न्यायमूर्ति अरविंद कुमार को गुजरात उच्च न्यायालय से उच्चतम न्यायालय में पदोन्नत किया गया है। वे 13 अक्टूबर, 2021 से गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे। न्यायमूर्ति कुमार का मूल कैडर कर्नाटक उच्च न्यायालय है। न्यायमूर्ति कुमार ने 1987 में एक वकील के रूप में अपना कार्य शुरू किया था। वर्ष 1999 में उन्हें कर्नाटक उच्च न्यायालय में अतिरिक्त केंद्र सरकार के स्थायी वकील के रूप में नियुक्त किया गया था। न्यायमूर्ति कुमार को 2009 में कर्नाटक उच्च न्यायालय के एक अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में और बाद में दिसंबर 2012 में एक स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था।