अंतरराष्ट्रीय संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपनी वर्ल्ड रिपोर्ट 2023 में कहा है कि भारत की बीजेपी सरकार ने एक्टिविस्ट समूहों और मीडिया तंत्र पर हमला तेज कर दिया है। वैश्विक स्तर पर मानवाधिकारों की स्थिति को लेकर ह्यूमन राइट्स वॉच ने 100 से ज्यादा देशों की रिपोर्ट जारी की है।
712 पेज के इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदू राष्ट्रवादी बीजेपी की सरकार ने मुसलमान और अन्य अल्पसंख्यकों को दबाने के लिए अपमानजनक और भेदभावपूर्ण नीतियां अपनाई हैं। भाजपा समर्थकों ने लक्षित समूहों के खिलाफ तेजी से हिंसक हमले किए हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार की हिंदू बहुसंख्यकवादी विचारधारा अलग अलग संस्थानों के कामों में में पक्षपात में परिलक्षित हुई है जिसमें न्याय व्यवस्था और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जैसे संवैधानिक संस्था भी शामिल रहे।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि, ”पूरे भारत में एक्टिविस्ट, पत्रकारों और सरकार के अन्य आलोचकों को राजनीतिक कारणों से आपराधिक मामलों में गिरफ़्तार किया जा रहा है। इसमें आतंकवाद संबंधी मामले भी हैं। प्रशासन आयकर छापों, वित्तीय अनियमितताओं को आरोपों और विदेशी अंशदान विनियम अधिनियम के ज़रिए मानवाधिकारों के लिए काम करने वालों को परेशान कर रहा है।”
The BJP-led govt in #India repressed Muslims and other minorities. Authorities arrested critics on politically motivated charges, harassed them with allegations of financial irregularities & used summary punishments without due process #Rights2023 @hrw
https://t.co/O8hs1w6IHU pic.twitter.com/FgTWQh4tuU— meenakshi ganguly (@mg2411) January 12, 2023
रिपोर्ट कहती है कि अधिकारियों ने जम्मू-कश्मीर में स्वतंत्र अभिव्यक्ति और शांतिपूर्ण विधानसभा पर प्रतिबंधों को तेज किया। इस रिपोर्ट में आगे लिखा है कि ”बीजेपी शासित राज्यों में प्रशासन ने मुसलमानों के घर और संपत्तियां तोड़ी हैं और ये कदम बिना क़ानूनी वैधता या प्रक्रिया के तहत उठाया गया है। ऐसा विरोध प्रदर्शन या कथित अपराधों की सज़ा के तौर पर किया गया है।”
रिपोर्ट में कहा गया है कि मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम फैसले में औपनिवेशिक युग के राजद्रोह कानून के इस्तेमाल को प्रभावी ढंग से रोक दिया। इस क़ानून का उपयोग सरकार के आलोचकों को गिरफ्तार करने के लिए किया जाता रहा।
ह्यूमन राइट्स वॉच की दक्षिण एशिया की निदेशक मीनाक्षी गांगुली ने कहा है कि, ”बीजेपी सरकार के द्वारा हिंदू बहुसंख्यकवादी विचारधारा को बढ़ावा देने से प्रशासन और उनके समर्थक, अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हिंसात्मक कार्रवाई कर रहे हैं। अधिकारियों को आलोचकों को जेल भेजने के बजाय उत्पीड़न करने वाले पार्टी के सदस्यों और समर्थकों पर लगाम लगानी चाहिए।”
रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर की स्थिति के संबंध में कहा गया है कि, ‘जम्मू-कश्मीर का स्वायत्त दर्जा हटाने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के तीन सालों बाद भी अभिव्यक्ति की आज़ादी, शांतिपूर्ण सभाओं और अन्य अधिकारों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। तीन साल बाद, अक्टूबर तक 229 मौतें हुई, जिसमें 28 नागरिक, 29 सुरक्षा बल के जवान और 172 संदिग्ध आतंकवादी शामिल थे’।
रिपोर्ट में बिलकिस बानो के मामले का ज़िक्र करते हुए कहा गया है कि, ”2002 के दंगों के दौरान एक गर्भवती मुसलमान महिला के गैंगरेप के मामले में11 हिंदुओं को सजा पूरी होने से पहले ही रिहा कर दिया गया। उन्हें आजीवन कारावास की सजा मिली थी।” रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के ‘टू फिंगर टेस्ट या वर्जिनिटी टेस्ट’ पर प्रतिबंध लगाने के फ़ैसले का भी ज़िक्र किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने साल 2022 के पहले नौ महीनों में पुलिस हिरासत में 147 मौतें, न्यायिक हिरासत में 1,882 मौतें, और 119 कथित न्यायेतर हत्याएं दर्ज कीं।
इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में ईसाइयों को निशाना बनाने के लिए जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने को लेकर क़ानून बनाए गए हैं।