इलेक्शन कमीशन ने चुनावों में धन-बल के बढ़ते उपयोग को लेकर गंभीर चिंता जताई है। चुनाव आयोग ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट मे हलफनामा दायर कर कहा है कि आयोग ने चुनावों में ‘धन-बल’ को रोकने के लिए कई उपायों को अपनाया है, जैसे कि 2010 के बिहार में हुए विधानसभा चुनावों के बाद चुनाव व्यय निगरानी तंत्र बनाया गया था। आयोग ने कोर्ट को बताया कि आयोग उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के अत्यधिक चुनाव खर्च को रोकने में काफी हद तक कामयाब रहा है। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह राजनीतिक दलों की ओर से चुनावी खर्च में की जा रही बढ़ोतरी पर ‘गंभीरता से चिंतित’ है।
The Election Commission of India on Thursday reassured the Supreme Court that it had, time and again, adopted various measures to curb the menace of ‘money power’ in elections, such as the election expenditure monitoring mechanism in place..
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चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में ये हलफनामा एक जनहित याचिका के जवाब में दाखिल किया है। चुनाव आयोग ने अपने हलफनामे में बताया है कि धन-बल के दुरुपयोग को रोकने के लिए विभिन्न उपाय अपनाए हैं। भविष्य में भी ऐसा करना जारी रहेगा। चुनाव व्यय निगरानी तंत्र को प्रभावी ढंग से लागू किया है। हलफनामे में कहा गया है कि मौजूदा निगरानी तंत्र में व्यय पर्यवेक्षक, सहायक व्यय पर्यवेक्षक, वीडियो निगरानी टीम, वीडियो देखने वाली टीम, लेखा टीम, शिकायत निगरानी और कॉल सेंटर, मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति, फ्लाइंग स्क्वाड और स्थैतिक निगरानी दल शामिल हैं।
हलफनामे में यह भी बताया गया है कि केंद्रीय और राज्य की कानून प्रवर्तन एजेंसियों की सेवाएं नियमित रूप से लगी हुई हैं और उनकी टीमों को चुनावी खर्च की निगरानी के लिए मतदान वाले राज्यों में तैनात किया गया है। चुनाव आयोग ने अपने जवाब में याचिका में की गई प्रार्थनाओं को ‘अस्पष्ट और आधा-अधूरा’ बताया है और याचिकाकर्ता की ईमानदारी पर प्रश्न उठाया है। चुनाव आयोग ने याचिका को खारिज करने का आग्रह किया है। याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग को उचित दिशा-निर्देश देने की प्रार्थना की है ताकि चुनावों में अतिरिक्त खर्च को रोकने के लिए कार्रवाई की एक व्यापक योजना तैयार की जा सके, जिसमें दोषी उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई के कड़े और प्रभावी प्रावधान हों। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि आयोग पर ‘विश्वसनीयता और लोकतांत्रिक सुधार लाने’ के लिए ईमानदारी से चुनावी खर्च की जांच करने का दबाव बनाया जाए।
मालूम हो कि प्रभाकर देशपांडे नाम के एक व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिसमें राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा अत्यधिक चुनावी खर्च को रोकने एवं दोषी उम्मीदवारों और पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एक व्यापक योजना का निर्देश देने की मांग की गई थी।