CBI ने सोमवार को वीडियोकॉन के के CEO वेणुगोपाल धूत को मुंबई से गिरफ्तार कर लिया है। ICICI बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में ये गिरफ्तारी हुई है। इससे पहले, एजेंसी ने शुक्रवार को ICICI बैंक की पूर्व CEO और MD चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को अरेस्ट किया था।
Central Bureau of Investigation arrests Videocon chairman Venugopal Dhoot in ICICI bank fraud case: CBI sources
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— ANI (@ANI) December 26, 2022
चंदा कोचर पर आरोप है कि बैंक की सीईओ और एमडी रहते हुए उन्होंने नियमों को ताक पर रखते हुए वीडियोकॉन को लोन दिया। उन्होंने ऐसा अपने पति दीपक कोचर को फायदा पहुंचाने के लिए किया था। ये मामला मार्च 2018 में सामने आया था। इस मामले के सामने आने के बाद चंदा कोचर को ICICI बैंक के सीईओ और एमडी पद से इस्तीफा देना पड़ा था। चंदा कोचर को 2009 में बैंक ने सीईओ और एमडी बनाया था।
इस केस की टाइमलाइन ये है-
दिसंबर 2008: वीडियोकॉन के एमडी वेणुगोपाल धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के साथ मिलकर एक कंपनी न्यूपावर रिन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड बनाई। इसमें कोचर के परिवार और धूत की हिस्सेदारी पचास-पचास फीसदी थी। दीपक कोचर को इस कंपनी का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया।
जनवरी 2009: धूत ने न्यूपावर में डायरेक्टर का पद छोड़ दिया। उन्होंने ढाई लाख रुपए में अपने 24,999 शेयर्स भी न्यूपावर में ट्रांसफर कर दिए।
मार्च 2010: धूत ने न्यूपावर कंपनी को अपने ग्रुप की कंपनी सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के जरिए 64 करोड़ रुपए का लोन दिया।
नवंबर 2010: धूत ने कोचर की न्यूपावर कंपनी को लोन देने वाली सुप्रीम एनर्जी में अपनी हिस्सेदारी महेशचंद्र पुंगलिया को दे दी।
अप्रैल 2012: इंडियन एक्सप्रेस की खबर में दावा किया गया कि वीडियोकॉन ग्रुप की पांच कंपनियों को अप्रैल 2012 में 3250 करोड़ रुपए का लोन दिया गया था। ग्रुप ने इस लोन में से 86% यानी 2810 करोड़ रुपए नहीं चुकाए। इसके बाद लोन को 2017 में एनपीए घोषित कर दिया गया।
सितंबर 2012: पुंगलिया ने धूत से मिली सुप्रीम एनर्जी कंपनी की हिस्सेदारी दीपक कोचर की अगुआई वाले पिनैकल एनर्जी ट्रस्ट के नाम कर दी। 94.99 फीसदी होल्डिंग वाले शेयर्स महज 9 लाख रुपए में ट्रांसफर कर दिए गए।
24 जनवरी, 2019: सीबीआई ने चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। 30 जून 2019 को, बैंक द्वारा बनाए गए पैनल ने कहा कि चंदा कोचर ने बैंक के कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन किया है। बैंक ने अप्रैल 2009 और मार्च 2018 के बीच उन्हें दिए गए सभी बोनस को वापस लेने का फैसला किया। उन्होंने इसके बाद फरवरी 2019 में चंदा कोचर को टर्मिनेशन लेटर दे दिया।
जनवरी 2020: ED ने चंदा कोचर और उनके परिवार की 78 करोड़ रुपये से ज्यादा के एसेट्स को अटैच किया। इसी साल ईडी ने दीपक कोचर से पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।
सीबीआई ने इस मामले में क्या खुलासा किया है?-
– सीबीआई की FIR के मुताबिक, ICICI बैंक की एमडी और सीईओ रहते हुए चंदा कोचर ने अपने पद का गलत फायदा उठाया और गैर-कानूनी तरीके से वीडियोकॉन को लोन दिया।
– सीबीआई के मुताबिक, बैंक की कमेटी ने 26अगस्त 2009 को वीडियोकॉन को 300 करोड़ रुपये का लोन मंजूर किया। 7 सितंबर 2009 को ये लोन वीडियोकॉन को दिया गया। अगले ही दिन यानी 8 सितंबर को वीडियोकॉन ग्रुप ने इस लोन से 64 करोड़ रुपये नूपॉवर रिन्यूएबल को दिए।
– इन 300 करोड़ के अलावा ICICI बैंक ने 2009 से 2011 के बीच वीडियोकॉन ग्रुप को पांच अलग-अलग लोन के जरिए 1,575 करोड़ रुपये दिए।
– चंदा कोचर के एमडी और सीईओ रहते हुए ICICI बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप को 3,250 करोड़ रुपये का लोन दिया था। ये लोन बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, आरबीआई की गाइडलाइंस और बैंक की क्रेडिट पॉलिसी का उल्लंघन कर दिया गया।
कौन हैं वेणुगोपाल धूत?
71 साल के वेणुगोपाल धूत का जन्म मुंबई में हुआ था। इनकी पहचान भारतीय बिजनेसमैन की है। फोर्ब्स के अनुसार, 2015 में उनकी संपत्ति 1.19 बिलियन डॉलर थी और तब वे भारत के 61वें और दुनिया के 1190वें सबसे अमीर आदमी थे। वीडियोकॉन के फाउंडर, चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में उन्होंने काम किया था।
मालूम हो कि सीबीआई की एक विशेष अदालत द्वारा बीते शनिवार को चंदा कोचर और दीपक कोचर को 26 दिसंबर तक सीबीआई हिरासत में भेजने के बाद कई बातों का खुलासा हुआ। वीडियोकॉन ग्रुप के वेणुगोपाल धूत इस मामले में सह-आरोपी हैं। NRL को 24 दिसंबर, 2008 को दीपक कोचर, वेणुगोपाल धूत और सौरभ धूत के साथ कंपनी के पहले डायरेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया था। वेणुगोपाल धूत और सौरभ धूत ने 2009 में कंपनी के निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया था।