कोलकाता में शनिवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ईस्टर्न जोनल काउंसलिंग की बैठक के ही दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बीएसएफ की राज्य में ज्यादा एक्टिव होने को लेकर शिकायत की। ममता ने बैठक में कहा कि प्रदेश में कुछ जगहों पर बीएसएफ अति सक्रिय है तो कई जगहों पर बिलकुल निष्क्रिय है। ममता ने ये भी आरोप लगाया कि बीएसएफ राज्य प्रशासन के कामों में भी दखल दे रही है। इस बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और BSF अधिकारियों के बीच बहस भी हुई। जानकारी के मुताबिक, जब ये बहस हुई तो बैठक में दौरान गृहमंत्री अमित शाह भी मौजूद थे।
Our Hon'ble Chief Minister Smt. @MamataOfficial attended the 25th Eastern Zonal Council meeting today. The meeting was graced by several dignitaries and hosted by the Government Of West Bengal.
We extend our regards and gratitude to all the attendees.
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— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) December 17, 2022
दरअसल, ममता बनर्जी BSF को बॉर्डर के 50 किलोमीटर अंदर तक कार्रवाई के अधिकार देने से नाराज चल रही हैं। उनका कहना है कि इससे आम लोगों को अधिक परेशानी हो रही है।
मालूम हो कि केंद्र सरकार ने नए कानून के तहत BSF को इंटरनेशनल बॉर्डर से 50 किलोमीटर तक के इलाके में कार्रवाई करने का अधिकार दिया है। इसके लिए मजिस्ट्रेट के आदेश या वारंट की जरूरत नहीं पड़ती है। इससे पहले BSF के पास इंटरनेशनल बॉर्डर के 15 किमी अंदर तक ही कार्रवाई करने एक अधिकार था। इसे लेकर ममता बनर्जी का कहना है कि BSF के पास ज्यादा पॉवर है, जो लोगों और अफसरों के बीच तालमेल नहीं बनने देता। इसी वजह से आम लोग परेशान हो रहे हैं।
इसी साल मई में ममता बनर्जी ने कहा था कि BSF वाले गांवों में घुसकर लोगों को मार रहे हैं और दूसरी तरफ बांग्लादेश में फेंक रहे हैं। उन्होंने BSF पर आरोप लगते हुए कहा था कि BSF इंटरनेशनल बॉर्डर के उस पार गायों की तस्करी कराती है। उन्होंने कहा था कि BSF लोगों की हत्या करके उनके शव बांग्लादेश में फेंक देती है, और उसका इल्जाम बंगाल पुलिस पर आता है। इसलिए मैंने प्रदेश के पुलिस को कहा है कि वे BSF को राेकें। दिसंबर में पश्चिम बंगाल विधानसभा ने BSF के अधिकार क्षेत्र का दायरा बढ़ाए जाने के खिलाफ प्रस्ताव भी पास किया था।
अक्टूबर 2021 में केंद्र सरकार ने बढ़ाया था BSF का अधिकार क्षेत्र-
पिछले साल अक्टूबर महीने में BSF एक्ट में बदलाव करते हुए गृह मंत्रालय ने पाकिस्तान और बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर BSF का अधिकार क्षेत्र बढ़ा दिया था। इसके बाद BSF अधिकारियों को पश्चिम बंगाल, पंजाब और असम में देश की सीमा से लगे 50 किलोमीटर तक के इलाके में तलाशी, गिरफ्तारी और जब्ती की अनुमति मिल गई थी। इस फैसले से पंजाब में राजनीतिक विवाद भी शुरू हो गया था। पंजाब में पहले किसी भी कार्रवाई में BSF स्थानीय पुलिस की मदद से काम करती थी। लेकिन नए संशोधन के बाद कांग्रेस और अकाली दल ने इसका खूब विरोध किया। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने इसे राज्य के अधिकारों पर हमला बताया था।