केंद्रीय कानून मंत्री ने ‘कॉलेजियम सिस्टम’ को लेकर ऐसी बात कह दी है जिसने एक नए बहस को जन्म दे दिया है। कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने एक राष्ट्रीय न्यूज चैनल के समिट में कहा कि ‘भारत के संविधान के लिए कॉलेजियम सिस्टम “एलियन” की तरह है’। ज्ञात हो कि ‘कॉलेजियम सिस्टम’ वो व्यवस्था है जिसके माध्यम से देश की न्यायपालिकाओं में जजों की नियुक्ति की जाती है।
Law Minister Kiren Rijiju launches fresh attack on mechanism to appoint Supreme Court and high court judges, says collegium system is "alien" to Constitution
— Press Trust of India (@PTI_News) November 25, 2022
कानून मंत्री ने उक्त कार्यक्रम में कहा, ‘अदालतों या कुछ न्यायाधीशों के फैसले के कारण कोई भी चीज संविधान के प्रति सर्वथा अपरिचित (एलियन) हो सकती है। ऐसे में आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि उस फैसले का देश समर्थन करेगा।’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत का संविधान हम सब के लिए, खासकर सरकार के लिए एक ‘धार्मिक दस्तावेज’ है। आप मुझे बताइए कि संविधान के किस प्रावधान में कॉलेजियम प्रणाली का जिक्र किया गया है। कॉलिजियम सिस्टम हमारे संविधान से अलग है। इसमें कई खामियां हैं और लोग आवाज उठा रहे हैं कि यह सिस्टम पारदर्शी नहीं है। कोई जवाबदेही भी नहीं है। किरेन रिजिजू ने कहा कि ये ‘कॉलिजियम सिस्टम’ हमारे संविधान के प्रति सर्वथा अपिरिचित शब्दावली है।
कानून मंत्री ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के कॉलेजियम से सिफारिश भेजे जाने के बाद सरकार को उस पर काम करना पड़ता है। उन्होंने कहा, ‘ऐसा कहना बिल्कुल उचित नहीं है कि सरकार फाइलों को दबाकर बैठी है। और अगर ऐसा है तो फिर आप सरकार को फाइलें मत भेजो। खुद नियुक्ति करें और शो चलाते रहें। सिस्टम ऐसे काम नहीं करता है। कार्यपालिका और न्यायपालिका को मिलकर काम करना होगा’।
कानून मंत्री ने कहा, लगभग सर्वसम्मति से संसद ने कॉलिजियम सिस्टम को बदलने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) अधिनियम पारित किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को रद्द कर दिया।
कानून मंत्री ने कहा कि साल 1991 से पहले सभी न्यायाधीशों की नियुक्ति सरकार द्वारा की जाती थी। उन्होंने कहा, ‘कॉलेजियम सिस्टम’ का हम तब तक सम्मान करते हैं जब तक कि इससे बेहतर सिस्टम नहीं बन जाता है। रिजिजू ने कहा कि वह इस बहस में नहीं पड़ना चाहिए हैं कि य सिस्टम कैसा होना चाहिए। इसके लिए बेहतर मंच और सही स्थिति का इंतजार है।
कानून मंत्री ने कहा कि भारत सरकार ‘कॉलेजियम सिस्टम’ की प्रक्रिया का पूरा सम्मान करती है क्योंकि हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुसार कोई भी न्यायपालिका का अपमान नहीं कर सकता है साथ ही उन्होंने कहा कि इस ‘कॉलेजियम सिस्टम’ को शीर्ष अदालत ने ही स्वविवेक से एक सुनवाई के दौरान बनाया है। उन्होंने कहा कि कार्यपालिका और न्यायपालिका दो भाइयों की तरह हैं और इन्हें आपस में लड़ने की आवश्यकता नहीं है। केंद्र सरकार ने कभी भी न्यायपालिका को कमजोर नहीं होने दिया है और सरकार यह हमेशा सुनिश्चित करेगी कि उसकी स्वतंत्रता जस की तस बनी रहे।
ये कोई पहला मौक़ा नहीं है जब केंद्रीय कानून मंत्री ने ‘कॉलेजियम सिस्टम’ पर सवाल खड़ा किया है. बीते दिनों उन्होंने उदयपुर में आयोजित कार्यक्रम में कहा था कि न्यायिक नियुक्तियों में तेजी लाने के लिए वर्तमान में चल रहे ‘कॉलेजियम सिस्टम’ पर विचार करने की जरूरत है।