समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। याचिका में कहा है कि समलैंगिक विवाह को भी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत लाया जाना चाहिए। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि केरल हाईकोर्ट भी तो इस मामले की सुनवाई रहा है। इस पर वकील संजय किशन कौल ने कहा कि केरल हाईकोर्ट में बीते दो साल से मामला लंबित है और यह संवैधानिक अधिकार का मामला है। उसके बाद CJI चंद्रचूड़ की बेंच ने इस मामले में कानूनी मान्यता देने के परीक्षण की सहमति व्यक्त की। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने मामले की सुनवाई की और सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी की बहस को सुनने के बाद केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और अटॉर्नी जनरल को अलग-अलग नोटिस जारी करते हुए 4 हफ्ते में जवाब मांगा है। अटार्नी जनरल को भी नोटिस जारी किया और साथ ही ये कहा कि केरल समेत अलग-अलग हाईकोर्ट में लंबित याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर कर एक साथ सुना जाएगा।
Supreme Court issues notice to Centre on gay couple plea seeking legal recognition of same-sex marriage under the Special Marriage Act pic.twitter.com/0dIu1Wy5nG
— ANI (@ANI) November 25, 2022
सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दायर की गई है उसमे LGBTQ+ समुदाय के सदस्यों को अनुच्छेद 32 के तहत अपने पसंद से शादी का अधिकार देने की मांग की गई है। साथ ही कोर्ट से ये भी बताने के लिए कहा है कि LGBTQ+ समुदाय के सदस्यों को भी अन्य नागरिकों की तरह संवैधानिक और मौलिक अधिकार हैं।शीर्ष अदालत में इस मामले में दो याचिकाएं दाखिल की गई है।
पहली याचिका- एक गे कपल ने शीर्ष अदालत में कहा है कि वह एक-दूसरे से प्यार करते हैं और बीते 17 सालों से एक दूसरे के साथ संबंध में हैं। कपल दो बच्चों की परवरिश भी कर रहे हैं, लेकिन वे कानूनी रूप शादी नहीं कर सकते हैं। इनका कहना है कि उनकी शादी को कानूनी मान्यता न मिलने के कारण ऐसी स्थितियां पैदा हुई है, जिसके तहत वह अपने दोनों बच्चों को न ही अपना नाम दे सकते हैं और न ही उनसे कानूनी संबंध रख सकते हैं।
दूसरी याचिका – हैदराबाद के रहने वाले एक गे कपल- सुप्रियो चक्रवर्ती और अभय दंगड़ ने शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की है। इन्होने विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग की है। इनका कहना है कि अपने रिश्ते का जश्न मनाने के लिए इन्होने 9वीं सालगिरह पर कमिटमेंट सेलिब्रेशन आयोजित किया था। दिसंबर 2021 में एक कमिटमेंट समारोह हुआ था, जिसमें उनके माता-पिता, परिवार और दोस्त भी शामिल हुए। लेकिन इस सबके बावजूद वो दोनों वैवाहिक जीवन व्यतीत नहीं कर सकते हैं।
वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि यह नवतेज सिंह जौहर और पुट्टुस्वामी फैसले से संबंधित मसला है, जो अधिकारों से जुड़ा है। हम धर्म से जुड़े हिन्दू मैरिज एक्ट पर नहीं जा रहे. यही कह रहे हैं कि विशेष विवाह अधिनियम में यह स्पष्ट प्रावधान हो। नवतेज सिंह जौहर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध ठहराने वाली धारा 377 को असंवैधानिक करार दिया गया था। पुट्टास्वामी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि LGBTQ+ लोगों को समानता, गरिमा और निजता का अधिकार है।
बता दें कि इससे पहले सितंबर 2021 में CJI चंद्रचूड़ ने कहा था कि IPC की धारा 377 को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से LGBT समुदाय के लोगों को कानूनी रूप से एक सशक्त नागरिक के रूप में उभरने में मदद मिलेगी।