भारत की केन्द्रीय विधायिका (संसद) के निचले सदन, लोकसभा के 2024 में चुनाव होने तक ढेर चुनाव हैं। इनमें ‘हम भारत के लोग‘ के स्वतंत्र , संप्रभुता सम्पन्न गणराज्य के राष्ट्रपति का चुनाव भी है। भारत के संविधान के प्रावधानों के तहत इस पद पर एक कार्यकाल पाँच बरस का है।
मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द का पहला कार्यकाल 25 जुलाई 2022 तक है। उसके पहले ही नए राष्ट्रपति का चुनाव होगा। उन्होंने 25 जुलाई 2017 को भारत के 14वें राष्ट्रपति और उसकी सेनाओँ के सर्वोच्च कमांडर का पद संभाला था। वह राष्ट्रपति चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार एक बार फिर हो सकते है। लेकिन इस बारे में अभी तक कोई अधिकृत घोषणा नहीं की गई है। वह मूलतः उत्तर प्रदेश के हैं और राष्ट्रपति बनने के पहले 1991 में भाजपा में शामिल होने के बाद इसी प्रदेश से राज्यसभा के लिए 1994 और फिर 2000 में चुने गए थे। वह 8 अगस्त 2015 से बिहार के राज्यपाल रहे। वह 2017 में भी राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा के ही प्रत्याशी थे। कहते हैं उनकी उम्मीदवारी मोदी जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक (प्रमुख) मोहन भागवत की सहमति से तय की थी। तब चर्चा थी शिक्षा से पशु-चिकित्सक डॉक्टर भागवत स्वयं ही राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी हो सकते हैं.भाजपा, आरएसएस को अपना मूल संगठन मानती है। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। डॉ. भागवत ने आरएसएस का ही संचालन करते रहना बेहतर समझा होगा।
रामनाथ कोविन्द का जन्म एक अक्टूबर 1945 को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिला की डेरापुर तहसील के परौंख गाँव में हुआ था। वह कोली / कोरी जाति से है जो उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जातियों में शामिल है तो गुजरात और उड़ीसा में अनुसूचित जनजातियों में है। वह विधि स्नातक की शिक्षा के बाद दिल्ली हाई कोर्ट में 1977 से 1979 तक केंद्र सरकार के वकील रहे। उन्हें भाजपा के नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) ने 19 जून 2017 को राष्ट्रपति चुनाव में अपना उम्मीदवार घोषित किया। तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने प्रेस कांफ्रेंस में इसकी घोषणा कर कहा था कोविंद जी ने दलित उत्थान के लिए बहुत काम किया है। उन्हें संविधान का अच्छा ज्ञान है, इसलिए वे अच्छे राष्ट्रपति सिद्ध होंगे।
चुनाव परिणाम 20 जुलाई 2017 को घोषित हुआ जिसमें एनडीए प्रत्याशी ने 65.65 फीसद वोट पाकर कांग्रेस के यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (यूपीए) की प्रत्याशी और दिवंगत पूर्व रक्षा मंत्री की बेटी मीरा कुमार को करीब 3 लाख 34 हजार वोटों के अंतर से हरा दिया। भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) में अधिकारी रह चुकी मीरा कुमार लोकसभा की पूर्व स्पीकर भी हैं।
रामनाथ कोविन्द ने 25 जुलाई 2017 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। वह भाजपा दलित मोर्चा और अखिल भारतीय कोली समाज के अध्यक्ष भी रहे। भारत के राष्ट्रपति यानि राष्ट्राध्यक्ष के बतौर रामनाथ कोविन्द ने अब तक 28 राष्ट्रों की यात्रा की है, जिनमें से उन्हें छह देशों का सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिला है।
निर्वाचक मण्डल
राष्ट्रपति का चुनाव भारत के नागरिक अप्रत्यक्ष रूप से एक निर्वाचक मण्डल के जरिए करते हैं जो संसद के दोनों सदनों के सदस्यों और सभी 28 राज्यों और मौजूदा तीन केंद्र शासित प्रदेशों, दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू–कश्मीर विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों का होगा। निर्वाचक मण्डल में अभी 776 सांसद और कुल 4120 विधायक हैं। मगर यह संख्या राष्ट्रपति चुनाव होने तक बदल भी सकती है।
आसनसोल लोकसभा सीट और बालीगंज विधानसभा सीट (पश्चिम बंगाल), कोल्हापूर विधान सभा सीट (महाराष्ट्र) बोचहा विधानसभा सीट (बिहार) में हाल में पूरे हुए। राज्यसभा की 72 सीटों पर 2022 में हो रहे द्विवार्षिक चुनावों में कुछ के परिणाम निकले हैं। कुछ और सीटों पर वोटिंग होनी है। उनके परिणामों से राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचक मण्डल में मोदी सरकार समर्थक एनडीए और विपक्षी यूपीए के समर्थकों की संख्या में फेरबदल हो सकता है। फेरबदल कितना कम या ज्यादा होगा लाख टके के इस सवाल का जवाब भविष्य के गर्भ में है।
देश के लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष चरित्र पर बढ़ते हमलों के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की पहल पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), पूर्व रक्षा मंत्री शरद पवार के नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) आदि 13 दलों की तरफ से हाल में जो सांझा बयान जारी किया गया है वह राष्ट्रपति चुनाव से पहले की सियासी लामबंदी भी है। मराठा छत्रप पवार कह चुके हैं वह इस चुनाव के उम्मीदवार नहीं हैं। सोनिया गांधी के प्रत्याशी बनने का सवाल ही नहीं उठता है, क्योंकि उनके पास राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की अनिवार्य पात्रता नहीं है। ये पात्रता भारत का सहज नागरिक होने की है जिसका हम आगे विस्तार से जिक्र करेंगे।
निर्वाचक मण्डल के सदस्यों के एकल अहस्तांतरणीय वोट को जटिल फार्मूला से इस तरह अलग-अलग भार आवंटित किये जाते है कि सांसदगणों और विधायकगणों के कुल वोट का कुल भार लगभग एकसमान हो और उनके राज्यों की आबादी के अनुपात में भी बराबर हो। ये फार्मूला भारत के संविधान में अंतर्निहित एक वोट एक मूल्य सिद्धांत की बुनियादी गारंटी के अनुपालन में शुरू से अपनाई गई है। भारत के संविधान के आर्टिकल 55 और 58 के तहत राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का भारत का सहज (नेचुरल) नागरिक होना भी अनिवार्य है। इसका सीधा अर्थ है जिनकी भारत की नागरिकता जन्मना नहीं हैं और जिन्होंने देश की नागरिकता अपने विवाह के बाद अर्जित की है वे इस पद के लिए चुनाव नहीं लड़ सकते है।
प्रत्याशी के नामांकन पत्र पर निर्वाचक मण्डल के कम से कम 50 प्रस्तावक और 50 अनुमोदनकर्ता का हस्ताक्षर अनिवार्य है। ये शर्त इसलिए रखी गई कि कोई भी अगंभीर प्रत्याशी इस चुनाव में खड़े नहीं हो सके। पहले काका जोगिंदर सिंह धरतीपकड़ बरेली वाले भी मजाक–मजाक में इस चुनाव में अपने नामांकन के पर्चे पर दो-चार प्रस्तावक और अनुमोदनकर्ता से जाने अनजाने दस्तखत करवा के उम्मीदवार बन जाते थे। राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचन अधिकारी हमेशा की तरह से लोकसभा के सेक्रेटरी जनरल होंगे।
राष्ट्रपति को संविधान के तहत भारत की सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर का दर्जा जरूर प्राप्त है लेकिन इसकी शक्ति वास्तविक रूप में प्रधानमंत्री में निहित हैं।
भारत के संविधान के भाग 5 के आर्टिकल 56 के तहत राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का है। अगर उसके पहले पद रिक्त हो जाता है तो उपराष्ट्रपति के कार्यवाहक राष्ट्रपति बनने का प्रावधान है। अगर किसी कारण यह संभव नहीं होता तो आर्टिकल 70 के तहत संसद को वैकल्पिक व्यवस्था करने का अधिकार है।
भारत के संविधान के पूर्ण बल से 26 जनवरी 1950 को गणराज्य में परिणत होने के बाद कुल 14 राष्ट्रपति हुए हैं। थोड़े समय के लिए तीन कार्यवाहक राष्ट्रपति हुए। इनमें 1969 मे राष्ट्रपति पद पर जाकिर हुसैन के निधन के उपरांत वीवी गिरी प्रमुख हैं जो कुछ ही माह बाद राष्ट्रपति चुने गए। वह ऐसे एकमात्र व्यक्ति हैं जो कार्यवाहक राष्ट्रपति और राष्ट्रपति भी रहे। भारत की संविधान सभा के अध्यक्ष रहे डॉ. राजेन्द्र प्रसाद एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जो दो बार राष्ट्रपति रहे। आठ राष्ट्रपति ऐसे रहे जो इस पद पर चुने जाने के पहले किसी राजनीतिक दल में थे। उनमें से छह कांग्रेस के , एक नीलम संजीवा रेड्डी , जनता पार्टी के और रामनाथ कोविन्द भाजपा के सदस्य थे। दो राष्ट्रपति, डा. जाकिर हुसैन और फखरुद्दीन अली अहमद का निधन इस पद रहते हुआ। तब नए राष्ट्रपति चुने जाने तक तत्कालीन उपराष्ट्रपति को कार्यवाहक राष्ट्रपति का पदभार सौंपा गया था। जाकिर हुसैन के निधन पर दो कार्यवाहक राष्ट्रपति हुए। तत्कालीन उपराष्ट्रपति गिरी ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए कार्यवाहक राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। तब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद हिदायतुल्ला कार्यवाहक राष्ट्रपति बने थे। उस बार राष्ट्रपति चुनाव में वीवी गिरी को स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी ही पार्टी के दिग्गज नेताओं द्वारा नियंत्रित कांग्रेस के आधिकारिक प्रत्याशी नीलम संजीवा रेड्डी के खिलाफ समर्थन कर दिया था। देश के 12 वें राष्ट्रपति के रूप में 2007 में प्रतिभा पाटिल को सर्वप्रथम महिला राष्ट्रपति चुना गया था।