वाराणसी: ललित कला विभाग में पिछले एक महीनो से मिट्टी के खिलौने, मुखोटे तथा म्यूरल कला की कार्यशाला का समापन दिन गुरुवार को विभाग के प्रभारी डॉ सुनील कुमार विश्वकर्मा ने प्रशिक्षु शैलेंद्र विश्वकर्मा तथा सुचिता सिंह को सम्मानित कर किया।
कार्यशाला के समापन अवसर पर डॉ सुनील कुमार विश्वकर्मा ने कहा कि गृह सज्जा के कार्य के साथ क्राफ्ट कला की शिक्षा में आज की आवश्यकता है। यह शिक्षा रोजी-रोजगार के उद्देश्य से नवयुवक कलाकारो को प्रेरणा का विषय है।
इस कार्यशाला का प्रशिक्षु सत्येंद्र विश्वकर्मा ने बताया कि लगभग 30 छात्र-छात्राओं ने पिछले एक महीनो तक मिट्टी द्वारा खिलौने,मुखोटे, म्यूरल, हैंगिंग प्लांटर बनाने की कला की बारीकियों से अवगत हुए।इस अवसर पर प्रशिक्षु सूचिता सिह ने बताया कि देश में कोरोना के कारण लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है,ऐसे कला को सीख कर छात्र-छात्रा समाज में रोजी-रोजगार के प्रति प्रेरणा देकर समाज की आवश्यकताओ को पूर्ति करेगे। इस कार्यशाला में लगभग 150 कलाकृतियों का निर्माण किया,जिसमें विभाग के बी.एफ़.ए. पाठ्यक्रम के छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर डॉक्टर रामराज, डॉक्टर शत्रुघ्न प्रसाद, डॉ स्नेह लता कुशवाहा, डॉक्टर सविता यादव, शालिनी कश्यप एवं विभाग के कर्मचारी,तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।