15 अगस्त 2021 को रविवार के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वाधीनता दिवस की 75वीं सालगिरह के मौके पर लालकिले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित किया। प्रधानमंत्री के रूप में श्री मोदी ने विगत सवा 7 साल में अलग – अलग मौकों पर अब तक कुल कितने भाषण दिए होंगे , इसकी गिनती कर पाना तो एक दुष्कर काम है लेकिन लाल किले से इस मौके पर दिया गया उनका यह आठवां भाषण था। मोदी ने इस हैसियत से सबसे पहले देश को साल 2014 में देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद संबोधित किया था।
गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी उसी साल संपन्न सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने थे। तब से वो इस पद पर बने हुए हैं और इसी हैसियत से स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से भाषण देते हुए उन्होंने सात बरस पूरे करने के बाद इस साल आठवें बरस में प्रवेश कर लिया है। इस देश में आजादी के बाद अब तक जितने भी गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने हैं उनमें नरेन्द्र मोदी लाल किले से सबसे अधिक बार संबोधित करने वाले प्रधानमंत्री बन गए हैं। इस मामले में अपनी पार्टी के एक मात्र पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का रिकॉर्ड तो श्री मोदी दो साल पहले ही तब तोड़ चुके थे जब 2019 में दूसरी बार भारी बहुमत से सरकार का गठन करने के तीन महीने बाद उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले की प्राचीर से राष्ट्र को सम्बोधित किया था।
इस संदर्भ में कांग्रेस के सबसे कम समय तक प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी और पीवी नरसिम्ह राव का रिकॉर्ड श्री मोदी पहले ही तोड़ चुके थे। अटल बिहारी वाजपेयी की तरह कांग्रेस के ये दोनों प्रधानमंत्री भी पांच – पांच साल के लिए ही प्रधानमंत्री के पद पर आसीन रहे थे। इस लिहाज से नरेन्द्र मोदी को कांग्रेस के डॉक्टर मनमोहन सिंह जैसे प्रधानमंत्री का ही रिकॉर्ड तोडना बाकी रह गया है। गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी के पूर्वाधिकारी डॉक्टर मनमोहन सिंह ने भाजपा नेता स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के उत्तराधिकारी के रूप में साल 2004 में प्रधानमंत्री का पद संभाला था और वो इस पद पर पूरे दस साल तक बने रहे थे।
अगले तीन साल तक इस पद पर बने रहने पर नरेंद्र मोदी और मनमोहन सिंह का कार्यकाल बराबर हो जाएगा और इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा उनके नेतृत्व में फिर जीत कर आई और वही देश के प्रधानमंत्री बने तो इस दौड़ में मोदी डॉक्टर सिंह से भी आगे निकल जाएंगे।
कोरोना नियमों की पाबंदियों के तहत मनाए गए इस बार के स्वाधीनता दिवस समारोह की एक खासियत इस रूप में देखी जा सकती है कि जब प्रधानमंत्री ने लाल किले में झंडा फहराया तब पहली बार हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई। कहा जा रहा है की कोविद नियमों के अनुपालन में ऐसा किया गया लेकिन यह तर्क गले उतरने वाला नहीं है क्योंकि जब प्रधानमंत्री झंडे के डंडे को छू सकते हैं और झंडे में लगी रस्सी को हाथ से पकड़ कर उसकी गाँठ खोल सकते हैं तब फूलों को हाथ लगाने से कोविद के नियम का उल्लंघन होता है , यह समझ से परे की बात है।
जाहिर है यह महज दिखावा ही था। इसके साथ ही एक दिलचस्प बात यह भी हुई कि उनके भाषण में एक बात लगातार तीन बार से दोहराई जा रही है , वो इस बार फिर दोहराई गई। याद होगा कि नरेंद्र मोदी ने 2019 में इसी लाल किले से दिए गए अपने छठे स्वाधीनता दिवस संबोधन में सौ लाख करोड़ रुपए की एक योजना का जिक्र किया था। प्रधानमंत्री के भाषण के मुताबिक़ इस योजना के अंतर्गत देश में आधुनिक तरीके के बुनियादी ढाँचे के विस्तार और विकास में यह रकम खर्च की जानी है। यही घोषणा पिछले साल के भाषण में भी की गई थी और इस साल के भाषण में भी इसका जिक्र है। एक ही योजना का बार – बार जिक्र होने पर भी कोई ऐतराज नहीं किया जा सकता लेकिन आश्चर्य इस बात पर होता है कि जब देश का कुल वार्षिक बजट ही 30 से 40 लाख करोड़ रुपए के बीच की राशि का हो तब उस बजट की एक ही योजना सौ लाख करोड़ रुपए की कैसे हो सकती है , यह बात भी कुछ समझ में नहीं आया।
ऐसा हम ही नहीं कह रहे हैं बल्कि प्रधानमंत्री का भाषण सुनने के बाद देश के कुछ आर्थिक विशेषज्ञों ने भी इस पर घोर आश्चर्य व्यक्त किया है। सोशल मीडिया में भी सर्वत्र इस घोर आश्चर्य की चर्चा है। प्रधानमंत्री जब सुबह साढ़े सात बजे के आसपास लालकिला पहुंचे तब उनकी अगवानी के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहले से ही वहाँ मौजूद थे। अपने सम्बोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने स्वाधीनता संग्राम सेनानियों को नमन किया और ओलम्पिक खिलाडियों का ताली बजाकर सम्मान किया। प्रधानमंत्री ने कोरोना वीरों का भी तहे दिल से शुक्रिया अदा किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार अपने लाल किला संबोधन में कहा कि देशवासियों ने कोरोना के खिलाफ असाधारण गति से काम किया है। उन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए देश के उन वैज्ञानिकों के प्रति भी कृतज्ञता व्यक्त की जिनकी वजह से समय पर कोरोना के टीके का स्वदेश में ही आविष्कार हो गया। उन्होंने कहा कि यह हमारे देश के वैज्ञानिकों की ताकत का ही कमाल है कि कोरोना महामारी के संकट के इस दौर में भारत को टीके के लिए दुनिया के किसी अन्य देश की तरफ देखना नहीं पड़ा। वैसे भी जब पूरी दुनिया के देश एक साथ इस परेशानी से जूझ रहे थे तब कौन किसकी मदद करता भी तो करता कैसे ?कोरोना की वैक्सीन का समय पर उपलब्ध होना इसलिए भी बड़ी बात है क्योंकि भारत समेत दुनिया के ज्यादातर विकासशील देशों ने अतीत में पोलियो के दिनों की त्रासदी झेली है।
पोलियो के टीके और दवा के आने में कई दशक का समय लग गया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों के इस कमाल के चलते ही भारत में विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान संपन्न हो चूका है और अब तक भारत के 54 करोड़ नागरिकों का टीकाकरण हो चुका है। इस बार के स्वाधीनता दिवस भाषण को इस लिहाज से थोड़ा अलग कहा जा सकता है क्योंकि प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि आजादी के अमृत महोत्सव का एक लक्ष्य यह भी है की सरकार नागरिकों के जीवन में बेवजह दखल न दे और सबका साथ , सबका विकास , सबका विश्वास और सबका प्रयास के नारे को अमल में लागू कर विकास की रफ़्तार को और तेज करें। आम तौर पर पंद्रह के भाषण में प्रधानमंत्री अगले एक साल के दौरान उनकी सरकार द्वारा किये जाने वाले कार्यक्रमों की जानकारी देते हैं लेकिन इस बार श्री मोदी ने अपनी सरकार की भावी योजनाओं की जानकारी देने के साथ ही विगत एक साल में किये गए सरकार के कार्यों की जानकारी भी दी है।
इनमें उन सभी कार्यों का वर्णन है जो कई दशक से संपन्न होने का इन्तजार कर रहे थे। इनमें कश्मीर से धारा 370 के हटने से लेकर राम मंदिर के शिलान्यास का रास्ता साफ़ होने , एक देश एक कर की व्यवस्था लागू होने और सेना में एक पद , एक पेंसन जैसी व्यवस्था लागू होने तक अनेक योजनाओं के नाम लिए जा सकते हैं।