दिल्ली/ राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद को संतोष कुमार सारंगी ने (IAS) कुछ महीनों पहले ही जॉइन किया है चैयरमैन की।हैसियत से। लेकिन इनके काम काज का आंकलन दिखने लगा है हाल फिलहाल की घटनाओं से की जब किसी संस्था का चैयरमैन या मुखिया अच्छी सोच और दूरदर्शी हो तो कुछ बदलाव किये जा सकते है। ये बदलाव लाने के लिए ही शिक्षा मंत्रालय और dopt के पहल पर उन्हें यहाँ का चैयरमैन बनाया गया। ओडिशा से आने वाले सारंगी काफी सुलझे विचारों के ईमानदार अधिकारी है ये उनकी ईमानदारी ही है कि उनके आते ही बरसों से NCTE में भ्रष्टाचार के लंबित मामलों में अब गति आनी शुरू हो गई हैं। मामलें ऐसे अजीबोगरीब है जिनमे तुरंत कारवाई होनी चाहिए लेकिन पैसों के बल पर NCTE के नियमों को ताक पर रखकर पूर्व में कई बार भ्रष्टाचार को दबाने की।कोशिश हुई।
संस्था में व्यापक रूप से बदलाव की बहार आप ऐसे समझिये एक मामले की शिकायत तक्षकपोस्ट को दिल्ली की सामाजिक संस्था बोधिसत्व फाउंडेशन की तरफ से की गई जांच में पाया गया की शिकायत में वाराणसी के एक महादेव महाविद्यालय ने ना केवल राज्य सरकार को चूना लगाया बल्कि केंद्र सरकार को भी ठगा है। संस्था की शिकायत पर मंत्रालय और आईएएस अधिकारी मनीष गर्ग ने तुरंत संज्ञान लेते हुये आवश्यक कारवाई के लिए भेजा। पूर्व चैयरमैन की उदासीनता तो जग जाहिर है और उनके ऑफिस में वो कभी नहीं पाये गये, ऐसे में कार्यालय की गतिविधियों पर भी काम नहीं किया जा रहा था, लगातार शिकायतों के बाद उनको हटा कर संतोष कुमार सारंगी को यहाँ लाया गया और अब जाकर गलत तरीके से जमे बैठें ऐसे फ़र्ज़ी और जालसाज़ी के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई है हालांकि ये एक शुरुआत है। बहुत ऐसे मामलों में न्याय की जरूरत है।
देखना ये दिलचस्प होगा कि वाराणसी प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र भी है और प्रदेश में भाजपा की सरकार भी जो इस समय राजस्व विभाग के साथ धोखाधड़ी के मामलों में बहुत सख्त है , फिर इस कॉलेज की शिकायत ही जमीन को अवैध तरीके से कब्जा करके फेब्रिकेटेड दस्तावेज़ बनवा कर मान्यता लेंने की है। जिसपर मुकदमा भी स्थानीय अदालतों में लंबित है सीधे शब्दों में देखा जाये तो लैंड विवादित हैं। ऐसे में NCTE का ये कदम सराहनीय है। और अब इस कॉलेज को दोबारा इस रोक को हटाने के लिए जमीन के रजिस्टर्ड कागज़ देने होंगे। जो नियमों के हवाले से जरूरी हैं।
तक्षकपोस्ट की टीम ने पाया कि कागज़ के मामलों को दबाने के लिए पूर्व में उल्टे सीधे तरीके से उलझाया गया, जबाव भी गैर जिम्मेदाराना है जिसे मिनट्स ऑफ मीटिंग में आराम से देखा जा सकता है। इसी कॉलेज के डिप्लोमा का आवेदन इसी जमीन के फ़र्ज़ी कागज़ों को देखकर रद्द किया जा चुका है , दूसरी तरफ इसी फ़र्ज़ी कागज़ पर B.ed चलाया जा रहा है।
NCTE के नियमों के हवाले से रजिस्टर्ड लैंड के कागज़ होने जरूरी है जिसकी सिफारिश जस्टिस वर्मा कमेटी ने भी 2014 में की है। मतलब नियमों में साफ लिखा है कि रजिस्टर्ड जमीन के कागज़ के बिना B. ed की मान्यता नहीं मिल सकते। ऐसे में NCTE का ये कदम सैकडों छात्रों के साथ न्याय है जिन्हें ऐसे धोखे की जानकारी नहीं होती।
NEP को लेकर केंद्र सरकार की सक्रियता और ऐसे मामलों में कारवाई ये दर्शाती है कि अब फर्ज़ीवाड़े पर रिश्वतखोरी के जरिये आराम करने वालों की खैर नहीं। रिफॉर्म बहुत जरूरी है। शिक्षा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल मे भी भ्रष्टाचार और रिफॉर्म की बात की थी जिसे अब सारंगी के जरिये मंजिल पर पहुंचते देखा जा सकता है।