वाराणसी/ जर जोरू और जमीन के मामलें बड़े अजीब होते है जिनकी है वो बचाने को परेशान जिनकी नहीं है वो कब्ज़ाने को परेशान। आम आदमी की कोई सुनवाई करने वाला नहीं है। ऐसा ही एक अजीबोग़रीब मामला बोधिसत्व फाउंडेशन के द्वारा तक्षकपोस्ट को मिला। मामले को जांचने और परखने के बाद ये पता चला कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के 2017 के उस आदेश की भी धज्जियां इन मामले में उड़ाई जा रही है जिसमें उन्होंने ऐसे फर्ज़ीवाड़े को रोकने के लिए जमीन और खातेदारों का नाम और अंश निर्धारण करने का आदेश दिया था, इस मामलें में केवल ग्रामीण क्षेत्र गांव बरियासनपुर में गड़बड़ी है, क्योंकि यहां मस्ती पाठशाला चल रही है जिसमें छौंक लगा है फर्ज़ीवाड़े का। राजस्व विभाग को चूना लगा कर पूर्व SDM , तहसीलदार, लेखपाल सब कि मिली भगत से फ़र्ज़ी कागज़ और मन माना बयाना कोई भी लिखवा के जमीन का मालिक बन सकता है!!! नहीं ये कानून की नजर में 420 कहलाती है-
सामाजिक संस्था ने ऐसी ही एक मामलें की शिकायत पिछले साल मुख्यमंत्री सहित जिलाधिकारी और राजस्व विभाग के साथ पुलिस अधिकारियों को की थी जिसे उस समय IG मीना ने आगे बढ़ाया, और आदेश दिए कारवाई करने के जिसे तहसीलदार की मिली भगत से दबा कर फ़ाइल को गायब कर दिया गया। आरोप है एक निजी महाविद्यालय महादेव के द्वारा करवाया गया और बेहद गोपनीय संस्था की शिकायत की कॉपी को महाविद्यालय को तहसील से पहुंचाया जिसके बाद आरोपी महाविद्यालय का प्रबंधक अजय सिंह के बेजा इस्तेमाल कर के संस्था के पदाधिकारी को जान से मारने की धमकी दी गई, इस के बाद संस्था के महिला पदाधिकारी के द्वारा IG meena को और प्रदेश के अन्य विभागों को लिखित में शिकायत की गई।
क्या है पूरा मामला-
दरअसल इस महाविद्यालय की जमीन को लेकर विवाद है , जिस जमीन पर इसकी बिल्डिंग बनाई गई है वो जमीन विवादित है और स्थानीय कचहरी में इसका मामला लंबित है इस जमीन पर कुल 8 मुक़दमे है, जाहिर है की ऐसे में स्वामित्व का निर्धारण नहीं है, आरोप है की महादेव महाविद्यालय के द्वारा 2005 में गलत तरीके से पैसों के बल पर खतौनी में अपना नाम चढ़वाया गया, जिसका पता भूस्वामियों को होने पर उन्होंने इस फर्ज़ीवाड़े को न्यायालय में चुनौती दी हुई है। अब देखिए चालाकी कैसे फर्जीवाड़ा होता है राजस्व में स्थानीय भ्रष्ट और चोरी में डूबे लोगों को चंद पैसे पकड़ा कर के कोई भी कागज़ बनवाना आसान है।
इस मामलें में भी ऐसा ही है सवाल है क्या कोई भी व्यक्ति अपने घर में बैठकर सरकारी कामकाज में दखल दे सकता है सरकारी कागज़ों में हेरफेर कर सकता है ???
कानूनन ये अपराध है और ऐसे मामलों में पकड़े जाने पर तत्काल जेल हो जाती है। पर इस मामलें में सबकी मिली भगत से आजतक कोई कारवाई नहीं हुई बल्कि और गैरजिम्मेदाराना तरीके से तारीख पर तारीख की तर्ज़ पर नकली कागज़ बन कर मिल जाते है, सूत्रों के हवाले से हमें ये भी पता चला कि CLU करवाने के लिए 22 लाख की रिस्वत तक दी गई है क्योंकि Whistleblowers Protection Act)-2014 के तहत सुरक्षा की दृष्टि से खुलासा नहीं कर सकते। अभी 3 जून 2021 को भी गलत तरीके से जिलाधिकारी कार्यालय से कागज़ बनाये गए है जिसकी सत्यापन की जांच होनी जरूरी है।
सवाल ये है आम आदमी ऐसे मामलों में क्या करें-
भारत के संविधान में ये अधिकार है किसी भी आम आदमी को की वो राज्य सरकार या केंद्र सरकार के खिलाफ होने वाले ऐसे किसी भी धोखाधड़ी की शिकायत कर सकता है इसलिए CVO जैसे महत्वपूर्ण पद बनाये गए है। किसी के अधिकार का हनन ना हो ये देखने के लिए। वरना कानून नहीं होने की दशा में कोई भी जाकर प्रधानमंत्री भवन को भी अपने नाम लिखवा ले।
इस मामलें में भी ऐसा ही हो रहा ऐयासी और दारूबाजी के अधार पर सरकार के खिलाफ चोरी और अपराध किये जा रहे है बेखौफ होकर। दंडित करने की जगह अपराधी अजय सिंह को हर सूचना पहुंचाने वाले को तुरंत निलंबित करने के साथ इस मामले में अजय सिंह पर भी कारवाई और इस 420 करने के आरोप मे अंदर करने की जरूरत है ताकि अपराधियो के हौसले को बल ना मिले।
नये आये SDM अभी कुछ दिनों पहले ही आये है नंदकिशोर कलाल का रिकॉर्ड भ्रष्टाचार के खिलाफ़ काफी सख्त रहा है उम्मीद है इस मामलें में भी न्याय और न्यायपालिका का पालन करते हुये इस फर्ज़ीवाड़े और नकली कागज़ बनाने वाले को दंडित करते हुये। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के हवाले से इस गांव का अंश निर्धारण किया जाये ताकि सरकार के खिलाफ काम करने वाले और अपराधी मानसिकता के लोगों पर सख्ती की जाये। प्रशासन को सुचारू रूप से चलाये जाने के लिए ये आवश्यक है। और नकली कागज़ और उप जिलाधिकारी के नाम से होने वाले दुरुपयोग पर भी लगाम लग सके। मेवाड़ की माटी में ईमानदारी और देश की मिट्टी के लिए स्वाभाविक लगाव होता है ये नंदकिशोर के पिछले पोस्टिंग में खूब निखर कर सामने आया है।