दीपक पांडेय/ ऊत्तरप्रदेश में भाजपा के राज में बहु बेटियों की इज्जत किस तरह खतरे में है ये उन्नाव के मामलें में पूरी दुनिया ने देखा, यहाँ तक हाथरस में रात के अंधेरे में पेट्रोल डाल कर पीड़ित बेटी की लाश तक जला दी गई। ये हाल है प्रदेश में महिलाओं के साथ होने वाले सलूक का और न्याय मांगने पर पूरे परिवार का खात्मा इसलिए कर दिया जाता है क्योंकि गुंडों को राजनैतिक संरक्षण मिला हुआ हैं। इस बार उन्नाव मामलें के आरोपी अरुण सिंह को पंचायत चुनाव में जिला अध्यक्ष का टिकट दिया है !! अरुण सिंह पर उन्नाव पीड़िता के पिता का हत्या का आरोप है।
बीजेपी में ऐसे बलात्कारी बड़े आराम से घूमते है और राजनैतिक सुख का आनंद भी लेते रहते है। अब देख लीजिए कि उन्नाव पीड़ित नाबालिक बेटी को आज तक न्याय नहीं मिला। इस मामलें के आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर मजे से घूम रहा है और उसकी बीवी को जिला पंचायत सदस्य का टिकट योगी के राज में मिल गया, बाद में हंगामा मचने पर टिकट कैंसिल किया गया। अब एक बार फिर उन्नाव की पीड़िता बेटी के पिता की हत्या में आरोपित अरुण सिंह को बीजेपी ने जिला पंचायत अध्यक्ष का टिकट दे दिया है जिसका विरोध पीड़िता ने किया और राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से निवेदन किया कि ऐसे व्यक्तियों को टिकट नहीं दिया जाये। जब हर तरफ़ से विरोध होने लगा तब बीजेपी ने नाबालिग रेप पीड़िता के आरोपी कुलदीप सेंगर की पत्नी की तरह नाबालिग रेप पीड़िता के पिता के हत्या के आरोपी अरुण सिंह का भी टिकट काट दिया गया।
लगातार उन्नाव नाबालिग रेप पीड़िता के आरोपी को संरक्षण और फिर टिकट ये दर्शाता है कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा बुलंद करने वाली बीजेपी उन्नाव की नाबालिग रेप पीड़ित बेटी के साथ देने की जगह आरोपियों के साथ खड़ी है।
क्या था पूरा उन्नाव का मामला –
4 जून 2017 को उन्नाव की रहने वाली 17 साल की नाबालिग लड़की ने आरोप लगाया था कि बीजेपी के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के घर नौकरी मांगने गई थी। तब विधायक ने अपने घर पर उसका रेप किया। उसके बाद अचानक 11 जून 2017 को पीड़िता गायब हो गई थी और 12 जून 2017 को पीड़िता की मां ने थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। तों 20 जून 2017 को औरैया के एक गांव से पुलिस ने पीड़िता को बरामद किया था। 22 जून 2017 को पुलिस ने पीड़िता को कोर्ट में पेश किया, जहां 164 CRPC के तहत पीड़िता का बयान लिया गया था। पीड़िता ने कोर्ट में जो बयान दिया, उसमें विधायक का नाम नहीं था। क्योकिं पुलिस ने बयान में विधायक का नाम नहीं लेने दिया था। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सीबीआई ने तत्कालीन डीएम समेत दो आईपीएस को दोषी मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी और सीबीआई ने एक आईएएस और दो आईपीएस अधिकारियों को मामले में दोषी मानते हुए विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की थी।
3 अप्रैल 2018 को कोर्ट ने पीड़िता की मां की अर्जी पर सुनवाई के बाद पीड़िता के पिता को कथित तौर पर विधायक सेंगर के भाई अतुल सिंह और उसके लोगों ने बुरी तरह पीटा लेकिन पुलिस ने उल्टा इस मामले में पीड़िता के पिता पर आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया और दो दिनों तक हिरासत में रखा। जिसके बाद पीड़िता के पिता की मौत हो गई थी। उसके बाद 10 अप्रैल 2018 को पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हत्या की बात सामने आने पर पुलिस ने विधायक के भाई को गिरफ्तार कर लिया था। लेकिन तबतक कुलदीप सेंगर पर कोई मुकदमा नहीं हुआ था। जब पीड़िता को उन्नाव में न्याय मिलने की उम्मीद ख़त्म हो गयी तब पीड़िता ने 8 अप्रैल 2018 को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सरकारी आवास के बाहर आत्मदाह करने की कोशिश की। इसके बाद मामला सोशल मीडिया पर तूल पकड़ने लगा तब 10 अप्रैल 2018 को शासन के आदेश के बाद एसपी ने माखी एसओ समेत 6 पुलिसकर्मियों को निलंबित और मारपीट के 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था।
मामला उछलने पर 11 अप्रैल 2018 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले पर स्वतः संज्ञान लिया और मामले को बढ़ता देख और हर तरफ से विरोध होने पर योगी सरकार ने मामले को सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया था। इससे पहले जिला प्रशासन ने बीजेपी विधायक पर कोई केस नहीं दर्ज किया था। इसे सत्ता की पहुँच और संरक्षण ही कहा जायेगा अन्यथा इतने दिनों तक कोई आरोपी नहीं बच सकता है। इस मामले में आरोपी सेंगर को बचाने में एक स्थानीय पत्रकार के साथ मौजूदा कृषि मंत्री का दामाद भी शामिल है।
12 अप्रैल 2018 को सीबीआई ने विधायक कुलदीप सेंगर को नाबालिग से रेप का आरोपी बनाया था और 13 अप्रैल 2018 को कुलदीप सेंगर को सीबीआई ने पूछताछ के लिए हिरासत में लिया, बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर कुलदीप सेंगर को गिरफ्तार कर लिया गया था। 18 अगस्त 2018 को उन्नाव गैंगरेप केस में एक गवाह की संदिग्ध हालात में मौत हुई थी। उसके बाद प्रशासन ने बिना पोस्टमार्टम के जल्दबाजी में उसे दफना दिया था और 28 जुलाई 2019 को रेप पीड़िता अपने वकील और दो रिश्तेदारों के साथ रायबरेली से उन्नाव लौट रही थी। उसी समय एक ट्रक ने टक्कर मारी थी जिसमें पीड़िता की मौसी और चाची की मौत हो गयी थी।
पीड़िता को मजबूरन आत्मदाह के लिए उकसाया-
उन्नाव रेप पीड़िता को न्याय पाने के लिये पहले आत्मदाह करना पड़ा तब मामला सोशल मीडिया पर आया इसके बाद भी सत्ता संरक्षित आरोपियों ने पीड़िता के पिता की हत्या पुलिस कस्टडी में करवा दी, इसके बाद एक गवाह को मरवा दिया। इसके बाद भी पीड़िता नहीं डरी तों आरोपियों ने पीड़िता को ही खत्म करने के लिये पीड़िता का ट्रक से एक्सीडेंट करवा दिया।
मानना पड़ेगा उस बेटी की इच्छाशक्ति को उसके आत्मविश्वास को जो की इतने कठिनाईयों के बाद भी नहीं डरी और आरोपियों को सलाखों में पहुँचा के ही दम लिया। उन्नाव केस ने बीजेपी और योगी सरकार के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ नारे के पीछे छिपे चेहरे को उजागर कर दिया। क्योंकि इस केस में पहले आरोपियों को बचाने के लिये सरकार, उसके डीएम और पुलिस ने आरोपियों को बचाया. फिर आरोपियों और आरोपियों के रिश्तेदारों को राजनितिक संरक्षण के साथ चुनावों का टिकट दे रही है।
योगी जी को मुख्यमंत्री बने कुछ ही दिन हुये थे जब ये कांड हुआ इसके बाद से उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में उत्तर प्रदेश की मिट्टी का कण कण बेटियों के आँसुओं और खून से रंग गया है। उत्तर प्रदेश को योगी सरकार ने बेटियों के ख़िलाफ़ अपराध और हिंसा की भूमि बना दिया है। महिलाओं के उत्पीड़न और अपराध में तेजी से वृद्धि हुयी है। योगी जी और उनकी सरकार द्वारा केवल मूक दर्शक बन कर एक के बाद एक महिलाओं और मासूम बच्चियों पर होते अपराध को चुप चाप देखे जा रहे है। अपराधियों पर कार्यवाई करके दंड देने के जगह उन्हें संरक्षण दिया जा रहा है।
योगी सरकार के कार्यकाल में देवरिया और कानपुर के सरकारी बाल संरक्षण गृह में बालिकाओं के साथ घटित डरावनी खबर आप सभी जानते ही है। आगरा और कासगंज में रेप पीड़िता को आरोपियों ने गाड़ियों से कुचलकर मार दिया। सुदीक्षा भाटी मनचलों की छेड़खानी से बचने के दौरान औरंगाबाद में सड़क हादसे में मौत हो गयी थी। गाज़ियाबाद में भांजी के साथ छेड़छाड़ का विरोध करने पर कुछ मनचले गुण्डे किस तरह बेरहमी से पत्रकार विक्रम जोशी की हत्या करके निकल गये।हाथरस की घटना किसी से छिपी नहीं है कि योगी सरकार ने पीड़ित बेटी और उसके परिवार के साथ कैसा व्यवहार किया था।
योगी सरकार की आत्ममुग्धता और सत्ता के अहंकार में बेटियों की आवाज सुनने, हक और न्याय देने की जगह, बेटियों की आवाज दबाने, न्याय का गला घोंटने पर ज्यादा ध्यान है। उसी का परिणाम है कि हाथरस, बाराबंकी, बलरामपुर, भदोही और उन्नाव जैसी घटनायें लगातार बढ़ती चली जा रही है। केवल जगह और स्थान का नाम बदल रहा है लेकिन बेटियों के ऊपर अपराध और क्रूरता वही है। लंबे-लंबे भाषणों, TV, अखबार, होल्डिंग और झूठे विज्ञापनों के बल पर अपनी साख बनाने वाली योगी सरकार उप्र की बेटियों के लिये अभिशाप बन गयी है, बेटियों के ख़िलाफ़ अपराधों और हिंसा को छिपाने के लिये झूठे विज्ञापनों, चारण पत्रकारों और मीडिया चैनलों का सहारा ले रही है.चारण मीडिया, विज्ञापनों और भाषणों के द्वारा बुने गये, राम राज, जीरो अपराध और उत्तम प्रदेश की पोल खोलने के लिये उन्नाव और हाथरस की घटना काफी है।