बाद के दौर में फिल्म और टेलीविज़न के परेश रावल और स्मृति इरानी सरीखे अन्य अनेक सितारे भी राजनीति में आए और आज तक जमे भी हुए हैं। फिल्म और टेलीविज़न से नाम कमा कर राजनीति में अपनी पैंठ बनाने वाले नेताओं ने किसी एक पार्टी को आधार नहीं बनाया बल्कि इन कलाकारों को हर पार्टी ने अपने साथ लेकर अपना आधार और मजबूत बनाने में ही अपनी खैर समझी है। कांग्रेस से लेकर भाजपा , सपा , बसपा , तेलुगु देशम पार्टी , अन्नाद्रमुक , द्रमुक , बीजू जनता दल अगप , तृणमूल कांग्रेस और शिवसेना तक देश की सभी पार्टियों में फिल्म और टेलीविज़न के क्षेत्र से आए असंख्य कलाकार अपनी राजनीतिक भूमिका का बहुत ही सकारात्मक निर्वाह करते दिखाई भी दे रहे हैं। इन कलाकारों का जमघट यूँ तो सभी पार्टियों में है लेकिन केंद्र और देश के आधे से ज्यादा राज्यों में सत्तासीन होने के नाते भारतीय जनता पार्टी में इन कलाकारों की संख्या आश्चर्यजनक रूप से कहीं ज्यादा है। हाल के दिनों में तो एक – एक कर देश के सैकड़ों फिल्म और टेलीविज़न कलाकारों ने भाजपा का दामन थामा है। इस श्रंखला में ताजा नाम मिथुन चक्रवर्ती का है। किसी जमाने में खुद को धुर वामपंथी मानने वाले मिथुन चक्रवर्ती ने पिछले दिनों कोलकाता के परेड ग्राउंड मैदान में तृणमूल कांग्रेस से नाता तोड़ कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्यता ली थी। पार्टी में शामिल होने के बाद शामिल होने के बाद अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती ने यह कहने से भी संकोच नहीं किया कि ‘वह एक कोबरा हैंऔर कभी भी पलटवार कर ही वार में ही काम तमाम कर देंगे। वो पलटवार कर किसका काम तमाम करेंगे , यह तो वक़्त आने पर ही पता चलेगा लेकिन जानकार लोग मानते हैं कि ऐसा कह कर उन्होंने एक तीर से दो निशाने किये हैं उनका एक निशाना तो अपनी पुरानी पार्टी की तरफ है तो दूसरे निशाने पर उन्होंने अपनी मौजूदा पार्टी को भी भविष्य का संकेत दिया है।
मिथुन का राजनीति से नाता पुराना है। वह लंबे समय तक वामपंथी विचारधारा से से जुड़े रहे हैं । बताया जाता है कि जब बंगाल में वाम मोर्लेचे की सरकार थी तब उनका माकपा के वरिष्ठ नेता और राज्य के तत्कालीन परिवहन एवं खेल मंत्री सुभाष चक्रवर्ती के साथ बहुत करीबी संबंध भी रहा था । इसके बाद वह ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे । ममता की पार्टी ने 2014 में उन्हें अपने टिकट पर राज्यसभा पहुंचाया लेकिन दो साल बाद शारदा चिट फंड घोटाले में अपना नाम आने के बाद उन्होंने संसद की सदस्यता छोड़ दी। पिछले दिनों आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात के बाद उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें लगने लगीं थीं और प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की कोलकाता में आयोजित चुनाव रैली में वो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के निर्देश पर चलने वाली धुर दक्षिण पंथी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। धुर वाम पंथ से धुर दक्षिण पंथ तक की उनकी यात्रा रोमांचक रही हो या न रही हो लेकिन उनके चाहने वालों के लिए इस यात्रा के हर पड़ाव चौंकाने वाले जरूर रहे होंगे। बताते हैं कि मिथुन के भाजपा में शामिल होने की एक वजह यह भी है कि तृणमूल कांग्रेस में बंगाली फिल्म और टेलीविज़न के कलाकारों का जमावड़ा जरूरत से ज्यादा बड़ा हो गया था ,इसलिए मिथुन जैसे अपेक्षा कृत अधिक अनुभवी , वरिष्ठ और राष्ट्रीय ख्याति के कलाकार के लिए सितारों की भीड़ वाली इस क्षेत्रीय पार्टी में रहना असहज लगने लगा था और उन्होंने राष्ट्रीय स्टार की पार्टी भाजपा की शरण लेना ही बेहतर समझा। ये भी एक कारण हो सकता है लेकिन असली कारण तो यही था कि एक तो शारदा घोटाला मामले से वो बचना चाहते थे दूसरा उनको अपने बेटे को भी बलात्कार के आरोप से बचाना था ।
मिथुन चक्रवर्ती अकेले ही भाजपा में शामिल नहीं हुए उनके साथ ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अध्यक्ष की उपस्थिति में पर्णो मित्रा सहित बंगाल के एक दर्जन से अधिक कलाकारों ने पार्टी की सदस्यता ली थी .इस कार्यक्रम के दौरान भाजपा में शामिल होने वाले बंगाली कलाकारों में ऋषि कौशिक, कंचना मोइत्रा, रूपांजना मित्रा, रूपा भट्टाचार्जी और मोमिता चटर्जी के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं .. पश्चिम बंगाल के फ़िल्मी कलाकारों की इस टीम के साथ ही भाजपा में फ़िल्मी कलाकारों की काफी लम्बी भीड़ पहले से ही है। भाजपा के फ़िल्मी सितारों में सनी देओल के रूप में एक नया नाम 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान तब जुदा था जब पार्टी ने उनको पंजाब से लोकसभा का उम्मीदवार बनाया था और वो चुनाव जीत कर सांसद बने सनी देओल के साथ ही उनकी दत्तक माँ और पूर्व फिल्म अभिनेत्री भी भाजपा के टिकट पर जीत कर मथुरा से लोकसभा की सदस्य बनी हैं। सनी देओल के पिता अतीत में राजस्थान की बीकानेर सीट से भाजपा के सांसद रह चुके हैं। हेमा मालिनी का एक सफल फिल्मी करियर तो रहा ही साथ ही उन्होंने राजनीति के क्षेत्र में खूब नाम कमाया। हेमा मालिनी साल 2004 में भाजपा की सदस्य बनी थी और उन्होंने मथुरा से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता भी था। 2019 में वो फिर माथुर से चुनाव जीती थीं। हेमा मालिनी के अलावा टेलीविज़न सीरियल सास भी कभी बहु में तुलसी का किरदार निभाने वाली स्मृति ईरानी भी कला की दुनिया से भाजपा की राजनीति में आयींऔर वर्तमान में में मोदी सरकार में काबीना मंत्री का किरदार निभा रही हैं। राजनीति में आने के बाद स्मृति ने अभिनय के क्षेत्र से दूरी बना ली है।
भाजपा की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने वाले फिल्म और टेलीविज़न क्षेत्र के असंख्य कलाकारों में वीर-जारा‘, ‘देवदास‘ और ‘रंग दे बसंती‘ जैसी फिल्मों में नजर आ चुकीं चंडीगढ़ की भाजपा सांसद अभिनेत्री किरण खेर आसनसोल से भाजपा के सांसद ,फल्मों के प्रसिद्द गायक और केन्द्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो , गुरुदासपुर के पूर्व सांसद स्वर्गीय विनोद खन्ना का नाम उल्लेखनीय है। विनोद खन्ना ने और मन की मीत फिल्म से अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने बॉलीवुड के साथ-साथ राजनीति जगत में भी अपना दबदबा बनाया था। इसी कड़ी में फिल्मों में अपनी कॉमिक टाइमिंग से लोगों का दिल जीतने वाले परेश रावल का भी नाम लिया जा सकता है गुजरात की अहमदाबाद सीट से लोकसभा की भाजपा सांसद परेश रावल ने राजनीति के मैदान में भी दिलों पर राज किया। इसके अलावा पहले कांग्रेस पार्टी से जुड़े भोजपुरी अभिनेता रवि किशन ने भी कुछ साल पहले ही भाजपा का दामन थाम लिया था। रवि किशन बॉलीवुड के साथ-साथ भोजपुरी सिनेमाजगत का भी एक चर्चित चेहरा माने जाते रहे हैं। रविकिशन की तरह भोजपुरी अभिनेता मनोज तिवारी भी भाजपा के लोकसभा सदस्य हैं। इसी तरह ,बड़े परदे पर ‘सूर्यवंशम‘ फिल्म में हीरा ठाकुर की पत्नी का किरदार निभाने वाली कलाकार सौंदर्या रघु भी भाजपा से जुडी थीं सौंदर्य रघु का बहुत ही कम उम्र में तब निधन हो गया था जब उन्होंने साल 2004 में पार्टी के प्रचार के लिए बेंगलुरू से हेलिकोप्टर से उड़ान भरी थी उनका हेलिकोप्टर अधबीच दुर्घटनाग्रस्त हो गया था उस दुर्घटना में उनका निधन हो गया था यह उनका आखिरी सफर था। संसद के दोनों सदनों के कई भाजपा सदस्य फिल्म और टेलीविज़न की पृष्ठभूमि के हैं और राज्यों की विधान सभाओं और विधान परिषदों के भी भाजपा सदस्य फिल्म और टेलीविज़न की दुनिया से ही राजनीति में आए हैं।