मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के तीन दिन बाद भी एन बीरेन सिंह के उत्तराधिकारी पर कोई सहमति नहीं होने के कारण, राज्य को राष्ट्रपति शासन के तहत रखा गया है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने 21 महीने की जातीय अशांति के बाद 9 फरवरी को इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद भाजपा नए सीएम की तलाश कर रही थी लेकिन बीजेपी अभी तक नए सीएम के नाम पर सहमत नहीं बना पाई है। इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया है।
संविधान के अनुच्छेद 174(1) में कहा गया है कि राज्य विधानसभाओं को उनकी अंतिम बैठक के छह महीने के भीतर बुलाया जाना चाहिए। मणिपुर में पिछला विधानसभा सत्र 12 अगस्त 2024 को आयोजित किया गया था।
हालांकि, रविवार को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्यपाल अजय भल्ला ने बजट सत्र रद्द कर दिया। बजट सत्र सोमवार से शुरू होने वाला था।
सिंह ने अपनी सरकार के अविश्वास प्रस्ताव और महत्वपूर्ण फ्लोर टेस्ट का सामना करने से ठीक एक दिन पहले पद छोड़ दिया, जिससे प्रभावी रूप से राजनीतिक टकराव की स्थिति पैदा हो गई। उनका इस्तीफा मई 2023 में मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के लगभग दो साल बाद और विपक्ष के बढ़ते दबाव के बीच आया, जो लगातार उन्हें हटाने की मांग कर रहा था।
कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया था कि विधानसभा में कांग्रेस के नियोजित अविश्वास प्रस्ताव से पहले मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे का उद्देश्य भाजपा को बचाना था, न कि मणिपुर के लोगों को, क्योंकि लगभग दो महीने से जातीय हिंसा जारी है।
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने जहां इस फैसले को लंबे समय से लंबित बताया, वहीं लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि भाजपा के पास पूर्वोत्तर राज्य में शांति बहाल करने के लिए कोई रोडमैप नहीं है।
कांग्रेस ने राष्ट्रपति शासन पर उठाया सवाल-
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होने पर कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा, “भाजपा लोकतंत्र की हत्या करना चाहती है। जब अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी हो रही थी, तब राष्ट्रपति शासन क्यों लगाया गया?”
वहीं कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “हम 20 महीनों से इसकी मांग कर रहे हैं। फरवरी 2022 को NDA को वहां भारी बहुमत मिला और 15 महीनों के अंदर ही मणिपुर जलने लगा। 300 से अधिक लोग मारे गए 60 हजार लोग विस्थापित हुए। करोड़ों की संपत्ति जलाई गई और अलग-अलग समुदायों में भय पैदा किया गया। अविश्वास प्रस्ताव लाने के कुछ घंटे पहले ही मुख्यमंत्री ने अपना इस्तीफा दे दिया।”
इस बीच ममणिपुर भाजपा अध्यक्ष ए शारदा देवी ने कहा, “एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य विधानसभा को निलंबित कर दिया गया है।”
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा, “वहां के मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दिया था जिसके बाद दूसरा मुख्यमंत्री बनाने की बात हो रही थी। सही है कि वहां राष्ट्रपति शासन लगाकर स्थिति को ठीक किया जाए। जो किया गया है वो अच्छा ही होगा। सरकार के निर्णय का हम स्वागत करते हैं।”
मालूम हो कि 1950 से अब तक 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 134 बार राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है।
मणिपुर के मुख्यमंत्री का इस्तीफा सुप्रीम कोर्ट द्वारा जातीय हिंसा में सिंह की भूमिका का आरोप लगाने वाले लीक ऑडियो क्लिप की प्रामाणिकता पर सीलबंद कवर फोरेंसिक रिपोर्ट मांगने के कुछ दिनों बाद आया है। टेप में कथित तौर पर बातचीत शामिल थी जिसमें सिंह ने कथित तौर पर सुझाव दिया था कि कुकी के साथ हिंसा के दौरान मैतेई समूहों को राज्य सरकार से हथियार और गोला-बारूद लूटने की अनुमति दी गई थी।
राहुल गांधी ने सिंह के इस कदम के कारणों में से एक के रूप में सुप्रीम कोर्ट की जांच का हवाला दिया और कहा, “सीएम बीरेन सिंह का इस्तीफा दिखाता है कि बढ़ते सार्वजनिक दबाव, सुप्रीम कोर्ट की जांच और कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव ने मजबूरन फैसला लिया है।”