देश आज भारत पूरे उत्साह से संविधान की 75वीं वर्षगाँठ मना रहा है। आज का दिन साल 1949 में भारतीय संविधान को अपनाने की याद दिलाता है, जिसने भारत को एक संप्रभु, लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में स्थापित किया। संविधान में निहित न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे के मूल्यों का सम्मान करने के लिए इस दिन को 2015 में आधिकारिक तौर पर ‘संविधान दिवस’ घोषित किया गया था।
डॉ. बीआर अंबेडकर, जिन्हें व्यापक रूप से भारतीय संविधान के “मुख्य वास्तुकार” या “पिता” के रूप में माना जाता है, ने एक बार कहा था, “संविधान केवल एक वकील का दस्तावेज नहीं है; यह जीवन का वाहन है, और इसकी आत्मा हमेशा युग की भावना है।”
संविधान के 75 साल पूरे होने पर पुरानी संसद के सेंट्रल हॉल में मंगलवार को विशेष कार्यक्रम हुआ। इसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला भी मौजूद रहे। आयोजन की थीम हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान रखी गई। आयोजन में पहली बार पीएम नरेंद्र मोदी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी एक साथ एक ही मंच पर बैठे नजर आए। इनके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू, राज्यसभा के डिप्टी स्पीकर हरिवंश भी थे।
इस मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने केंद्रीय कक्ष में आयोजित दोनों सदनों के संयुक्त सेशन को संबोधित किया। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि यह हमारा सबसे पवित्र ग्रंथ है। उन्होंने संविधान सभा के अध्यक्ष डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद और प्रारूप निर्माण समिति के अध्यक्ष बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर को भी याद किया। राष्ट्रपति ने कहा कि यह अवसर संविधान सभा की 15 महिला सदस्यों और नेपथ्य में रहकर काम करने वाले अधिकारियों को याद करने का भी है। संविधान सभा के सलाहकार डीएन राव समेत कई अधिकारियों का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि 26 जनवरी को हम गणतंत्र की 75वीं वर्षगांठ मनाएंगे। ऐसे समारोह हमें भविष्य की योजना बनाने का अवसर प्रदान करते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान की भावना के अनुसार विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का दायित्व है कि जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए काम करे। ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम से नए युग की शुरुआत की गई है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता को पारित करके आधुनिक सोच अपनाने का प्रभावशाली परिचय दिया गया है। पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने समाज के कमजोर तबके के विकास के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं। पक्का घर से खाद्य सुरक्षा और चिकित्सा सुविधाएं मिलने का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे अनेक प्रयास हमारे संवैधानिक आदर्शों को आगे बढ़ाते हैं। उच्चतम न्यायालय के प्रयासों से न्यायपालिका अनेक प्रयास कर रही है। मूलभूत अधिकारों का दायरा समय के साथ बढ़ता गया है। संविधान में प्रत्येक नागरिक के मूल कर्तव्य का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। हमारा संविधान जीवंत और प्रगतिशील दस्तावेज है।
राष्ट्रपति ने संविधान दिवस पर देशवासियों को बधाई दी और यह आह्वान भी किया कि सभी देशवासी संविधान में बताए गए मूल कर्तव्यों का पालन करें और देश को 2047 तक विकसित भारत बनाने में अपना योगदान दें।
राष्ट्रपति की अगुवाई में संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया गया। राष्ट्रपति के साथ ही कार्यक्रम में मंच पर मौजूद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यसभा में नेता सदन जेपी नड्डा, संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और केंद्रीय कक्ष में मोजूद सभी सांसदों ने भी संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया।
संविधान अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया गया। संस्कृत और मैथिली में संविधान की प्रतियां भी जारी की गईं। 2 किताबों ‘भारतीय संविधान का निर्माण: एक झलक’ और ‘भारतीय संविधान का निर्माण और इसकी गौरवशाली यात्रा’ का विमोचन किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान के 75 साल पूरे होने पर स्मारक सिक्के और डाक टिकट जारी किए।
वहीं उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने अपने संबोधन में आर्थिक प्रगति से लेकर वैश्विक मान्यताओं तक, आजादी के बाद की प्रगति यात्रा का जिक्र किया और संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर को भी याद किया। उन्होंने ‘हम भारत के लोग’ से संविधान की शुरुआत से लेकर संविधान की प्रस्तावना का जिक्र किया और कहा कि समय आ गया है कि हम मूलभूत कर्तव्य का पालन करते हुए राष्ट्र प्रथम के सिद्धांत पर चलें और 2047 तक विकसित भारत के निर्माण में योगदान दें। समतामूलक समाज के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं। लोगों की आकांक्षा पूरी करने में अपना योगदान दें।
संविधान दिवस का महत्व-
संविधान दिवस, न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे और राष्ट्रीय एकजुटता को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए संवैधानिक आदर्शों, अधिकारों और प्रतिबद्धताओं के बारे में जागरूकता बढ़ाता है।
भारत की परिवर्तनकारी यात्रा को दर्शाते हुए, और लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए, यह दिन एक संप्रभु, समाजवादी, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य की नींव रखने में संविधान सभा के दृष्टिकोण और प्रयासों का भी सम्मान करता है।
संविधान दिवस सक्रिय नागरिक भागीदारी और जिम्मेदारी को प्रोत्साहित करता है, जो भारत को एक प्रगतिशील, समावेशी और न्यायसंगत समाज के निर्माण की प्रतिबद्धता की याद दिलाता है।