सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच की सैलरी के मामले में आईसीआईसीआई बैंक की सफाई के बाद कांग्रेस एक बार फिर हमलावर हो गई है। अब कांग्रेस ने सवाल किया है कि आईसीआईसीआई समूह में उनके कार्यकाल के समय उन्हें मिलने वाले वेतन से अधिक उनका सेवानिवृत्ति लाभ कैसे था? कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, “पेंशन उस वेतन से अधिक कैसे हो सकता है जो वह आईसीआईसीआई में प्राप्त कर रहीं थीं? आईसीआईसीआई में उनका औसत वार्षिक वेतन 1.30 करोड़ रुपये था। हालाँकि, उनकी औसत पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभ 2.77 करोड़ रुपये थे। यह कैसे संभव है?”
खेड़ा ने यह भी दावा किया कि 2015-16 में बुच द्वारा प्राप्त सेवानिवृत्ति लाभों में रुकावट आई थी, जो 2016-17 में फिर से शुरू हो गई जब वह सेबी में पूर्णकालिक सदस्य के रूप में शामिल हुईं।
खेड़ा ने कहा, “जब माधबी पुरी बुच ICICI से रिटायर हुईं तो..2013-14 में उन्हें 71.90 लाख रुपए की ग्रेच्युटी मिली। 2014-15 में उन्हें 5.36 करोड़ रुपए रिटायरमेंट कम्यूटेड पेंशन मिली। लेकिन अगर 2014-15 में माधबी पुरी बुच और ICICI के बीच सेटलमेंट हो गया था और 2015-16 में उन्हें ICICI से कुछ नहीं मिला तो फिर 2016-17 में पेंशन फिर से क्यों शुरू हो गई?”
कांग्रेस नेता ने कहा, “अब अगर साल 2007-2008 से 2013-14 तक की माधबी पुरी बुच की औसत सैलरी निकाली जाए, जब वो ICICI में थीं, तो वो करीब 1.30 करोड़ रुपए थी। लेकिन माधबी पुरी बुच की पेंशन का औसत 2.77 करोड़ रुपए है। ऐसी कौन सी नौकरी है, जिसमें पेंशन.. सैलरी से ज्यादा है। उम्मीद है कि माधबी पुरी बुच जवाब देंगी कि 2016-17 में तथाकथित पेंशन फिर से क्यों शुरू हो गई थी?”
दरअसल, 2016-17 में माधबी पुरी बुच की 2.77 करोड़ रुपए की पेंशन तब फिर से शुरू हुई, जब वो SEBI में पूर्णकालिक सदस्य बन चुकी थीं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि ICICI कहता है कि हमारे कर्मचारियों और रिटायर्ड कर्मचारियों के पास अपना ESOPs एक्सरसाइज करने की च्वाइस होती है।अमेरिका की एक वेबसाइट पर ICICI ने लिखा है कि अगर ICICI बैंक से खुद इस्तीफा दिया जाए तो, उसके तीन महीने के अंदर ही ESOPs एक्सरसाइज किया जा सकता है। लेकिन माधबी बुच जी इस्तीफा देने के 8 साल बाद भी ESOPs चला रही हैं। आखिर इस तरह का लाभ ICICI के हर एम्पलाई को क्यों नहीं मिलता? ICICI ने माधबी पुरी बुच की ओर से ESOP पर TDS दिया।
उन्होंने कहा, “अब सवाल है कि क्या ऐसी नीति ICICI के तमाम अधिकारी/कर्मचारी के लिए है? लेकिन अगर ICICI ने माधबी पुरी बुच की ओर से ESOP पर TDS दे दिया, तो क्या वो माधबी पुरी बुच की इनकम में न गिना जाए। अगर इनकम में है तो फिर टैक्स दिया जाना चाहिए, तो ICICI ने इस TDS अमाउंट को Taxable Income में क्यों नहीं दिखाया? ये इनकम टैक्स एक्ट का उल्लंघन है।”
इससे पहले सोमवार को कांग्रेस ने माधबी पुरी बुच पर आरोप लगाया था कि वह सेबी की पूर्णकालिक सदस्य रहते हुए आईसीआईसीआई बैंक से नियमित आय प्राप्त कर रही थीं। मार्च 2022 में सेबी चेयरपर्सन की भूमिका संभालने से पहले माधबी बुच 5 अप्रैल, 2017 से 4 अक्टूबर, 2021 तक सेबी की पूर्णकालिक सदस्य थीं। 1989 में आईसीआईसीआई बैंक से अपना करियर शुरू करने वाली बुच ने फरवरी 2009 से मई 2011 तक आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के सीईओ के रूप में कार्य किया।
आईसीआईसीआई बैंक ने उसी दिन एक बयान जारी कर कांग्रेस के आरोपों का खंडन किया। बैंक ने कहा कि बुच को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद उनके सेवानिवृत्ति लाभों के अलावा, बैंक या उसकी समूह कंपनियों द्वारा कोई वेतन नहीं दिया गया था या कोई ईएसओपी (कर्मचारी स्टॉक स्वामित्व योजना) नहीं दी गई थी।
आईसीआईसीआई बैंक ने अपने बयान में कहा कि उसके ईएसओपी नियमों के अनुसार, सेवानिवृत्त कर्मचारियों सहित कर्मचारियों के पास निहित होने की तारीख से 10 साल की अवधि तक किसी भी समय अपने ईएसओपी का उपयोग करने का विकल्प था।