कांग्रेस ने सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच से नए सवाल पूछे और कथित तौर पर सेबी की धारा 54 का उल्लंघन करने के लिए उनसे पद छोड़ने को कहा। एक प्रेस वार्ता में कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि बुच सेबी के पूर्णकालिक सदस्य होने के बावजूद आईसीआईसीआई बैंक से नियमित वेतन ले रहीं थीं। खेड़ा ने कहा, “बुच 5 अप्रैल 2017 से 4 अक्टूबर 2021 तक सेबी की पूर्णकालिक सदस्य थीं। फिर 2 मार्च 2022 को माधबी पुरी बुच सेबी की चेयरपर्सन बनीं। माधबी पुरी बुच SEBI की पूर्णकालिक सदस्य होते हुए रेगुलर इनकम ICICI बैंक से ले रही थीं, जो कि 16.80 करोड़ रुपए था। वे ICICI प्रूडेंशियल, ESOP और ESOP का TDS भी ICICI बैंक से ले रही थीं। इसलिए हम जानना चाहते हैं कि आप SEBI की पूर्णकालिक सदस्य होने के बाद भी अपना वेतन ICICI से क्यों ले रही थीं?”
उन्होंने कहा, “यह सेबी की धारा 54 का सीधा उल्लंघन है। इसलिए, अगर माधबी पुरी बुच को थोड़ी भी शर्म है, तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।”
कांग्रेस नेता ने कहा कि SEBI की चेयरपर्सन को नियुक्त करने वाली कैबिनेट में PM मोदी और अमित शाह शामिल हैं। माधबी बुच मार्केट की रेगुलेटर हैं, SEBI की चेयरपर्सन हैं, तब भी वे ICICI बैंक से वेतन कैसे ले सकती हैं? 2017-2024 के बीच इन्होंने ICICI प्रूडेंशियल से 22,41,000 रुपए क्यों लिए? आखिर वह ICICI को क्या सेवाएं दे रही थीं?
पवन खेड़ा ने प्रेस कांफ्रेंस में प्रधानमंत्री मोदी से ये सवाल पूछे:
1. प्रधानमंत्री जी, आप जब रेगुलेटरी बॉडी के प्रमुखों की नियुक्ति करते हैं, तो उनके लिए क्या उचित मानदंड रखते हैं?
2. क्या प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली ACC के सामने SEBI चेयरपर्सन की नियुक्ति से पहले/बाद में उनके बारे में ये चौंकाने वाले तथ्य आए थे?
3. क्या प्रधानमंत्री को पता था कि माधबी पुरी बुच SEBI के कार्यकाल में लाभ के पद पर होने के बावजूद ICICI से सैलरी ले रही थीं?
4. क्या प्रधानमंत्री को मालूम है कि SEBI की चेयरपर्सन/पूर्णकालिक सदस्य के रूप में ICICI के खिलाफ शिकायतों का निपटारा कर रही थीं और साथ ही ICICI से इनकम ले रहीं थीं?
5. SEBI की चेयरपर्सन/पूर्णकालिक सदस्य को ESOP प्रॉफिट ICICI छोड़ने के बाद भी क्यों मिलता रहा, क्या इस बारे में प्रधानमंत्री जानते थे?
6. प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि SEBI की चेयरपर्सन के बारे में इतने खुलासे होने के बाद भी उन्हें कौन बचा रहा है और क्यों?
उन्होंने ICICI बैंक से भी सवाल पूछे:
1. क्या ICICI ने किसी भी जगह SEBI के मेंबर को वेतन देने की बात सार्वजनिक की?
2. ICICI सेबी की चेयपर्सन को सैलरी देने की आड़ में वह क्या सुविधा ले रहे थे?
3. आखिर ICICI बैंक ने सालाना रिपोर्ट में यह जानकारी क्यों नहीं दी?
4. ICICI बैंक ने ESOP के नियम का उल्लंघन कर इनको लाभ क्यों दिए?
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि मैं SEBI चीफ से मैं पूछना चाहता हूं- क्या ऐसी और भी कंपनियां हैं, जिससे आप और आपके परिवार के सदस्य इस तरह के लाभ उठा रहे हैं?
वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी जी, 10 वर्षों से आपने चंद पूँजीपति मित्रों की मदद करने के लिए भारत की संस्थानों की स्वायत्तता व स्वतंत्रता को कुचलने की भरपूर कोशिश की है। हमने CBI, ED, RBI, CEC – ये सब में देखा, अब हम SEBI में भी यही झेल रहे हैं। जो SEBI की पहली lateral entry वाली चेयरपर्सन को बिना किसी तफ्तीश के आपने नियुक्त किया है, उससे SEBI की साख़ पर बदनुमा धब्बा लग गया है। SEBI मध्यम वर्ग व छोटे निवेशकों की गाढ़ी कमाई सुरक्षित करती है, आपके मित्र प्रेम और शायद जानबूझकर की गई इस नियुक्ति से देश के Market Regulator पर भरोसा कम होगा!”
उन्होंने कहा कि हमारी माँग है कि –
-माननीय सुप्रीम कोर्ट को इन नये ख़ुलासों का अब संज्ञान लेना होगा।
-SEBI चेयरपर्सन को तत्काल बर्ख़ास्त करना चाहिए।
-अडानी महाघोटाले की JPC जाँच होनी चाहिए।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि चूँकि SEBI चेयरपर्सन की नियुक्ति मोदी-शाह के नेतृत्व वाली समिति द्वारा की गई थी, इसलिए वे भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़े इन नए ख़ुलासों से बच नहीं सकते !
दरअसल, पिछले महीने हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा दावा किए जाने के बाद कांग्रेस ने सेबी प्रमुख पर अपना हमला तेज कर दिया है। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि बुच और उनके पति की कथित अडानी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी। बुच और उनके पति ने अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार बताया है और कहा है कि उनका वित्त एक खुली किताब है।
अडानी समूह ने भी हिंडनबर्ग के नवीनतम आरोपों को दुर्भावनापूर्ण और चुनिंदा सार्वजनिक सूचनाओं के साथ छेड़छाड़ करार देते हुए कहा कि उसका सेबी अध्यक्ष या उनके पति के साथ कोई व्यावसायिक संबंध नहीं है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हिंडनबर्ग के आरोपों का समर्थन करने के लिए कांग्रेस पर हमला किया और सबसे पुरानी पार्टी से पूछा कि वह हमेशा उन विदेशी कंपनियों के साथ क्यों खड़ी होती है जो भारत में आर्थिक अराजकता पैदा करना चाहती हैं।
बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि पिछले कुछ सालों से जब भी संसद सत्र शुरू होता है तो एक विदेशी रिपोर्ट जारी हो जाती है। त्रिवेदी ने कहा, “बीबीसी डॉक्यूमेंट्री संसद सत्र से ठीक पहले जारी की गई थी। हिंडनबर्ग रिपोर्ट संसद सत्र से ठीक पहले जनवरी में (अडानी समूह के खिलाफ) आई थी। ये सभी क्रम संसद सत्र के दौरान होते हैं।” उन्होंने कहा, भारत के हर संसद सत्र के दौरान अस्थिरता और अराजकता पैदा करने के लिए विपक्ष के पास विदेशों से कुछ संबंध हैं।