उत्तर प्रदेश से फिर एक बार परीक्षा में धांधली की खबर सामने आ रही है। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के चोलापुर थाना क्षेत्र में गोसाईपुर में स्थित डॉ घनश्याम सिंह डिग्री कॉलेज में यूजीसी नेट परीक्षा का केंद्र बनाया गया था। आरोप है कॉलेज प्रशासन की मिलीभगत से परीक्षा सेंटर पर नकल और कुछ छात्रों के साथ सेटिंग के तहत आज परीक्षा कराये जाने का प्रयास किया गया। पीड़ित छात्रों का ये भी कहना है, घनश्याम के सेंटर पर यूजीसी नेट की परीक्षा में भयंकर अनियमितता धांधली देखने को मिली। दूर-दराज से आये छात्रों और उनके अभिभावकों ने पेपर लीक का आरोप भी लगाया। आरोप ये भी है कि सेंटर पर परीक्षा देने आये छात्रों को परीक्षा देने से रोकने की भी कोशिश की गई कॉलेज प्रशासन के द्वारा लेकिन छात्रों के बीच आक्रोश और बवाल के बाद पूरे मामले से पर्दा उठ सका।
क्या है मामला–
जानकारी के अनुसार गोसाईपुर स्थित घनश्याम सिंह डिग्री कॉलेज में यूजीसी नेट परीक्षा के लिए सेंटर बनाया गया था। बुधवार को परीक्षा देने पहुंचे परीक्षार्थी सौरभ कुमार भारती निवासी बलिया, गौरव सिंह निवासी बीएचयू, अनुराग सिंह, विशाल दुबे निवासी गाजीपुर, हेमंत पांडेय, अन्मेश यादव, सतीश विश्वकर्मा निवासी वाराणसी ने हंगामा किया।
छात्रों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए बताया कि प्रवेश पत्र के आधार पर गेट के अंदर इंट्री दी गई, लेकिन उन्हें जिस कक्ष में परीक्षा के लिए बैठने को कहा गया वहां उनका रजिस्ट्रेशन ही नहीं था। उन्हें परीक्षा देने से रोक दिया गया। और पूछने पर सर्वर रूम में भेज दिया गया कुछ छात्रों को अन्य कमरों में वहां जाकर उन्हें पता लगा कि कुछ छात्रों को परीक्षा देने की अनुमति दी गई थी तय समय सीमा में और अन्य छात्रों को उचित व्यवस्था नहीं होने की बात की। छात्रों के माध्यम से पेपर पहले बाहर आया और कुछ छात्र साल्व करने लगे। जिसके बाद पेपर लीक की बात सामने आई।
महाविद्यालय प्रशासन से पूछने पर कोई भी समुचित उत्तर नहीं मिला। छात्रों को टालमटोल कर परीक्षा देने से मना कर दिया गया। परीक्षार्थियों का आरोप है कि उनका केंद्र होने के बावजूद उनका रोल नंबर ही चस्पा नहीं किया गया था। उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ हुआ है। परीक्षार्थियों ने उक्त केंद्र पर आयोजित सभी परीक्षार्थियों की परीक्षा रद्द करने तथा परीक्षा केंद्र के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की। वहीं NTA ने आनन फानन में एक सर्कुलर जारी करके परीक्षा को रद्द करने की बात की।
अब बात ये है कि आखिर किसके दबाव में डॉ घनश्याम सिंह कॉलेज को बचाया जा रहा है, और कौन इस कॉलेज का प्रबंधक है।
नागेश्वर सिंह के द्वारा संचालित ये कॉलेज की छवि शहर में परीक्षा में सेटिंग और पेपर लीक के लिए भी जानी जाती है। कभी CPMT परीक्षा में पैसे लेकर सेटिंग करवाने का भी इतिहास रहा है। नागेश्वर सिंह की पहचान खुद एक शिक्षा माफिया के तौर पर जानी जाती है। एमएलसी के चुनाव में हाथ आजमा चुके नागेश्वर सिंह सेटिंग में माहिर है और कई पुलिस वालों समेत विश्विद्यालय से लेकर राजनीति से जुड़ लोगों का भी उठना बैठना है। सूत्रों का तो ये भी कहना है कि नागेश्वर के कई निवेशक सफेदपोश वाले और योगी सरकार के कुछ मंत्री भी है।जिला प्रशासन के साथ सेटिंग और NTA में दलालों के माध्यम से परीक्षा के सेन्टर तय करवाये जाते है। जिसकी कीमत है- 20-30 परसेंट कमीशन। अब जब कमीशन के खेल के बाद परीक्षा केंद्र बनता है, तो सब मिल बांट कर खाते है। तो सब मिलकर आज की घटना में भी बचाने की कवायद करते नजर आये।
जहाँ पिछले दिनों आजमगढ़ की परीक्षा में धांधली पाये जाने पर जेल भेजे जाने की कारवाई हुई तो आज महज एक पत्र के माध्यम से क्यों खानापूर्ति कर दी गई। ये एक बड़ा सवाल है।।।
बच्चों के भविष्य के साथ ऐसा खिलवाड़ करने वाले लोगों पर मुख्यमंत्री अपनी सख्ती दिखा रहे है तो। उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री ऐसे लोगों पर क्यों नरम है। केंद्र में भी बैठे गुनाहगार क्यों बच रहे है। इसकी जांच होनी चाहिए और कानून के नजरिये से उचित कारवाई।