चुनाव आयोग ने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों की घोषणा कर दी है। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं क्योंकि घाटी में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव होंगे। आखिरी बार जम्मू कश्मीर में 2014 में चुनाव हुए थे। जम्मू और कश्मीर में 18 सितंबर से तीन चरणों में मतदान होगा, जबकि हरियाणा विधानसभा के 90 सदस्यों को चुनने के लिए मतदान 1 अक्टूबर को एक ही चरण में होगा। यह घोषणा केंद्रीय चुनाव के अधिकारियों द्वारा हाल ही में दोनों राज्यों के दौरे के बाद की गई है। जम्मू-कश्मीर और हरियाणा दोनों सीटों पर वोटों की गिनती 4 अक्टूबर को होगी।
हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल इस साल नवंबर में समाप्त हो रहा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने के लिए 30 सितंबर, 2024 की समय सीमा तय की है।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि जम्मू कश्मीर की अवाम तस्वीर बदलना चाहती है। चुनाव के लिए हर किसी में उत्सुकता है। टीम ने जम्मू कश्मीर और हरियाणा का दौरा भी किया था। हम मौसम ठीक होने के इंतजार में थे। अमरनाथ यात्रा खत्म होने का इंतजार था। जम्मू कश्मीर में इस समय 87.09 लाख मतदाता हैं। यहां 20 लाख से ज्यादा युवा हैं। 20 अगस्त को फाइनल वोटर लिस्ट जारी होगी।
जम्मू कश्मीर की जनता पांच साल के लिए अपनी सरकार चुनने को 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को मतदान करेगी। सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव 3 चरणों में कराए जाएंगे। विधानसभा चुनाव के नतीजे 4 अक्टूबर को आएंगे। पहले फेज में 24 सीटों पर, दूसरे फेज में 26 सीटों पर और तीसरे फेज में 40 सीटों पर मतदान होना है।
कुमार ने कहा कि हरियाणा में दो करोड़ से ज्यादा मतदाता हैं। 90 में से 73 सीटें सामान्य हैं। हरियाणा में 27 अगस्त को वोटर लिस्ट जारी होगी। प्रदेश में 20 हजार 269 पोलिंग स्टेशन हैं जिसमें 150 से ज्यादा मॉडल पोलिंग बूथ होंगे।
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चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में चुनाव के ऐलान न कराने को लेकर भी जवाब दिया। मुख्य चुनाव आयुक्त ने प्रेस वार्ता में कहा कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव का ऐलान हुआ है, इसलिए महाराष्ट्र को लेकर अभी चुनाव कराने का फैसला नहीं लिया गया है। इसके अलावा कई त्योहार भी इसी दौरान आने वाले हैं। पितृ पक्ष, नवरात्रि, दशहरा-दीपावली पड़ेंगे, इसलिए अभी इनका ऐलान नहीं हुआ है।
हरियाणा विधानसभा की 90 सीटों के लिए पिछले चुनाव यानि 2019 के विधानसभा चुनाव में एक ही चरण में वोट डाले गए थे। तब हरियाणा विधानसभा की सभी सीटों के लिए 21 अक्टूबर 2019 को वोट डाले गए थे। चुनाव नतीजों का ऐलान 24 अक्टूबर को हुआ था। 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में 68.20 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था।
विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी दल के रूप में उतरी बीजेपी को 36.7 फीसदी वोट मिले थे। बीजेपी 40 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। कांग्रेस को 28.2 फीसदी वोट शेयर के साथ 31, दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) को 14.9 फीसदी वोट शेयर के साथ 10, हरियाणा लोकहित पार्टी को एक फीसदी से भी कम वोट शेयर के साथ एक सीट पर जीत मिली थी। 2019 के चुनाव में सात निर्दलीय भी विजयश्री हासिल कर विधानसभा पहुंचने में सफल रहे थे। 90 सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा में बहुमत का जादुई आंकड़ा 46 सीटों का है। किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था।
चुनाव नतीजों के बाद बीजेपी और जेजेपी ने निर्दलीयों को साथ लेकर मनोहरलाल खट्टर की अगुवाई में सरकार बनाई थी। जेजेपी के दुष्यंत चौटाला डिप्टी सीएम बनाए गए थे। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने मनोहरलाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को सीएम बना दिया था। बीजेपी ने जेजेपी से गठबंधन भी तोड़ लिया था।
हाल के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और जेजेपी अलग-अलग लड़े। हरियाणा में लोकसभा की 10 सीटें हैं। हालिया लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ही दलों को पांच-पांच सीटों पर जीत मिली थी। गौरतलब है कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी सीटें जीतकर सूबे में क्लीन स्वीप किया था।
जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। आखिरी बार यहां 2014 में चुनाव हुए थे। यहां की 87 सीटों में से पीडीपी ने 28, बीजेपी ने 25, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 15 और कांग्रेस ने 12 सीटें जीती थीं। बीजेपी और पीडीपी ने मिलकर सरकार बनाई और मुफ्ती मोहम्मद सईद मुख्यमंत्री बने थे। जनवरी 2016 में मुफ्ती मोहम्मद सईद का निधन हो गया था। करीब चार महीने तक राज्यपाल शासन लागू रहा। बाद में उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री बनीं। लेकिन ये गठबंधन ज्यादा नहीं चला। 19 जून 2018 को बीजेपी ने पीडीपी से गठबंधन तोड़ लिया। राज्य में राज्यपाल शासन लागू हो गया। अभी वहां मनोज सिन्हा उपराज्यपाल हैं।
जम्मू-कश्मीर में अब विधानसभा सीटों की संख्या बढ़कर 90 हो गई है। जम्मू में अब 43 तो कश्मीर में 47 सीटें होंगी. पीओके के लिए 24 सीटें ही रिजर्व हैं। यहां चुनाव नहीं कराए जा सकते। जबकि लद्दाख में विधानसभा ही नहीं है। इस तरह से कुल 114 सीटें हैं, जिनमें से 90 पर चुनाव कराए जाएंगे। जम्मू रीजन में सांबा, कठुआ, राजौरी, किश्तवाड़, डोडा और उधमपुर में एक-एक सीट बढ़ाई गई है। वहीं, कश्मीर रीजन में कुपवाड़ा जिले में एक सीट बढ़ाई गई है।
बीते दिनों चुनाव आयोग ने पिछले साल आर्टिकल-370 को हटाने के फैसले को बरकरार रखते हुए केंद्र सरकार को जम्मू कश्मीर में 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने के आदेश दिया था। जम्मू कश्मीर से पांच अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 हटा दिया गया था।
वहीं 90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर को खत्म हो रहा है। पिछले चुनाव में बीजेपी बहुमत हासिल नहीं कर सकी थी। बाद में बीजेपी ने दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई थी। हालांकि, इसी साल मार्च में बीजेपी और जेजेपी का गठबंधन टूट गया था। फिलहाल हरियाणा में एनडीए के पास 43 और इंडिया ब्लॉक के पास 42 सीटें हैं।
जम्मू और कश्मीर के पिछले विधानसभा चुनाव में मतदान पांच चरणों में हुआ था। 25 नवंबर 2014 को पहले चरण में जम्मू कश्मीर विधानसभा की 87 में से 15 सीटों के लिए वोट डाले गए थे। दूसरे चरण में 2 दिसंबर को 18, तीसरे चरण में 9 दिसंबर को 16 और चौथे चरण में 14 दिसंबर को 18 सीटों पर मतदान हुआ था। पांचवे और अंतिम चरण में 20 दिसंबर को 20 सीटों पर मतदान हुआ था। चुनाव नतीजों का ऐलान 23 दिसंबर 2014 को हुआ था।
जम्मू कश्मीर राज्य पुनर्गठन और परिसीमन के बाद होने जा रहे ये पहले चुनाव 2014 के मुकाबले काफी अलग होंगे। जम्मू कश्मीर में पहले 87 सीटों के लिए चुनाव होते थे। जम्मू में 37, कश्मीर में 46, लद्दाख में चार सीटें थीं। परिसीमन के बाद अब जम्मू में 43, कश्मीर में 47 विधानसभा सीटें हो गई हैं। लद्दाख के अलग होने पर जम्मू रीजन में सांबा, कठुआ, राजौरी किश्तवाड़, डोडा और उधमपुर में एक-एक विधानसभा सीट बढ़ गई हैं। कश्मीर के कुपवाड़ा में भी एक सीट बढ़ी है। लिहाजा इस बार इन 90 विधानसभा सीटों पर तीन चरणों में मतदान होना है।
लोकसभा चुनाव के दौरान जम्मू कश्मीर की जनता ने मतदान को लेकर जबरदस्त उत्साह दिखाया था और रिकॉर्ड मतदान किया था। जम्मू और कश्मीर में आम चुनाव के दौरान 58.46 फीसदी वोटिंग हुई थी जो पिछले 35 वर्षों में सबसे अधिक मतदान का रिकॉर्ड है। केंद्र शासित प्रदेश में लोकसभा की पांच सीटें हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस और भारतीय जनता पार्टी को दो-दो सीटों पर जीत मिली थी जबकि एक सीट से निर्दलीय इंजीनियर राशिद को जीत मिली थी।
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पहले चरण में इन सीटों पर होगा मतदान:
-पंपोर
-त्राल
-पुलवामा
-राजपोरा
-जैनापोरा
-शोपियां
-डी.एच. पोरा
-कुलगाम
-देवसर
-दूरू
-कोकेरनाग (एसटी)
-अनंतनाग पश्चिम
-अनंतनाग
-श्रीगुफवाड़ा
-बिजबेहरा
-शांगस
-अनंतनाग पूर्व
-पहलगाम
-इंदरवाल
-किश्तवाड़
-पैड डेर
-नागसेनी
-भद्रवाह
-डोडा
-डोडा पश्चिम
-रामबन
-बनिहाल
दूसरे चरण में इन सीटों पर होगा मतदान:
-कंगन (एसटी)
-गांदरबल
-हजरतबल
-खानयार
-हब्बाकदल
-लाल चौक
-चन्नपोरा
-जदीबल
-ईदगाह
-सेंट्रल शाल्टेंग
-बडगाम
-बीरवाह
-खानसाहिब
-चरार-ए-शरीफ
-चदूरा
-गुलाबगढ़ (एसटी)
-रियासी
-श्री माता वैष्णो देवी
-कालाकोट
-सुंदरबनी
-नौशेरा
-राजौरी (एसटी)
-बुद्धल (एसटी)
-थन्नामंडी (एसटी)
-सुरनकोट (एसटी)
-पुंछ हवेली
-मेंढर (एसटी)
तीसरे चरण में इन सीटों पर मतदान:
-करनाह
-त्रेहगाम
-कुपवाड़ा
-लोलाब
-हंदवाड़ा
-लंगेट
-सोपोर
-रफियाबाद
-उरी
-बारामूला
-गुलमर्ग
-वागूरा
-क्रीरी
-पट्टन
-सोनावारी
-बांदीपोरा
-गुरेज (एसटी)
-उधमपुर पश्चिम
-उधमपुर पूर्व
-चेनानी
-रामनगर (एससी)
-बनी
-बिलावर
-बसोहली
-जसरोटा
-कठुआ (एससी)
-हीरानगर
-रामगढ़ (एससी)
-सांबा
-विजयपुर
-बिश्नाह (एससी)
-सुचेतगढ़ (एससी)
-आर.एस. पुरा
-जम्मू दक्षिण
-बाहु
-जम्मू पूर्व
-नगरोटा
-जम्मू पश्चिम