दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को विवादास्पद ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा उनकी उम्मीदवारी रद्द करने को चुनौती देने के लिए किसी भी उचित फोरम पर जाने की अनुमति दी। सुनवाई के दौरान, यूपीएससी ने उच्च न्यायालय को बताया कि वह दो दिनों के भीतर पूजा खेड़कर को उम्मीदवारी स्थायी रूप से रद्द करने के आदेश के बारे में जानकारी देगा। अदालत ने कहा, “आदेश को उनके अंतिम ज्ञात पते पर सूचित किया जाना है। याचिकाकर्ता को उचित फोरम से संपर्क करने की स्वतंत्रता दी गई है।”
जस्टिस ज्योति सिंह की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश दिया।
मामले की सुनवाई के दौरान पूजा खेड़कर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि इस मामले में अजीब बात यह है कि मेरी उम्मीदवारी रद्द करने का आदेश आज तक नहीं मिला। उन्होंने कहा कि मेरे पास सिर्फ प्रेस विज्ञप्ति है।
इंदिरा जयसिंह ने कहा कि प्रेस विज्ञप्ति को रद्द करना होगा। उन्हें मुझे आदेश देना होगा ताकि मैं उचित न्यायाधिकरण से संपर्क कर सकूं। पूजा खेड़कर के वकील ने कहा कि वह विशेष रूप से दो कार्रवाइयों का अनुरोध कर रही है। उम्मीदवारी को रद्द करने का आदेश और रद्द करने से संबंधित प्रेस विज्ञप्ति को रद्द करने की मांग।
वहीं यूपीएससी की ओर से पेश वकील नरेश कौशिक ने कोर्ट को बताया कि प्रेस विज्ञप्ति इसलिए जारी की गई क्योंकि पूजा खेड़कर का पता अज्ञात था।
मालूम हो कि पूजा खेड़कर ने UPSC द्वारा उम्मीदवारी रद्द करने के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। इस याचिका में जिन संस्थाओं की ओर से पूजा खेड़कर को नोटिस जारी किया गया था, उन्हें पूजा खेड़कर ने पार्टी बनाया था।
खेड़कर को यूपीएससी के नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया गया था। इसके बाद उनके चयन को रद्द कर दिया गया था। इतना ही नही पूजा खेड़कर की मां के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। उनकी मां को किसान को धमकाने के मामले में गिरफ्तार किया गया है। इससे पहले पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत को पटियाला हाउस कोर्ट ने खारिज कर दिया था और कोर्ट ने यूपीएससी को जांच का दायरा बढ़ाने के लिए कहा था।
31 जुलाई को, यूपीएससी ने खेडकर की अनंतिम उम्मीदवारी रद्द कर दी थी और उन्हें भविष्य की किसी भी परीक्षा या चयन में शामिल होने से रोक दिया था।
यूपीएससी ने उपलब्ध अभिलेखों की सावधानीपूर्वक जांच करने के बाद निर्णय लिया और उन्हें सीएसई-2022 नियमों के प्रावधानों के उल्लंघन में कार्य करने का दोषी पाया।
यूपीएससी ने कहा, 18 जुलाई को खेडकर को “फर्जी पहचान दिखाकर” परीक्षा नियमों में स्वीकार्य सीमा से अधिक प्रयास का लाभ उठाने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था।
महाराष्ट्र कैडर की 2023 बैच की आईएएस अधिकारी खेडकर पर एक सिविल सेवक के रूप में अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया है, क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर पुणे में सहायक कलेक्टर के रूप में शामिल होने से पहले अपने लिए एक अलग कार्यालय, एक कार और एक घर की मांग की थी। उनकी अनुचित मांगों और अनुशासनहीनता के कारण उन्हें पुणे से वाशिम स्थानांतरित कर दिया गया था।
यह भी आरोप लगाए गए हैं कि खेडकर ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में अपनी स्थिति सुरक्षित करने के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) लाभों के साथ-साथ विकलांगता रियायतों का भी लाभ उठाया।
केंद्र ने उनके आचरण और चयन प्रक्रिया की जांच के लिए एक सदस्यीय समिति का गठन किया है।