दिल्ली उच्च न्यायालय ने ओल्ड राजेंद्र नगर में एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में डूबने से तीन सिविल सेवा अभ्यर्थियों की मौत पर बुधवार को नगर निगम को फटकार लगाई और गुरुवार को एमसीडी आयुक्त को तलब किया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने जांच को एक केंद्रीय एजेंसी को स्थानांतरित करने का संकेत देते हुए अधिकारियों को शुक्रवार तक राजेंद्र नगर इलाके में नालों पर सभी अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया।
अदालत एक एनजीओ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें घटना की उच्च स्तरीय समिति से जांच कराने और अवैध रूप से चल रहे कोचिंग संस्थानों की जांच की मांग की गई थी।
कोचिंग सेंटर हादसे की एसआईटी से जांच कराने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अभी तक उठाये गए कदमों से संबंधित स्टेट्स रिपोर्ट दायर करने के लिए भी कहा है। साथ ही कोर्ट ने MCD कमिश्नर को तलब किया। कोर्ट ने कहा कि जांच से अगर हम संतुष्ट नही हुए तो मामला केंद्रीय जांच एजेंसी को सौंप सकते है। कोर्ट 2 अगस्त को इस मामले में आगे की सुनवाई करेगा।
मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा-आपके आधिकारी दिवालिया हैं। आपके पास वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं। आप दिल्ली का इंफ्रा स्ट्रक्चर कैसे अपग्रेड करेंगे? आप तो फ्रीबी कल्चर चाहते हैं। अदालत ने कहा कि MCD के वरिष्ठ अधिकारियों को अपने AC दफ़्तर से बाहर निकलने की जरूरत है।
वहीं दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि आप हर उस व्यक्ति के खिलाफ करवाई कर रहे हैं जो उधर से गुजरा था।लेकिन एमसीडी अधिकारियों के खिलाफ आप कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि कुछ नगर निगम अधिकारियों के खिलाफ कारवाई की गई है। हाई कोर्ट ने कहा कि कभी-कभी वरिष्ठ अधिकारियों को दौरा करना पड़ता है और स्वीकार करना पड़ता है। लेकिन वे अपने एसी ऑफिस नही छोड़ रहे है।
कोर्ट ने कहा कि यदि आप सोच रहे हैं कि इमारतों के साथ आप प्रकृति जे लड़ सकते हैं, तो आप गलत है, और ये क्या प्लॉनिंग है? एक दिन आप सूखे की शिकायत कर रहे हैं और अगले दिन बाढ़ आ रही है। कोर्ट ने कहा कि इस शहर में 3.3 करोड़ लोगों की आबादी है, जबकि इसकी योजना 6-7 लाख लोगों के लिए बनाई गई थी। बुनियादी ढांचे को अपग्रेड किए बिना आप इतने सारे लोगों को समायोजित करने की योजना कैसे बनाते हैं? हाईकोर्ट ने कहा कि यह गंभीर मामला है। सीबीआई को जांच सौंपी जा सकती है। दिल्ली सरकार ने कहा कि यह मामले का हल नहीं है।
हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस के जांच अधिकारी को तलब किया। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले को ध्यान में रखकर लर्जर पिक्चर पर बात होनी चाहिए।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में कहा कि दिल्ली में लोग आग और पानी से मर रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि हम जंगल में रह रहे हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने यह भी कहा कि राजेंद्र नगर में बेसमेंट में कई लाइब्रेरी चल रही हैं। लेकिन एमसीडी की तरफ को कोई कार्रवाई नही की गई है। पता नहीं कि एमसीडी क्यों शांत है? कड़वा सच यह भी है कि वहां कई मौजूदा आयुक्तों की संपत्ति है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि एक छात्र ने Rau’S Study Circle की कमियों की शिकायत MCD में थी। उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अगर समय पर कार्रवाई हुई होती तो ये घटना नहीं घटी होती। दिल्ली हाईकोर्ट का सवाल-पूछा-आखिर ऐसी घटना क्यों हुई, ये सवाल है। दिल्ली सरकार के वकील ने घटना से पहले की परिस्थितियों के बारे में बताया कि निरीक्षण की फाइलें तुरंत अधिकारियों को भेज दी गईं है।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा राजेंद्र नगर में जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण से भी अधिक है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि साल 2023 में अदलात ने MCD और अन्य स्थानीय अधिकारियों को निर्देश भी जारी किया था लेकिन एक साल बीत गया लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने कहा कि इस साल 26 जून को राव IAS के अवैध संचालन के संबंध में प्रशासन को एक पत्र भेजा गया था। लेकिन उसपर भी कोई कदम नहीं उठाया गया। अगर समय पर कार्रवाई की गई होती तो उन तीन लोगों की जान बचाई जा सकती थी। रिहायशी इलाकों में बेसमेंट में कई लाइब्रेरी चल रही हैं लेकिन पता नहीं क्यों MCD शांत है?
याचिकाकर्ता ने कहा कि इस मामले में एक उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता है कि अखिर किस चीज़ ने अधिकारियों को कार्रवाई करने से रोका?वही 2023 मे पटेल नगर में एक युवक की करंट लगने से मौत होने पर दाखिल याचिका पर अभी तक कोई जवाब नहीं दाखिल किया गया। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि दिल्ली के पटेल नगर, करोल बाग, राजेंद्र नगर में बहुत सी बहुमंजिला इमारतें हैं। एक इमारत में करीब 50-60 छात्र रह रहे हैं। यहां तक कि बेसमेंट में भी छात्रों के PG चल रहे हैं। सरकार ने प्रत्येक क्षेत्र में अवैध निर्माण को रोकने के लिए MCD की ओर से व्यक्ति नियुक्त हैं, लेकिन वे काम नहीं कर रहे हैं। MCD फायर डिपार्टमेंट जानबूझकर कार्रवाई नहीं कर रहा है। जिला स्तर के अधिकारी को जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए।
वहीं दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि इमारतों की प्रकृति के कारण कोचिंग सेंटरों के लिए अनुमतियां दी गई थीं। भंडारण के लिए बेसमेंट का उपयोग किया जा सकता है और निरीक्षण के बाद अग्निशमन सेवा की मंजूरी लेनी होगी। उन्होंने कहा कि अधिकारी निरीक्षण कर रहे हैं। करीब 75 संस्थानों को नोटिस जारी किए गए। 35 बंद कर दिए गए और 25 को सील कर दिया गया। फ़िलहाल हम किसी बात को उचित नहीं ठहरा रहे हैं लेकिन जो स्थिति है वह ये है कि कार्रवाई की जा रही है।
मालूम हो कि बीते शनिवार की रात हुई भारी बारिश के दौरान RAU’S IAS स्टडी सर्कल के बेसमेंट में स्थित लाइब्रेरी में पानी भर जाने से तीन सिविल सेवा अभ्यर्थियों – दो महिलाएं और एक पुरुष छात्र – की मौत हो गई थी। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि न तो संस्थान और न ही इमारत के सामने की सड़क पर जल निकासी की उचित व्यवस्था थी। साथ ही कोचिंग सेंटर के पास बेसमेंट में लाइब्रेरी चलाने की अनुमति भी नहीं थी।