सरकार के प्रति पार्टी कार्यकर्ताओं का असंतोष, अग्निपथ योजना के प्रति गुस्सा, राजपूत समुदाय की नाराजगी कुछ ऐसे कारण हैं जिनका हवाला उत्तर प्रदेश भाजपा प्रमुख भूपेन्द्र चौधरी ने राज्य में पार्टी की लोकसभा चुनाव हार पर एक रिपोर्ट में दिया है। उत्तर प्रदेश की 80 सीटों के 40,000 भाजपा कार्यकर्ताओं के फीडबैक के आधार पर तैयार की गई 15 पन्नों की रिपोर्ट पर दिल्ली में भाजपा आलाकमान ने चर्चा की। रिपोर्ट को लेकर चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ लंबी बैठक भी की।
भाजपा ने यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से सिर्फ 33 सीटें जीतीं। सामूहिक रूप से, विपक्षी इंडिया ब्लॉक ने 43 सीटें जीतीं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के सभी छह क्षेत्रों – पश्चिमी यूपी, ब्रज, कानपुर-बुंदेलखंड, अवध, गोरखपुर और काशी क्षेत्र में भाजपा के वोट शेयर में कम से कम 8 प्रतिशत की कमी आई है।
पार्टी का सबसे खराब प्रदर्शन पश्चिम और काशी क्षेत्र में रहा, जहां उसे 28 में से केवल आठ सीटें मिलीं। ब्रज में उसे 13 में से 8 सीटें मिलीं। गोरखपुर में पार्टी को 13 में से सिर्फ छह सीटें मिलीं, जबकि अवध में 16 में से सिर्फ 7 सीटें मिलीं। कानपुर-बुंदेलखंड में, भाजपा अपनी मौजूदा सीटों को फिर से हासिल करने में विफल रही- 10 में से केवल 4 सीटें ही जीत पाई।
जहां तक बीजेपी के खराब प्रदर्शन की बात है तो रिपोर्ट में निम्नलिखित कारण बताए गए हैं:
-राज्य में अधिकारियों एवं प्रशासन की मनमानी एवं निरंकुशता।
-पार्टी कार्यकर्ताओं में सरकार के प्रति नाराजगी।
-पिछले 6 सालों से लगातार सरकारी नौकरियों में पेपर लीक हो रहे हैं।
-राज्य सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों में संविदा कर्मियों की भर्ती में सामान्य वर्ग के लोगों को प्राथमिकता दिये जाने से विपक्ष के आरक्षण खत्म करने के मुद्दे ने जोर पकड़ लिया है।
-राजपूत समाज की पार्टी से नाराजगी।
-संविधान बदलने पर पार्टी नेताओं ने दिए बयान।
-जल्दी टिकट वितरण के कारण छठे और सातवें चरण के मतदान तक कार्यकर्ताओं का उत्साह कम हो गया।
-पुरानी पेंशन का मुद्दा सरकारी अधिकारियों के बीच गूंजा।
-सेना के जवानों के लिए अग्निपथ भर्ती योजना एक बड़ा मुद्दा बन गया।
-बीजेपी के कोर वोटरों के नाम निचले स्तर के चुनाव अधिकारियों ने वोटर लिस्ट से हटा दिये। लगभग सभी सीटों पर पार्टी के मूल मतदाताओं के 30,000-40,000 नाम हटा दिए गए।
इंटरनल रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि गैर-यादव ओबीसी (कुर्मी, कोरी, मौर्य, शाक्य और लोध जाति) से भाजपा को मिलने वाले वोटों का प्रतिशत कम हो गया है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन के पीछे मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दलित वोट शेयर में कमी थी। रिपोर्ट में बीएसपी के कोर वोट शेयर में 10 फीसदी की कमी बताई गई है। इसमें आगे कहा गया कि पार्टी को 2019 की तुलना में केवल एक तिहाई दलित वोट मिले।