उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एक धार्मिक सभा में भगदड़ मच जाने से 120 से अधिक लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। यह घटना नारायण साकार हरि, जिन्हें साकार विश्व हरि या भोले बाबा के नाम से भी जाना जाता है, द्वारा आयोजित सत्संग के समापन पर घटी। भगदड़ की घटना के बाद से पुलिस भोले बाबा की तलाश कर रही है। पुलिस ‘भोले बाबा’ की तलाश में मैनपुरी जिले के राम कुटीर चैरिटेबल ट्रस्ट में तलाशी अभियान चला रही है।
इस बीच भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 की धारा 105, 110, 126(2), 223 और 238 के तहत ‘मुख्य सेवादार’ कहे जाने वाले देवप्रकाश मधुकर और उस धार्मिक कार्यक्रम के अन्य आयोजकों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है।
बाबा नारायण हरि उर्फ साकार विश्व हरि ‘भोले बाबा’ एक पूर्व पुलिसकर्मी हैं, जो दो दशक पहले धार्मिक उपदेशक बन गए और विशेष रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उनके बहुत ही अधिक अनुयायी हैं।
भोले बाबा कौन हैं?
भोले बाबा एटा जिले की पटियाली तहसील के बहादुर गांव के रहने वाले हैं। वह इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) का पूर्व कर्मचारी होने का दावा करता है।
कथित तौर पर धार्मिक उपदेश देने के लिए उन्होंने 26 साल पहले अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी थी। आज, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली सहित पूरे भारत में उनके लाखों अनुयायी हैं।
भोले बाबा के मुताबिक, पहले वह उत्तर प्रदेश पुलिस में भर्ती हुए थे, लेकिन 18 साल की नौकरी के बाद वीआरएस ले लिया। उन्होंने बताया कि वे अपने गांव में ही झोपड़ी बनाकर रहते हैं और उत्तर प्रदेश के अलावा आसपास के राज्यों में घूम कर लोगों को भगवान की भक्ति का पाठ पढ़ाते हैं। खुद भोले बाबा कहते हैं कि बचपन में वह अपने पिता के साथ खेती बाड़ी का काम करते थे। जवान हुए तो पुलिस में भर्ती हो गए। उनकी पोस्टिंग राज्य के दर्जन भर थानों के अलावा इंटेलिजेंस यूनिट में रही है।
कई आधुनिक धार्मिक हस्तियों के विपरीत, भोले बाबा सोशल मीडिया से दूर रहते हैं और किसी भी मंच पर उनका कोई आधिकारिक अकाउंट नहीं है। उनके अनुयायियों का दावा है कि उनका प्रभाव जमीनी स्तर पर काफी है।
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हर मंगलवार को भोले बाबा के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं। इन सभाओं के दौरान, स्वयंसेवक भक्तों के लिए भोजन और पेय सहित आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करते हैं।
कोविड-19 महामारी के दौरान प्रतिबंधों के बावजूद बड़ी भीड़ खींचने के लिए भोले बाबा ने सबका ध्यान आकर्षित किया था।