राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को संसद की संयुक्त बैठक में अपने संबोधन के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में लगाए गए आपातकाल को संविधान पर “सबसे बड़ा हमला” कहा और इसे देश के इतिहास का “सबसे काला अध्याय” बताया। 18वीं लोकसभा के गठन के बाद संसद में अपने पहले संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि आपातकाल के दौरान देश अराजकता में डूब गया था और साथ ही कहा कि लोकतंत्र को “कलंकित” करने के प्रयासों की सभी को निंदा करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “आपातकाल संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा और काला अध्याय था। आपातकाल के दौरान पूरा देश अराजकता में डूब गया, लेकिन देश ऐसी असंवैधानिक शक्तियों के खिलाफ विजयी रहा।”
उन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा सदस्यों के उत्साह और विपक्ष के विरोध के बीच यह बात कही।
राष्ट्रपति ने कहा, “हमारे लोकतंत्र को कलंकित करने के हर प्रयास की सभी को निंदा करनी चाहिए। विभाजनकारी ताकतें लोकतंत्र को कमजोर करने, देश के भीतर और बाहर समाज में खाई पैदा करने की साजिश कर रही हैं।”
इससे पहले अभिभाषण की शुरुआत राष्ट्रपति ने 18वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों को बधाई देकर की। राष्ट्रपति ने नवनिर्वाचित स्पीकर ओम बिरला को भी बधाई दी और सकुशल चुनाव संपन्न कराने के लिए चुनाव आयोग का भी धन्यवाद किया। उन्होंने जम्मू कश्मीर से चुनाव की आई तस्वीरों को सुखद बताते हुए कहा कि इस बार घाटी में दशकों का रिकॉर्ड टूटा है। हमने जम्मू कश्मीर में हड़ताल का दौर देखा है। कम मतदान को दुश्मन कश्मीर की राय के रूप में वैश्विक मंचों पर उठाते थे।
मुर्मू ने संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित किया, सभी नवनिर्वाचित सांसदों को बधाई दी। उन्होंने देश में सफल चुनाव कराने के लिए निर्वाचन आयोग को बधाई दी और देशवासियों की तरफ से चुनाव आयोग का आभार जताया। राष्ट्रपति ने कहा कि जनता ने लगातार तीसरी बार सरकार पर भरोसा जताया और मेरी सरकार को निरंतरता में विश्वास है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की विकास गति को तेज किया जाएगा. ग्रोथ की निरंतरता हमारी गारंटी है और आने वाले बजट में ऐतिहासिक कदम दिखेंगे। किसानों का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘किसानों को 20 हजार करोड़ ट्रांसफर किए गए. हम किसानों को ज्यादा से ज्यादा आत्मनिर्भर करेंगे।’
द्रौपदी मुर्मू ने कहा,’देश में छह दशक के बाद पूर्ण बहुमत वाली स्थिर सरकार बनी है। लोगों ने इस सरकार पर तीसरी बार भरोसा जताया है। लोग जानते हैं कि सिर्फ यही सरकार उनकी आकांक्षाओं को पूरा कर सकती है। 18वीं लोकसभा कई मायनों में ऐतिहासिक लोकसभा है। इस लोकसभा का गठन अमृतकाल के शुरुआती वर्षों में हुआ था। यह लोकसभा देश के संविधान को अपनाने के 56वें वर्ष की भी साक्षी बनेगी। आगामी सत्रों में यह सरकार अपने कार्यकाल का पहला बजट पेश करने जा रही है। यह बजट सरकार की दूरगामी नीतियों और भविष्य के विजन का प्रभावी दस्तावेज होगा। बड़े आर्थिक और सामाजिक फैसलों के साथ-साथ इस बजट में कई ऐतिहासिक कदम भी देखने को मिलेंगे।’
राष्ट्रपति के अभिभाषण में पेपर लीक का जिक्र भी किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, ‘पेपर लीक की घटनाओं की निष्पक्ष जांच और दोषियों कड़ी सजा दिलाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। पहले भी कई राज्यों में पेपर लीक की घटनाएं हुई हैं। इस मामले पर दलीय राजनीति से ऊपर उठकर देश व्यापी ठोस उपाय करने की जरूरत है।’
मुर्मु ने कहा, ‘सरकार ने पीएम किसान सम्मान निधि के तहत देश के किसानों को 3 लाख 20 हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि प्रदान की है। मेरी सरकार के नए कार्यकाल की शुरुआत से अब तक 20 हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि किसानों को हस्तांतरित की जा चुकी है। सरकार ने खरीफ फसलों के लिए MSP में भी रिकॉर्ड बढ़ोतरी की है। आज का भारत अपनी वर्तमान जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अपनी कृषि व्यवस्था में बदलाव कर रहा है। आजकल दुनिया में जैविक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। भारतीय किसानों के पास इस मांग को पूरा करने की पूरी क्षमता है, इसलिए सरकार प्राकृतिक खेती और इससे जुड़े उत्पादों की सप्लाई चेन को सशक्त कर रही है।’
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी सदन में अपने संबोधन के दौरान आपातकाल का जिक्र किया और इसे संविधान पर सीधे हमले का “काला अध्याय” बताया।
धनखड़ ने कहा, “पूरे देश में आक्रोश था, लेकिन देश असंवैधानिक ताकतों पर विजयी हुआ।”
इससे पहले बुधवार को भी एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि भारत किसी भी हालत में दोबारा आपातकाल नहीं देखेगा।
संविधान के अनुच्छेद 87 के मुताबिक राष्ट्रपति को प्रत्येक लोकसभा चुनाव के बाद सत्र की शुरुआत में संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करना जरूरी है। राष्ट्रपति हर साल संसद के पहले सत्र में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को भी संबोधित करते हैं। राष्ट्रपति के अभिभाषण के माध्यम से सरकार अपने कार्यक्रमों और नीतियों की रूपरेखा प्रस्तुत करती है। इसमें पिछले साल सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर भी प्रकाश डाला जाता है और आगामी वर्ष के लिए प्राथमिकताएं बताई जाती हैं।
प्रधानमंत्री ने गुरुवार को राज्यसभा में अपनी कैबिनेट का परिचय कराया। इसके बाद राज्यसभा शुक्रवार यानी की 27 जून तक के लिए स्थगित हो गई। लोकसभा को भी शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
मालूम हो कि जून 1975 से मार्च 1977 तक लगभग दो वर्षों तक चलने वाला आपातकाल इंदिरा गांधी द्वारा लगाया गया था और संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद द्वारा सहमति व्यक्त की गई थी। आपातकाल की स्थिति इस तर्क पर घोषित की गई थी कि देश के लिए आसन्न आंतरिक और बाहरी ख़तरा था।
आपातकाल पर राष्ट्रपति मुर्मू की टिप्पणी इस मुद्दे पर भाजपा और विपक्ष के बीच वाकयुद्ध की पृष्ठभूमि में आई है। जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रियों ने आपातकाल की भयावहता को याद किया, वहीं कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने हमले का जवाब देते हुए कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए शासन के पिछले 10 वर्षों से “अघोषित आपातकाल” लागू है।
बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, जो लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए इस पद के लिए चुने गए, ने कहा कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचल दिया गया और “अंधेरे काल” के दौरान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंट दिया गया।
उन्होंने इस दौरान अपनी जान गंवाने वाले नागरिकों की याद में दो मिनट का मौन भी रखा, जिसके बाद विपक्ष ने जोरदार विरोध प्रदर्शन और नारेबाजी शुरू कर दी।