सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए और विपक्ष के बीच बातचीत टूटने के बाद लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होगा। हालांकि शुरुआत में दोनों पक्ष आम सहमति पर पहुंच गए थे। एनडीए ने जहां बीजेपी सांसद ओम बिड़ला को अपना उम्मीदवार चुना है, वहीं विपक्ष ने दिग्गज कांग्रेस नेता के सुरेश को मैदान में उतारने का फैसला किया है। अध्यक्ष पद के लिए चुनाव बुधवार सुबह 11 बजे होगा।
भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन के पास सदन में बहुमत है और ओम बिड़ला को अध्यक्ष के रूप में चुने जाने में कोई कठिनाई नहीं होने की संभावना है। चुनाव जीतने के लिए ओम बिड़ला को 542 (वायनाड सीट खाली) में से आधे यानी 271 वोटों की जरूरत होगी। लोकसभा में एनडीए के 293 सदस्य हैं जबकि विपक्ष के पास 233 सदस्य हैं।
शुरुआत में ऐसा लगा कि सरकार और विपक्ष आम सहमति पर पहुंच गए हैं। सूत्रों ने बताया कि हालांकि, उपसभापति का पद विपक्ष को देने पर सरकार के अनिच्छुक होने के बाद बातचीत टूट गई।
सरकार ने लोकसभा अध्यक्ष उम्मीदवार पर आम सहमति बनाने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू को मैदान में उतारा था।
देश में यह तीसरा मौका होगा, जब स्पीकर पोस्ट के लिए चुनाव होगा। इससे पहले 15 मई 1952 को पहली लोकसभा में ही अध्यक्ष पद के लिए जीवी मावलंकर और शंकर शांतराम मोरे के बीच चुनाव हुआ था। मावलंकर के पक्ष में 394 वोट पड़े थे जबकि 55 वोट उनके खिलाफ डाले गए थे। दूसरी बार 5वीं लोकसभा में 5 जनवरी 1976 को आपातकाल के दौरान स्पीकर पद के लिए चुनाव हुआ था। हालांकि, तब यह उपचुनाव था। तब बलिराम भगत के पक्ष में 344 वोट जबकि उनके खिलाफ उतरे जगन्नाथ राव जोशी को 58 वोट मिले थे। इन मौकों को छोड़ दिया जाए तो बाकी दफा सत्ता पक्ष और विपक्ष की सर्वसम्मति से स्पीकर चुना गया। लेकिन यह तीसरा मौका है, जब ये परंपरा टूटती नजर आ रही है।
अब खबर यह है कि स्पीकर पद के लिए के. सुरेश के नाम को लेकर INDIA गठबंधन में एकराय बनती नहीं दिख रही है। टीएमसी का कहना है कि लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए INDIA ब्लॉक के उम्मीदवार को मैदान में उतारने के बारे में टीएमसी से कोई सलाह नहीं ली गई। बयान दिए जाने से पहले INDIA ब्लॉक के साथ कोई परामर्श नहीं किया गया और न ही कोई सामूहिक फैसला लिया गया है।
इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था, ‘विपक्ष के पास राजनाथ सिंह का कॉल आया था। उन्होंने कहा कि स्पीकर पद पर विपक्ष को समर्थन करना चाहिए और एक राय बनानी चाहिए। हमने कहा कि हम स्पीकर का समर्थन करेंगे, लेकिन डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को मिलना चाहिए। राजनाथ सिंह ने कहा था कि मल्लिकार्जुन खड़गे को कॉल बैक करेंगे लेकिन वो कॉल अभी तक नहीं आया। मोदी कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं। अगर डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को मिलेगा, तब ही हम समर्थन करेंगे।’
इस इस बीच शरद पवार ने कहा, ‘सच बताऊं तो मैंने किसी के साथ चर्चा नहीं की है। ऐसी हमेशा की प्रैक्टिस है कि रूलिंग पार्टी के पास स्पीकर की पोस्ट जाती है। विरोधी पार्टी के साथ डिप्टी स्पीकर का पद जाता था लेकिन पिछले 10 साल से और मोदी सरकार राज में उनको ज्यादा सीटें मिलने के बाद उन्होंने विपक्ष को डिप्टी स्पीकर पद नहीं दिया। हमारी INDIA ब्लॉक के साथ बातचीत हुई। उन्हें मैंने यह सुझाव दिया है कि आप सरकार में बैठे लोगों को अध्यक्ष पद चुनाव निर्विरोध कीजिए। स्पीकर का पद निर्विरोध हो, इसमें हमारी सहमति है। यह संदेश सरकार को दीजिए। साथ ही साथ मैंने यह सुझाव दिया की यह भी बताइए डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को मिलना चाहिए।’
बता दें कि लोकसभा में इस बार की तस्वीर 2014 और 2019 के मुकाबले अलग है। एनडीए की अगुवाई कर रही बीजेपी 240 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन दो चुनाव बाद पार्टी पूर्ण बहुमत के लिए जरूरी 272 के जादुई आकंड़े से पीछे रह गई। लोकसभा में एनडीए का संख्याबल 293 है वहीं, विपक्ष की बात करें तो कांग्रेस को 99 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन राहुल गांधी दो सीट से जीते थे, इस लिहाज से सांसदों की संख्या 99 थी। राहुल ने वायनाड सीट छोड़ दी है। ऐसे में पार्टी की सीटें भी अब 98 हो गई हैं। कांग्रेस की अगुवाई वाले इंडिया ब्लॉक के 233 सांसद हैं। सात निर्दलीय समेत 16 अन्य भी चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं।