लोक सभा के 1989 के चुनावों को कवर करने मैंने बिहार के वरिस्ठ पत्रकार और युनाइटेड न्यूज़ ऑफ इंडिया के पटना और नई दिल्ली ब्यूरो में काम कर चुके डी एन झा से बहुत सीखा। उन्होंने मुझसे कहा कि पता लगाकर बताओ कि बिहार में कौन जगह है जहां सभी राजनीतिक पार्टियों के बड़े नेताओं की एक ही दिन चुनावी सभा होने वाली है। मैंने कुछ समय मे पता लगाकर उनको बताया कि कांग्रेस नेता और भारत के प्रधानमंत्री राजीव गांधी ही नहीं हथियार बनाने की स्वीडन की एक कंपनी से बोफोर्स तोपों की खरीद में दलाली का दावा कर उसके खिलाफ चुनावी अभियान चला रहे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार में वित्त मंत्री रहे विश्वनाथ प्रताप सिंह के अलावा हरियाणा के मुख्यमंत्री चौधरी देवी लाल की भी कटिहार में चुनावी जनसभाएं है। उन्होंने कहा फिर मेरे साथ कटिहार चलो……
उन्होंने आनन फानन में सड़क मार्ग से एक प्राइवेट अंबेसडर कार से कटिहार चलने का जो प्रबंध किया उसने मुझको विस्मृत कर दिया। कटिहार में ठहरने , खाने-पीने का प्रबंध सीताराम चमड़िया के होटल में , कार का प्रबंध तारकेश्वरी सिन्हा की तरफ से , उसके ड्राइवर का प्रबंध बिहार के मुख्यमंत्री रहे जगन्नाथ मिश्र के लोगों की ओर से और कार में पेट्रोल भराने का प्रबंध गोप ट्रांसपोर्ट के मालिक रामलखन सिंह यादव की तरफ से था। उन्होंने किसी से कह कर उस कार की डिकी में शराब की कई क्वार्टर , हाफ और फुल बोटलें और सोडा रखवा दी थी। उन्होंने पटना में जादू घर के पास के यूएनआई ऑफिस से कटिहार जाने के रास्ते में पटना सिटी में अपने एक वेटेनरी डॉक्टर मित्र को पीछे की सीट पर साथ बिठा लिया। मैं आगे की सीट पर ड्राइवर के बगल में बैठ अपनी कानों में ईयर-फोन लगा कर नेशनल ब्रांड के छोटे से थ्री-इन-वन में एचएमवी कंपनी के केसेट में बिहार के शायर और फिल्म गीतकार शमशुल हुदा बिहारी के लिखे और फिल्म संगीतकार ओंकार प्रसाद नैयर के संगीत निर्देशन में विभिन्न फिल्मों के लिए आशा भोसले के गाए गीतों को सुनने लगा। यह थ्री-इन-वन नई दिल्ली की जवाहरलाल यूनिवर्सिटी में 1980 में मेरे साथ ही दाखिला ले चुके मेरे अभूतपूर्व मित्र अजय ब्रमहात्मज ने पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना से स्वदेश लौट मुझे भेंट की थी। ड्राइवर कार में लगे स्टीरिओ सिस्टम में अपनी पसंद के गीतों के केसेट को बजा सुनता-सुनाता रहा। उसका केसेट नॉन स्टॉप चल रहा था। पीछे की सीट पर अपने वेटेनरी डॉक्टर मित्र साथ बैठे डी एन झा का मदिरापान नॉन स्टॉप चल रहा था।
पुलिसकर्मियों की सलामी-
मैंने जब देखा गंगा नदी पर मोकामा के पास बने रेल-सह-सड़क पुल की तरफ बढ़ते ही यात्रिओं की सुरक्षा के लिए अपनी ड्यूटी पर सड़क के अगल-बगल तैनात पुलिसकर्मी उस कार को देख सलामी दे रहे है। मुझे लगा कि कार के नंबर प्लेट से उसका स्वामित्व समझ कर उसमें बैठी सभी सवारियों को सलामी दे रहे है। मैंने ड्राइवर से पूछा ये पुलिसकर्मी कैसे समझ गए कि कार में हमलोग बैठे हुए है तो उसके जवाब ने मुझको हतप्रभ कर दिया। उसका जवाब था कि कामदेव नारायण सिंह के चार बॉडी गार्ड थे , तीन मर गए और चौथा इन दिनों ड्राइवरी कर रहा है। मैं पुलिसकर्मियों के सामने उसका रुतबा समझ गया। वह ड्राइवर उस क्षेत्र के कुख्यात तस्कर रहे कामदेव नारायण सिंह का वही चौथा बॉडी गार्ड था।
वी पी सिंह का इंटरव्यू-
डी एन झा ने मुझको कहा था कि लोक सभा के 1989 के चुनावों के बाद वी पी सिंह ही प्रधानमंत्री बनेंगे। इसलिए मैंने होटल मैनेजर से कह कर इसमें वी पी सिंह के रूकने के दौरान हमारे रूम के बगल में ही उनके रूम का प्रबंध करने कह दिया है। तुम उनका मेरे सामने इंटरव्यू करो और जो भी सवाल करना चाहो पूछो। उन्होंने स्वयं वी पी सिंह से सिर्फ एक सवाल पूछा था कि यह चुनाव 1967 वाला होगा या 1977 वाला। इस पर वी पी सिंह ने कहा था कि हर चुनाव अपने समय के हिसाब से होते हैं। इसके बाद वी पी सिंह ने डी एन झा से कोई बात नहीं की क्योंकि उनके मुंह से शराब का भभका रहा था। पर वह मुझसे बात करते रहे। जब मैंने पूछा कि इस बार के लोक सभा चुनावों में किसी भी पार्टी को साफ बहुमत नहीं मिलने की संभावना के कारण यूनियन ऑफ इंडिया की कोई नेशनल गवर्नमेंट बन सकती है तो उनका सीधा जवाब था कि नेशनल गवर्नमेंट नहीं बनेगी और नई सरकार नेशनल फ्रंट की ही बनेगी। बातों बातों में देर रात हो गई।
वी पी सिंह से देर रात तक चली बातचीत-
वी पी सिंह ने यह जान कर कि मैं जेएनयू में चीनी भाषा और साहित्य के एम ए कोर्स की आधी पढ़ाई कर चुका हूं मुझसे बातें करते रहने कहा। उन्होंने कहा कि बातें करते रहने से उनको नींद नहीं आएगी और वह बिना सोये इस होटल से भोर की ट्रेन से किशनगंज की चुनावी जनसभा को संबोधित करने समय पर वहां पहुंच जाएंगे।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी , पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह , पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल , रामलखन सिंह यादव , डी एन झा और सीताराम चमड़िया गुजर गए हैं। तारकेश्वरी सिन्हा भी गुजर गईं हैं। जिनको नई दिल्ली में लोक सभा के 1977 के चुनावों के बाद जनता पार्टी की बनी मोरारजी देसाई सरकार में मंत्री होने के रूप में 9 रफी मार्ग की कोठी आवंटित की गई थी। उसी कोठी से अब अंग्रेजी , हिन्दी और उर्दू की त्रिभाषी न्यूज एजेंसी , युनाइटेड न्यूज़ ऑफ इंडिया का कारोबार चल रहा है।
हम यही कहते और लिखते रहे हैं, कि लोक सभा का 2024 का चुनाव पहले के किसी चुनाव की तरह नहीं बल्कि अभूतपूर्व होगा। लोक सभा के 2024 के चुनावों के बाद यूनियन ऑफ इंडिया की बिहार के मौजूदा और नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस यानि एनडीए की गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड यानि जेडीयू और आंध्र प्रदेश विधान सभा के 2024 चुनावों में जीती तेलुगु देशम पार्टी यानि टीडीपी की फिर बनी सरकार के फिर फिर मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे नारा चंद्रा बाबू नायडू यानि एनसीबीएन से मिली बैसाखियों पर टिकी हुई यूनियन ऑफ इंडिया मौजूदा एनडीए गठबंधन की रंगारंग सरकार भारत के गांवों की धान की फसल की कटाई तक की ही मेहमान हो सकती है।