दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कार्यकर्ता शरजील इमाम को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर उनके द्वारा दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित देशद्रोह के मामले में जमानत दे दी। इमाम को जनवरी 2020 में देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार किया गया था और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) लगाया गया था। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति मनोज जैन की खंडपीठ ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए शरजील को जमानत दे दी कि वह अपने खिलाफ लगाए गए अपराधों के लिए आधी सजा पहले ही काट चुका है।
यह फैसला जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस मनोज जैन की बेंच ने दिया है। शरजील ईमाम की ओर से पेश वकील ने कोर्ट से कहा था कि इस केस में अधिकतम सात साल की सजा का प्रावधान है, जिसमें से 4 साल से अधिक समय से जेल में बंद है। लिहाजा जमानत दी जाए।
शरजील इमाम के वकील ने कहा कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की धारा 13 (गैर कानूनी गतिविधियों के लिए सजा) के तहत अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसे अधिकतम 7 साल की सजा मिलती है। सीआरपीसी की धारा 436-A के अनुसार किसी व्यक्ति को हिरासत से उस स्थिति में रिहा किया जा सकता है अगर उसने अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम सजा की आधी से अधिक अवधि काट ली हो।
सुनवाई के दौरान शरजील ने दलील दी कि वह पहले ही अधिकतम सात साल में से चार साल जेल में बिता चुका है और वैधानिक जमानत का पात्र है।
उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून को स्थगित रखा है और उन पर लगाए गए यूएपीए प्रावधानों में सात साल से अधिक की सजा का प्रावधान नहीं है।
हालाँकि, शरजील को फिलहाल जेल में ही रहना पड़ेगा क्योंकि वह 2020 में पूर्वोत्तर दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के संबंध में बड़ी साजिश के मामले में भी आरोपी है।
फरवरी 2020 में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान दंगे भड़क उठे, जिसमें 50 से अधिक लोग मारे गए।
शरजील पर 16 दिसंबर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और 13 दिसंबर 2019 को दिल्ली के जामिया इलाके में सीएए और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान दिए गए भाषणों को लेकर राजद्रोह के आरोप लगाए गए थे।
इसी आरोप के आधार पर दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने मामला दर्ज किया। शुरुआत में देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया और बाद में यूएपीए की धारा 13 लगाई गई। वह इस मामले में 28 जनवरी 2020 से हिरासत में है। जनवरी 2022 में कड़कड़डूमा कोर्ट ने कथित भड़काऊ भाषण मामले में शरजील इमाम पर देशद्रोह के तहत मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था। एडिशनल सेशन जज अमिताभ रावत ने शरजील इमाम के खिलाफ आईपीसी की धारा 124A (देशद्रोह), 153A, 153B, 505 और UAPA की धारा 13 के तहत आरोप तय करने के आदेश दिए थे। शरजील इमाम को 2020 में बिहार के जहानाबाद से गिरफ्तार किया गया था।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, शरजील ने कथित तौर पर असम और शेष उत्तर पूर्व को देश से काटने की धमकी दी थी।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पीएचडी विद्वान ने इस साल की शुरुआत में दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था जब एक ट्रायल कोर्ट ने उन्हें देशद्रोह मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया था।
ट्रायल कोर्ट ने पाया कि शरजील के भाषणों ने “जनता को संगठित किया”, राष्ट्रीय राजधानी को बाधित किया, और दंगों के फैलने का मुख्य कारण हो सकता है।