दिल्ली पुलिस ने खुलासा किया है कि पूर्वी दिल्ली के विवेक विहार में बेबी केयर न्यू बोर्न अस्पताल, जहां भीषण आग लगने से सात नवजात शिशुओं की मौत हो गई और पांच अन्य घायल हो गए, में पर्याप्त फायर सुरक्षा उपायों का अभाव था और यह अस्पताल समाप्त हो चुके लाइसेंस के साथ चल रहा था। पुलिस उपायुक्त (शाहदरा) सुरेंद्र चौधरी ने कहा, “बेबी केयर न्यू बोर्न अस्पताल में अग्निशमन की कोई व्यवस्था नहीं थी। वहां कोई अग्निशामक यंत्र नहीं लगा था। प्रवेश और निकास की कोई उचित व्यवस्था नहीं थी और कोई आपातकालीन निकास भी नहीं था।”
इसके अतिरिक्त, यह पता चला कि दिल्ली सरकार द्वारा जारी किया गया अस्पताल का लाइसेंस 31 मार्च 2024 को ही समाप्त हो गया था। लाइसेंस एक्सपाइर होने के बावजूद अस्पताल चल रहा था। लाइसेंस केवल 5 बिस्तरों के लिए ही स्वीकृत था, लेकिन घटना के समय अस्पताल में 12 नवजात बच्चे भर्ती थे।
चौधरी ने कहा, “स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस), दिल्ली सरकार द्वारा बेबी केयर न्यू बोर्न चाइल्ड हॉस्पिटल को जारी किया गया लाइसेंस 31 मार्च को ही समाप्त हो चुका है। यहां तक कि उक्त अस्पताल को जारी किया गया लाइसेंस भी केवल पांच बिस्तरों के लिए ही था।”
उन्होनें आगे कहा, ”हमने एफआईआर में आईपीसी की धारा 304 और 308 जोड़ दी है और हमने इसके निदेशक डॉ नवीन किची को गिरफ्तार कर लिया है, जो ड्यूटी पर थे। डॉ. आकाश को भी गिरफ्तार किया गया है। आरोपियों के दिल्ली में ऐसे 3 क्लीनिक हैं।”
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने यह भी कहा कि उक्त अस्पताल के ड्यूटी रोस्टर में बीएएमएस (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी) डॉक्टर शामिल थे जो बच्चों की देखभाल के लिए योग्य नहीं थे।
डीसीपी ने कहा, “जांच के दौरान हमें पता चला कि डॉक्टर नियो-नेटल इंसेंटिव केयर की जरूरत वाले नवजात बच्चों का इलाज करने के लिए योग्य/सक्षम नहीं हैं, क्योंकि वे केवल बीएएमएस डिग्री धारक हैं।”
इस घटना के बारे में डिटेल जानकारी देते हुए दिल्ली पुलिस ने बताया:
-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार द्वारा बेबी केयर नवजात शिशु अस्पताल को जारी लाइसेंस 31/03/2024 को पहले ही समाप्त हो चुका है।
-समाप्त लाइसेंस (उक्त अस्पताल को जारी) के अनुसार केवल 5 बिस्तरों के लिए अनुमति दी गई थी, लेकिन घटना के समय 12 नवजात बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
-डॉक्टर नवजात प्रोत्साहन देखभाल की आवश्यकता वाले नवजात बच्चे का इलाज करने के लिए योग्य नहीं हैं, क्योंकि वे केवल बीएएमएस डिग्री धारक हैं।
-आग लगने की स्थिति में आपातकालीन स्थिति के लिए उक्त अस्पताल में कोई अग्निशामक यंत्र स्थापित नहीं है।
-किसी भी अप्रिय घटना के मामले में अस्पताल में कोई आपातकालीन निकास नहीं है।
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इस बीच, अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने भी कहा कि अस्पताल के पास विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं था।
डीएफएस के एक अधिकारी ने कहा, “इमारत के पास कोई फायर एनओसी नहीं है। हम नओसी से संबंधित दस्तावेजों की भी जांच करेंगे।”
यह खुलासा तब हुआ जब दिल्ली सरकार ने शनिवार को आग लगने की घटना की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए और यह आग आसपास की दो इमारतों में फैल गई। दिल्ली फायर सर्विसेज (डीएफएस) को तीन इमारतों में लगी आग को बुझाने के लिए 16 फायर टेंडर तैनात करने पड़े।
पुलिस ने बेबी केयर न्यू बोर्न हॉस्पिटल के मालिक डॉ नवीन किची और एक डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया है जो भीषण आग के समय अस्पताल की शिफ्ट का नेतृत्व कर रहे थे।
किची पर भारतीय दंड संहिता की धारा 336 (दूसरों की निजी सुरक्षा को खतरे में डालने वाला कार्य) और 304ए (लापरवाही से मौत का कारण बनना) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना को “हृदय विदारक” बताया और प्रत्येक मृतक के परिजनों के लिए 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की। आग में घायल हुए प्रत्येक व्यक्ति को 50,000 रुपये भी दिए जाएंगे।
इस बीच NCPCR के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा, “इसमें साफ तौर पर संबंधित अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है। ऑक्सीजन खतरनाक तरीके से भरी जा रही थी। हमने अपने एक सदस्य को वहां भेजा था। हम दिल्ली सरकार को नोटिस देंगे और केंद्र सरकार को सिफारिशें देंगे कि ऐसी घटनाओं को रोका जाए आयोग ने 2021 से लगातार दिल्ली सरकार को कई सारे नोटिस दिए हैं लेकिन दुर्भाग्य से दिल्ली सरकार ने किसी का भी जवाब नहीं दिया। अगर दिल्ली सरकार ने समय पर उचित कार्रवाई की होती तो इससे बचा जा सकता था”
मालूम हो की विवेक विहार स्थित न्यू बोर्न बेबी केयर हॉस्पिटल में शनिवार रात आग लगने से 7 नवजात शिशुओं की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।
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