दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अपनी अंतरिम जमानत सात दिन बढ़ाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने के लिए अदालत द्वारा उनकी अंतरिम जमानत याचिका मंजूर करने के बाद उन्हें 10 मई को रिहा कर दिया गया था। आम आदमी पार्टी (आप) ने कहा कि केजरीवाल ने मोहलत मांगी है क्योंकि उन्हें मेडिकल परीक्षण कराना है।
केजरीवाल को अपनी अंतरिम जमानत समाप्त होने के एक दिन बाद 2 जून को जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करना होगा।
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केजरीवाल ने अपनी अर्जी में कहा है कि जेल जाने के बाद अब तक 7 किलो उनका वजन घट गया है। इसके अलावे केजरीवाल ने अपनी अर्जी में कहा है कि कीटोन लेबल भी काफी बढ़ा है। अर्जी में यह भी कहा गया है कि मेडिकल जांच करवाना है। उनका जांच मैक्स के डॉक्टरों ने की है और उन्हें गंभीर बीमारी के लक्षण हो सकते है। मुख्यमंत्री केजरीवाल को PET-CT स्कैन के साथ कई अन्य टेस्ट भी करवाने की जरूरत है।
वही गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली अर्जी पर केजरीवाल ने अपना रिटन सबमिशन दाखिल किया है। वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने केजरीवाल की ओर से दाखिल रिटन सबमिशन में सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला दिया गया है, और कहा गया है कि ईडी के पास गिरफ्तारी के उचित आधार नहीं है। सिर्फ संदेह के आधार पर गिरफ्तारी की गई है। पीएमएलए में गिरफ्तारी के मानक तय हैं, जिसका पालन ईडी ने नही किया है। धारा 19 में निर्मित ‘मूल्यांकन और मूल्यांकन’ की सुरक्षा तय है। इस मामले में ईडी का कदम संतुलित नहीं है। धारा 19 के तहत गिरफ्तारी केवल धारणाओं, अनुमानों, अटकलों पर आधारित नहीं हो सकती। ऐसी सामग्री होना जरूरी है, जिसका स्पष्ट आधार हो। संदेह के आधार पर गिरफ्तारी वैध नहीं है।धारा 19 के आधार पर एक ठोस निर्धारण की परिकल्पना की गई है। अपराध के निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए कब्जे में ठोस सामग्री होनी चाहिए। तभी गिरफ्तारी की जा सकती है। अगर गिरफ्तारी के कदम में मानकों का पालन नहीं किया जाता। तब इसे अदालत द्वारा अवैध मानकर रद्द किया जा सकता है।
आप सुप्रीमो को दिल्ली शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था और बाद में तिहाड़ जेल भेज दिया गया था।
10 मई को उनकी अंतरिम जमानत याचिका को मंजूरी देते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री को 2 जून को आत्मसमर्पण करने के लिए कहा और साथ ही कहा, “हमें कोई समानता नहीं निकालनी चाहिए। उन्हें मार्च में गिरफ्तार किया गया था और गिरफ्तारी पहले या बाद में हो सकती थी। अब, 21 दिन बाद कोई फर्क नहीं पड़ेगा। 2 जून को अरविंद केजरीवाल सरेंडर कर देंगे।”
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया था कि केजरीवाल अंतरिम जमानत के दौरान दिये गए अपने बयान में कहा था कि अगर उनकी पार्टी को वोट दिया गया तो 2 जून को उन्हें जेल नहीं जाना पड़ेगा।
इस पर कोर्ट ने कहा था कि हम इसमें नहीं पड़ना चाहते है। हमारा आदेश साफ है कि उन्हें सरेंडर करना होगा। कोर्ट ने यह भी कहा था कि फैसले का आलोचनात्मक विश्लेषण स्वागत योग्य है।सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि अनुच्छेद 19 का उल्लंघन हुआ तो अदालत दखल दे सकता है।
अंतरिम जमानत दिशानिर्देशों के तहत, केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय या यहां तक कि दिल्ली सचिवालय भी नहीं जा सकते।
उनसे मामले के बारे में टिप्पणी न करने या किसी गवाह से बातचीत न करने को भी कहा गया है।
अंतरिम जमानत के बाद से केजरीवाल लगातार अपनी पार्टी के लिए प्रचार कर रहे हैं।
फिरोजपुर में व्यापारियों और उद्योगपतियों के साथ एक टाउनहॉल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने पंजाब के लोगों से समर्थन मांगा और कहा कि उन्हें इस देश में संविधान, लोकतंत्र और आजादी को बचाने की लड़ाई में आगे आने और सबसे आगे रहने की जरूरत है।
अपनी गिरफ़्तारी का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा, “16 मार्च को आम चुनाव की घोषणा हुई और 21 मार्च को उन्होंने मुझे गिरफ़्तार कर लिया। उन्होंने मुझे, मेरी पार्टी के नेताओं संजय सिंह, मनीष सिसौदिया और सत्येन्द्र जैन को गिरफ्तार कर लिया और फिर मोदी दिल्ली में कहते हैं चलो चुनाव लड़ते हैं।”
भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र पर निशाना साधते हुए आप नेता ने कहा कि कई विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया है और “फिर वे कहते हैं, चलो चुनाव लड़ें”।