सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली न्यूज़क्लिक संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की याचिका पर सुनवाई के बाद उन्हें रिहा करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि रिमांड कॉपी उपलब्ध नहीं कराई गई और इससे गिरफ्तारी प्रभावित हुई और इसलिए गिरफ्तारी को ‘शून्य’ माना गया। अदालत ने कहा कि जमानत बांड भरने पर ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि के आधार पर रिहाई की जाएगी।
शीर्ष अदालत ने पुरकायस्थ की गिरफ्तारी और रिमांड को अमान्य कर दिया, जिन्हें पिछले साल दिल्ली पुलिस ने यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में आरोपपत्र दाखिल होने के बाद से उन्हें तुरंत जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।
शीर्ष अदालत ने कहा, ट्रायल कोर्ट जमानत की शर्तें लगाने के पक्ष में है।
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि गिरफ्तारी में सही प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ। कोर्ट ने माना कि गिरफ्तारी का आधार लिखित तौर पर नही बताया गया। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ से सुनाया फैसला। कोर्ट ने गिरफ्तारी के तौर-तरीके पर सवाल उठाते हुए गैरकानूनी गतिविधियां निरोधक अधिनियम 1967 के तहत इस मामले में गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती देने वाली प्रबीर पुरकायस्थ की याचिका पर सभी पक्षो की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
इस मामले में प्रबीर पुरकायस्थ को पिछले साल अक्टूबर में गिरफ्तार किया गया था। मामले की सुनवाई के दौरान पुरकायस्थ के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया था कि जिस वक्त पुरकायस्थ को गिरफ्तार किया गया था उस वक्त लीगल एड के वकील मौजूद थे। पुरकायस्थ के वकील को गिरफ्तारी की कोई सूचना नही दी गई। जब पुरकायस्थ ने इसपर आपत्ति जताई तो जांच अधिकारी ने उनके वकील को टेलीफोन के माध्यम से सूचित कर कहा कि रिमांड आवेदन वकील को व्हाट्सएप पर भेजा गया है।
मालूम हो कि शीर्ष अदालत का आदेश दो सप्ताह बाद तब आया जब उसने दिल्ली पुलिस से पूछा कि उसने ऐसा करने से पहले पुरकायस्थ के वकील को सूचित क्यों नहीं किया? न्यूज़क्लिक संपादक को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने में पुलिस की “जल्दबाजी” के लिए अदालत ने उनकी खिंचाई की।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पूछा, “आपने उनके वकील को पहले से सूचित क्यों नहीं किया? आपने उन्हें पिछले दिन शाम को गिरफ्तार कर लिया। आपके पास उन्हें सूचित करने के लिए पूरा दिन था। सुबह 6 बजे उन्हें पेश करने की इतनी जल्दी क्या थी?”
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने प्रबीर पुरकायस्थ के खिलाफ अपने आरोपपत्र में आतंकवादी कृत्यों, गैरकानूनी गतिविधियों, आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाने और साजिश में शामिल होने के सबूत दिए थे।
न्यूज़क्लिक संपादक पर नेविल रॉय सिंघम और अन्य के साथ मिलकर भारत सरकार के प्रयासों की आलोचना करने के लिए कोविड-19 के प्रसार को रोकने और भारतीय दवा कंपनियों द्वारा निर्मित टीकों के खिलाफ लेख प्रकाशित करने की साजिश रचने का भी आरोप लगाया गया था।
ईडी ने तीन साल पहले जांच में पाया कि मीडिया पोर्टल न्यूज़क्लिक को विदेशों से लगभग 38 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली थी। जांच में पता चला कि अमेरिकी करोड़पति नेविल रॉय सिंघम की ओर से न्यूज़क्लिक को लगातार फंडिंग दी गई। नेविल पर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ संबंध के आरोप लगते रहे हैं। ईडी की जांच में पता चला कि तीन साल में पता चक था कि तीन साल में न्यूज़क्लिक को 38 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली थी।