कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ गुरुवार को कांग्रेस छोड़ने के कुछ ही घंटों बाद भाजपा में शामिल हो गए। बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा भी राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुए। भाजपा में शामिल होने के बाद गौरव वल्लभ ने कहा, “मैंने सुबह एक पत्र सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर डाला। उस पत्र में मैंने अपने दिल की सारी व्यथाएं लिख दीं। मेरा शुरू से यह दृष्टिकोण रहा है कि भगवान श्री राम का मंदिर बने, न्योता मिले और कांग्रेस ने न्योते को अस्वीकार कर दिया। मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकता। गठबंधन के नेताओं ने सनातन पर प्रश्न उठाए, कांग्रेस द्वारा उसका जवाब क्यों नहीं दिया गया? मैं आज भाजपा में शामिल हुआ और मुझे उम्मीद है कि मैं अपनी योग्यता, ज्ञान का प्रयोग भारत को आगे ले जाने में करूंगा।”
इससे पहलेगौरव वल्लभ ने गुरुवार सुबह पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। गौरव ने कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखे पत्र में पार्टी को ‘दिशाहीन’ बताया और खुद के पार्टी ने बाहर निकलने के लिए जाति जनगणना जैसे कारणों का हवाला दिया और कहा कि वह ‘सनातन विरोधी’ नारे नहीं लगा सकते।’
उन्होंने एक पोस्ट में लिखा, “कांग्रेस पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है,उसमें मैं ख़ुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा। मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और ना ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता हूं। इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे रहा हूं।”
https://x.com/GouravVallabh/status/1775717697399189704?s=20
कांग्रेस पार्टी से अपने इस्तीफे पर गौरव वल्लभ ने बाद में मीडिया को दिए बयान में कहा, “मैंने मल्लिकार्जुन खड़गे को एक विस्तृत पत्र लिखा है और अपनी सारी भावनाएं व्यक्त की हैं। मुझे कांग्रेस पार्टी की चुप्पी से दुख हुआ जब गठबंधन के कुछ बड़े नेताओं ने सनातन और राम मंदिर पर पार्टी के रुख का विरोध किया। हमारे देश में, कांग्रेस पार्टी दिन-रात देश के धन सृजनकर्ताओं को गाली देती है। मैं इन बातों को लेकर स्पष्ट था और पार्टी मंच पर भी कई जगह इस मामले को उठाया।”
गौरव वल्लभ कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता थे। उनकी एक टीवी डिबेट के दौरान बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा के साथ नोंकझोंक हो गई थी, उसके बाद वो काफी चर्चा में आ गए थे। वल्लभ ने पात्रा से पूछ लिया था कि एक ट्रिलियन में कितने जीरो होते हैं? इसका जवाब नहीं दे पाने के कारण संबित पात्रा की काफी किरकिरी हुई थी और गौरव वल्लभ चर्चा में आ गए।
गौरव वल्लभ ने अपने दो पेज के पत्र में लिखा-
मल्लिकार्जुन खरगे-
भावुक हूं। मन व्यथित है। काफी कुछ कहना चाहता हूं। लिखना चाहता हूं, बताना चाहता हूं। लेकिन, मेरे संस्कार ऐसा कुछ भी कहने से मना करते हैं जिससे दूसरों को कष्ट पहुंचे। फिर भी मैं आज अपनी बातों को आपके समक्ष रख रहा हूं, क्योंकि मुझे लगता है कि सच को छुपाना भी अपराध है, और मैं अपराध का भागी नहीं बनना चाहता।
महोदय, मैं वित्त का प्रोफेसर हूं। कांग्रेस पार्टी की सदस्यता हासिल करने के बाद पार्टी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया। कई मुद्दों पर पार्टी का पक्ष दमदार तरीके से देश की महान जनता के समक्ष रखा। लेकिन पिछले कुछ दिनों से पार्टी के स्टैंड से असहज महसूस कर रहा हूं।
जब मैंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की तब मेरा मानना था कि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है। जहां पर युवा, बौद्धिक लोगों की, उनके आइडिया की क़द्र होती है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मुझे यह महसूस हुआ कि पार्टी का मौजूदा स्वरूप नए आइडिया वाले युवाओं के साथ खुद को एडजस्ट नहीं कर पाती। पार्टी का ग्राउंड लेवल कनेक्ट पूरी तरह से टूट चुका है, जो नये भारत की आकांक्षा को बिल्कुल भी नहीं समझ पा रही है। जिसके कारण न तो पार्टी सत्ता में आ पा रही और न ही मजबूत विपक्ष की भूमिका ही निभा पा रही हैं। इससे मेरे जैसा कार्यकर्ता हतोत्साहित होता है। बड़े नेताओं और ज़मीनी कार्यकर्ताओं के बीच की दूरी पाटना बेहद कठिन है जो कि राजनैतिक रूप से जरूरी है। जब तक एक कार्यकर्ता अपने नेता को डायरेक्ट सुझाव नहीं दे सकता तब तक किसी भी प्रकार का सकारात्मक परिवर्तन संभव नहीं है।
धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः तस्माधर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत् ॥
अयोध्या में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा में कांग्रेस पार्टी के स्टैंड से मैं क्षुब्ध हूं। मैं जन्म से हिंदू और कर्म से शिक्षक हूं। पार्टी के इस स्टैंड ने मुझे हमेशा असहज किया। परेशान किया। पार्टी व गठबंधन से जुड़े कई लोग सनातन के विरोध में बोलते हैं। और पार्टी का उसपर चुप रहना, उसे मौन स्वीकृति देने जैसा है। इन दिनों पार्टी गलत दिशा में आगे बढ़ रही है। एक ओर हम जाति आधारित जनगणना की बात करते हैं। वहीं दूसरी ओर संपूर्ण हिंदू समाज के विरोधी नजर आ रहे हैं। यह कार्यशैली जनता के बीच पार्टी को एक खास धर्म विशेष के ही हिमायती होने का भ्रामक संदेश दे रही है। यह कांग्रेस के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है।
आर्थिक मामलों पर वर्तमान समय में कांग्रेस का स्टैंड हमेशा देश के वेल्थ क्रिएटर्स को नीचा दिखाने का, उन्हें गाली देने का रहा है। आज हम उन आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण व वैश्वीकरण (एलपीजी) नीतियों के खिलाफ हो गए हैं जिसको देश में लागू कराने का पूरा श्रेय दुनिया ने हमें दिया है, देश में होने वाले हर विनिवेश पर पार्टी का नजरिया हमेशा नकारात्मक रहा. क्या हमारे देश में बिजनेस करके पैसा कमाना गलत है?
महोदय, जब मैंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी, उस वक्त मेरा ध्येय सिर्फ यही था कि आर्थिक मामलों में अपनी योग्यता व क्षमता का देशहित में इस्तेमाल करूंगा। हम सत्ता में भले नहीं हैं, लेकिन अपने मैनीफेस्टो से लेकर अन्य जगहों पर देशहित में पार्टी की आर्थिक नीति-निर्धारण को बेहतर तरीके से प्रस्तुत कर सकते थे। लेकिन, पार्टी स्तर पर यह प्रयास नहीं किया गया, जो मेरे जैसे आर्थिक मामलों के जानकार व्यक्ति के लिए किसी घुटन से कम नहीं है। पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है, उसमें मैं खुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा। मैं न तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और न ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर को गाली दे सकता हूं। इस वजह से मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे रहा हूं।
व्यक्तिगत रूप से मैं आपसे मिले स्नेह के लिए हमेशा आभारी रहूंगा।
-गौरव वल्लभ
गौरव वल्लभ आर्थिक मुद्दों पर एक प्रभावी आवाज थे। उन्होंने 2023 में उदयपुर निर्वाचन क्षेत्र से राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ा। हालांकि, भाजपा उम्मीदवार ने 32,000 से अधिक मतों के अंतर से आरामदायक जीत हासिल की।
गौरव वल्लभ ने 2019 में झारखंड के जमशेदपुर पूर्व से चुनावी मैदान में पदार्पण किया था, जहां उन्होंने 18,000 से अधिक वोट हासिल किए और तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुबर दास और सरयू रॉय के बाद तीसरे स्थान पर रहे।