आम आदमी पार्टी की शैली ओबेरॉय को बुधवार, 26 अप्रैल को सर्वसम्मति से दिल्ली का मेयर चुना गया। भाजपा उम्मीदवार शिखा राय ने अपना नामांकन वापस ले लिया। इसके साथ ओबेरॉय ने दिल्ली नगर निगम के प्रमुख के रूप में दूसरा बार कार्यकाल हासिल कर लिया है। राय ने सदन को बताया कि स्थायी समिति का चुनाव नहीं होने के कारण उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया।
आप के निवर्तमान उप महापौर आले मोहम्मद इकबाल को एक और कार्यकाल मिला, क्योंकि भाजपा उम्मीदवार सोनी पाल भी दौड़ से बाहर हो गए। सत्तारूढ़ आप ने महापौर चुनाव के परिणाम का स्वागत किया है।
शैली ओबेरॉय को फिर से मेयर बनने पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट कर रहा कि ‘इस बार निर्विरोध मेयर और उप मेयर बनने पर शैली और एले को बधाई। दोनों को शुभकामनाएं। लोगों को हमसे काफी उम्मीदें हैं। उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए कड़ी मेहनत करें।’
Congratulations Shelly and Aley on again becoming Mayor and Dy Mayor, this time unopposed. Best wishes to both. People have huge expectations from us. Work hard to meet their expectations
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) April 26, 2023
बीजेपी की ओर से आरोप लगाया गया कि आम आदमी पार्टी संविधान के तहत काम नहीं कर रही है। हमारे सभी प्रयास के बावजूद आम आदमी पार्टी स्थायी समिति और वार्ड समितियों का गठन नहीं होने दे रही है, जिसकी वजह से नगर निगम में कोई काम नहीं हो पा रहा है।
इससे पहले फरवरी में दोनों पदों पर पहली बार चुनाव हुआ था। तब आम आदमी पार्टी की शैली ओबेरॉय ने मेयर और आले मोहम्मद इकबाल ने डिप्टी मेयर के पद पर जीत हासिल की थी। शैली ओबेरॉय ने चुनाव में 150 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। उनके विरोध में बीजेपी ने रेखा गुप्ता को उम्मीदवार बनाया था। उन्हें 116 वोट मिले थे। मेयर के साथ-साथ डिप्टी मेयर के पद पर भी AAP ने जीत हासिल की थी। डिप्टी मेयर के चुनाव में 265 वोट पड़े थे। इसमें 2 वोट अवैध घोषित कर दिए गए थे। आम आदमी पार्टी के आले मोहम्मद इकबाल ने 147 वोट हासिल करके डिप्टी मेयर की सीट जीत ली थी। वहीं बीजेपी के उम्मीदवार कमल बागड़ी को 116 वोट मिले थे।
बता दें कि मतदान एमसीडी के मुख्यालय सिविक सेंटर में हुआ। वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद शहर को नया मेयर मिलता है। राष्ट्रीय राजधानी में महापौर का पद रोटेशन के आधार पर पांच एकल-वर्ष की शर्तों को देखता है, जिसमें पहला वर्ष महिलाओं के लिए आरक्षित होता है, दूसरा खुले वर्ग के लिए, तीसरा आरक्षित वर्ग के लिए और शेष दो फिर से खुले वर्ग के लिए। तीन निगमों को एमसीडी में एकीकृत करने के बाद पिछले साल 4 दिसंबर को निकाय चुनाव हुए थे और एक नए परिसीमन की कवायद की गई थी, जिसमें 2012 में वार्डों की कुल संख्या 272 से घटाकर 250 कर दी गई थी।