दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को 2019 जामिया हिंसा मामले में सभी 11 आरोपियों को आरोप मुक्त करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को आंशिक रूप से पलट दिया। आरोपी शारजील इमाम, आसिफ तनहा, सफूरा जरगर और छह अन्य पर दंगा और गैरकानूनी असेंबली से जुड़े आरोप लगेंगे। उनके खिलाफ कुछ अन्य आरोप हटा दिए गए थे। उच्च न्यायालय का आदेश दिल्ली पुलिस द्वारा निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका के जवाब में आया है।
दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी। सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा कि निचली अदालत ने जांच एजेंसी के खिलाफ टिप्पणियां पारित करके उसके क्षेत्राधिकार का उल्लंघन किया है। निचली अदालत की टिप्पणी को फैसले से हटाया जाना चहिए। यह मामला दिसंबर 2019 में दिल्ली के जामिया नगर इलाके में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) का विरोध कर रहे लोगों और दिल्ली पुलिस के बीच झड़प के बाद भड़की हिंसा से संबंधित है।
जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया है। बीते दिनों कोर्ट ने विस्तृत सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया गया था। पुलिस की याचिका का 11 आरोपियों के वकील ने विरोध किया और कहा कि ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित आदेश में कोई त्रुटि नहीं थी।
पिछली सुनवाई के दौरान शरजील इमाम के वकील ने कहा था कि कोई वीडियो या किसी गवाह का बयान मेरे खिलाफ नहीं है। मेरे खिलाफ चार्जशीट में एक शब्द भी नहीं है। उसके खिलाफ ऐसा कोई बयान नहीं है जो मेरे ऊपर आरोप को साबित करता हो।
जिन 11 लोगों को मामले में आरोपमुक्त किया गया था उनमें इमाम, तनहा, जरगर, मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजार रजा खान, मोहम्मद अबुजर, मोहम्मद शोएब, उमैर अहमद, बिलाल नदीम और चंदा यादव शामिल हैं।
ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी के अपने आदेश में 11 लोगों को मामले से बरी कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि उन्हें पुलिस द्वारा “बलि का बकरा” बनाया गया था।
बता दें कि शरजील इमाम पर 13 दिसंबर 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में भड़काऊ भाषण देकर दंगे भड़काने का आरोप लगाया गया था। वह अभी भी जेल में है क्योंकि वह 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के बड़े षड्यंत्र मामले में आरोपी है।