पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अवैध रूप से जुए का कारोबार बहुत तेजी से चल रहा है। या यूं कहे कि प्रशासन की मिलीभगत के कारण जुए पर लगाम नही लगती हुई दिख रही है। ऐसे में शहर के कई इलाको में चल रहे जुए के कारण एक तरफ जहां समाज के अंदर कुरीतियों से लेकर क्राइम के केसेज में इजाफा हुआ है तो वहीं दूसरी तरफ नई पीढी की लिए ये काफी चिंताजनक है। युवाओं के लिए बड़ी समस्या ये है कि आखिर वे अपने बेहतर भविष्य की तलाश कहां करे और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा? ऐसे में तक्षकपोस्ट के क्राइम रिपोर्टर पांडेय देवेश ने शहर के तीन इलाको में हो रहे अवैध जुए का पर्दाफाश करने के साथ इस कारोबार की असलियत शासन और प्रशासन के सामने खोलकर रख दी हैं….
पहला इलाका है- गांधी चौक, मुकीमगंज-
शहर के आदमपुर जोन के अंतर्गत कज्जाकपुरा से होकर जाने वाले रास्ते पर मुकीमगंज आता है। इस मुकीमगंज चौराहे को गांधी चौक के नाम से भी जाना जाता है। इसी चौराहे पर एक अन्नू यादव की चाय की दुकान है जहां से जुए खेलने के लिए और अड्डे तक पहुचाने के लिए एजेंटों की लाइन लगी रहती है। गांधी चौक से महज 100 मीटर की दूरी पर घनी कालोनी है। उसी कालोनी के अंदर कल्लू यादव जो कि अन्नू यादव का सहयोगी है उसका मकान है। इस मकान के अंदर दोपहर के 12 बजे से लेकर 3 बजे तक पहले राउंड का जुए का खेल खेला जाता है जिस दौरान सैकड़ो की संख्या में लोगो का जमावड़ा लगा रहता है। इसके बाद 5 बजे से लेकर रात के 8 बजे तक दूसरे राउंड का खेल खेला जाता है। और फिर रात के 9 बजे से लेकर रात के 12 बजे तक तीसरे राउंड का खेल खेला जाता है। इस खेल के दौरान चाय की दुकान से लेकर मछोदरी पार्क होते हुए प्रहलाद घाट से लेकर नमो घाट तक इनके दलाल घूमते रहते है जो कि लोगो को गेम में आने के लिए सिग्नल देते है और वहां से उन्हे गेम के अंदर इंट्री कराते है। इसके बाद वे एजेंट खेलने वाले और खेलाने वाले से अपना कमीशन लेते हुए नए एंजेट की तलाश में लग जाते है। इस गेम के जानकारों का कहना है कि इसमें स्थानीय प्रशासन की मिली भगत होती है। ये लोग हफ्ते के हिसाब से पैसे पहुंचाते रहते है, जिसके कारण प्रशासन उन पर कोई भी कारवाई नही करता है और ना ही उन इलाको में कभी सर्च अभियान चलाता है।
दूसरा इलाका है- ढेलवरिया नक्खी घाट-
नक्खी घाट के इस जुए के अड्डे को शहर का सबसे बड़ा जुए का अड्डा कहा जाता है। बताया जाता है कि शहर के अंदर जहां कहीं पर जुए संचालित होते है, अगर किसी को वहां पर खेलने के लिए जगह ना मिले तो वो यहां पर आ जाये उसे हर हाल में यहां पर खेलने के लिए मौका दिया जाता है। इस जुए के अड्डे को दो लोगो के द्वारा संचालित किया जाता है। इसका सबसे बड़ा और पहला मास्टर माइंड राम प्रकाश मौर्य है जो कि ढेलवरिया में ही लस्सी की दुकान चलाता है। दरअसल लस्सी की दुकान तो सिर्फ एक दिखावा है, इसका असल बिजनेस तो जुए का कारोबार है। इसका दूसरा सहयोगी बाड़ू पटेल है जो कि अंदर आये हुए लोगो को मैनेज करता है। स्थानीय लोगो का कहना है कि जब जुए का खेल होता है तो यहां पर गाडियो का मेला लग जाता है। शहर के बड़े बड़े रईस अपनी बड़ी बड़ी गाड़ियों से यहां खेलने आते है।
तीसरा इलाका है- पीलीकोठी-
तीसरा सबसे बड़ा जुए का अड्डा पीलीकोठी पर चलता है। इस अड्डे को तीन लोगो की मदद से चलाया जाता है। पीलीकोठी से 350 मीटर की दूरी पर फन्ने यादव का मकान है और इसी मकान के अंदर रोजना तीन टाइम का जुए का बिजनेस चलता है। इस जुए के अड्डे की खास बात यह है कि यहां पर खेलने के लिए आये हुए लोगो के लिए उनकी डिमांड पर शराब और बीयर की सप्लाई भी की जाती है जो कि जाम लगाते हुए अपनी बोली लगाते है।
स्थानीय लोगों में है डर का माहौल-
इन अवैध जुए के कारोबार के कारण वहां रह रहे स्थानीय लोगो के अंदर हमेशा डर का भय बना रहता है। वे लोग शासन प्रशासन की मदद लेने और मीडिया के सामने बोलने से भी डरते हैं। .उन्हे हमेशा इस बात का डर रहता है है कि ये अपराधी कहीं उनके साथ कुछ उल्टा सीधा ना कर दे। इतना ही नही उन इलाको से लड़कियां स्कूल जाने से कतराती है।
इस बारे मे जब हमारे रिपोर्टर ने अपनी पहचान को छिपाते हुए एक स्थानीय नागरिक से बात की तो वह सहम गया और रोने लगा। उसने बताया कि, ‘साहब प्रशासन से कोई मदद नही मिलेगी। उसके बदले हमारे परिवार को भूखे सोने पड़ेगा। यहां तक इनके द्वारा घर की महिलाओं और बच्चो को परेशान किया जाने लगेगा। जिसके कारण हम लोगो की गृहस्थी खराब हो जायेगी। हम लोग जानबूझकर भी कोई कुछ भी नही कर सकते है’।
प्रशासन क्यो नही लेता है एक्शन? और समाज पर क्या हो रहा है असर ?-
शहर के अंदर इस तरीके से चल रहे अवैध जुए के मकड़जाल के बारे में जब काशी जोन के डीसीपी रामसेवक गौतम से पूछा गया कि आखिरकार प्रशासन कोई एक्शन लेने से क्यो कतराता है?, तो उन्होने बताया कि उन्हे इसके बारे में कोई जानकारी नही थी। अब वे पता करते हुए इसकी जांच कराएंगे और एक्शन लेगे। उन्होंने घटना की सूचना मिलते ही दशाश्वमेध के तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी राजेश पांडेय को तुरंत इस पर कार्य करने की जिम्मेदारी सौंप दी।
इन घटनाओं को जब हम देखते हैं तो हमारे मन में यहीं सवाल उठता है कि आखिर जब तक किसी अपराध और अपराधी का पर्दाफाश नही होता है तब तक प्रशासन यह दलील क्यो देता रहता है कि उसे जानकारी नही थी? दूसरी तरफ इस प्रकार के अपराध से हमारे देश के युवाओं पर इसका क्या असर पड़ेगा? इतना ही नही उन इलाको में रहने वाले सीधे साधे परिवारो की दिनचर्या पर क्या असर होता होगा?
इन सबसे से हटकर जहां पर वाराणसी में पूरे विश्व की निगाहें है और पीएम मोदी द्वारा बार बार देश के साथ- साथ विदेशो में भी काफी काशी मॉडल की बात की जाती है वहां पर इस प्रकार के अपराध अपनी जड़े जमाए हुए है और प्रशासन अपाहिज है।
इतना ही नही प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपराध को लेकर जीरो टालरेंस की नीति को अपनाते हैं, तो क्या वाराणसी के अधिकारी उनकी इस नीति को फॉलो करते है? इसकी साथ एक और सवाल पैदा ये है कि जहां सीएम योगी कहते है कि वह अपराधियों को मिट्टी मिला देंगे तो क्या ऐसे अपराधियों को भी मिट्टी में मिलाने का काम करेंगे, यां ये अपराधी यूं ही धर्म और अध्यात्म के साथ ज्ञान की नगरी काशी को बदनाम करते रहेंगे और अपने आगोश में लेते रहेंगे।
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