प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर शुक्रवार को अपने लोकसभा क्षेत्र वाराणसी का दौरा कर रहे हैं। पीएम मोदी अपने वाराणसी दौरे के दौरान शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल, प्रौद्योगिकी और ग्रामीण विकास से संबंधित 1800 करोड़ रुपये की कुल 29 परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करेंगे। पीएम 24 मार्च, शुक्रवार को सुबह 10 बजे काशी पहुंचेंगे और पांच घंटे शहर में रहेंगे। वहां वह तीन अलग-अलग कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे। अपनी यात्रा के अंत में वह सर्किट हाउस में दोपहर का भोजन करेंगे। नवरात्र के व्रत के मौसम को ध्यान में रखते हुए पीएम का लंच फलों से भरपूर होगा। इसमें सूखे मेवे (पंचमेवा) की खीर, करेला, मखाने का भुना आटा, खिचड़ीफल और नींबू पानी होगा।
मालुम हो कि साल 2014 में इस मोक्ष की नगरी में प्रवेश करते हुए पीएम मोदी ने गंगा नदी को साफ करने का संकल्प लिया था। उन्होंने प्रौद्योगिकी उन्नयन के माध्यम से हथकरघा बुनकरों के कल्याण, भारत की आध्यात्मिक राजधानी के रूप में काशी के विकास, पर्यटन और अन्य विकास परियोजनाओं को बढ़ावा देने का वादा किया था। इसके बाद भी लगातार और अधिक परियोजनाओं की घोषणाएं की गईं। लेकिन यहां ये जानना बहुत जरूरी है कि क्या सब कुछ धरातल पर है या फिर जो वादा किया गया वैसा हुआ?
पीएम के वादों के दम पर उन्हें चुनने वाली इस पवित्र नगरी की जनता अब उनके द्वारा किए गए कार्यों का विश्लेषण कर आगामी लोकसभा चुनाव में मतदान करेगी।
वाराणसी के लोगों का कहना है कि पीएम मोदी के शासन के तहत शहर में “कॉस्मेटिक परिवर्तन” देखा गया है जो इसे सुंदर बनाता है लेकिन जनता के लिए न्यूनतम लाभदायक है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के एक प्रोफेसर ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि, “प्रशासन ने पुराने स्ट्रीट लैंप-पोस्टों को फैंसी वाले से बदल दिया है। वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक को सुशोभित किया गया है। गंगा नदी पर एक क्रूज शुरू किया है। हाई-वोल्टेज बल्बों को एलईडी लाइट्स से बदल दिया है। लेकिन ये सीधे तौर पर निवासियों को लाभ नहीं पहुंचाते हैं।”
प्रोफेसर साहब ने कहा कि, “पीएम जनता के लिए उपलब्ध नहीं हैं। शहर में एक स्थानीय पीएम कार्यालय खोला गया था, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। लोग शिकायतें और ज्ञापन जमा करते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में वे निराश होते हैं क्योंकि कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।” हालांकि, स्थानीय बीजेपी नेतृत्व को लगता है कि मोदी अपनी क्षमता के अनुसार सब कुछ कर रहे हैं।
वाराणसी में मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई कई योजनाएं प्रयोग बनकर रह गईं, जो लोगों या शहर को लाभ पहुंचाने में विफल रहीं हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, पीएम ने गंगा नदी में प्रदूषण को कम करने के लिए बैटरी से चलने वाली ई-नौकाओं का शुभारंभ किया। जापान में विरासत शहर क्योटो की तर्ज पर वाराणसी को विकसित करने के लिए काशी-क्योटो परियोजना शुरू की। बुनकरों के लिए बेहतर प्रदर्शन लाने के लिए एक व्यापार सुविधा केंद्र शुरू किया। और कुछ अन्य योजनाएं भी शुरू कीं। लेकिन, ये योजनाएँ ठीक से नहीं चल सकीं और कागजों पर बनी रहीं, जिससे लोगों को लंबे समय तक कोई लाभ नहीं मिला।
वाराणसी के लोग इस बात से सहमत हैं कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद सड़कों की स्थिति, साफ-सफाई, घाटों (नदी के किनारों) के सौंदर्यीकरण और इस तरह के और भी बदलाव किए गए हैं। लेकिन, उन्हें लगता है कि पीएम की हैसियत के मुताबिक किए गए काम में कमी है, जैसे उद्योग लाना, नौकरियां पैदा करना, संस्थान खोलना, बुनियादी ढांचे का विकास और अन्य।
केंद्र की महत्वाकांक्षी ‘काशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारकरण-सौंदर्यकरण योजना’ (काशी विश्वनाथ मंदिर विस्तार और सौंदर्यीकरण योजना), या काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, भगवान शिव के मंदिर में जाने वाले भक्तों को राहत प्रदान करने वाले क्षेत्र को कम करने के लिए 600 करोड़ रुपये की परियोजना है। इस परियोजना ने उन लोगों को नाराज कर दिया है जो या तो अपनी दुकानें और घर खो चुके हैं या परियोजना के रास्ते में बनाए गए मंदिरों के विध्वंस के खिलाफ खड़े हैं।
एक दुकानदार ने कहा कि, “मैं पीएम मोदी के राष्ट्रीय स्तर पर किए गए कार्यों को देखते हुए उन्हें वोट देना चाहता हूं, लेकिन उन्होंने शहर के प्राचीन स्वरूप को नष्ट करने वाली केवी कॉरिडोर परियोजना शुरू करके वाराणसी के लोगों को धोखा दिया है।”
बता दें कि वाराणसी में पीएम मोदी की लोकप्रियता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। एक बड़ा वर्ग उन्हें निर्वाचित होने के लिए सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति मानता है। जबकि कई लोग स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर उनके प्रदर्शन को वोट देने का एक कारण मानते हैं। लेकिन कमोवेश स्थिति यही है कि पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को जैसा होना चाहिए था वैसा अब तक नहीं हो सका है और ये हाल तब है जब कि पिछले 9 वर्षों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां से सांसद हैं।