राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में 80 आरोपियों की मौत के साथ हिरासत में हुई मौतों में गुजरात देश में पहले स्थान पर है। NHRC के आंकड़ों के अनुसार, गुजरात में 2017-18 के बीच 14, 2018-19 के दौरान 13 और 2019-20 के दौरान 12 मौतें हुईं। 2021-22 के बीच मौतों की संख्या 24 हो गई। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में ये जानकारी दी है।
गृह मंत्रालय (एमएचए) ने राज्यसभा को सूचित किया कि पिछले पांच वर्षों में हिरासत में सबसे अधिक 80 मौतें गुजरात में हुई हैं। इसके बाद महाराष्ट्र (76), उत्तर प्रदेश (41), तमिलनाडु (40) और बिहार (38) हैं।
भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 1 अप्रैल, 2017 और 31 मार्च, 2022 के बीच हिरासत में हुई मौतों का विवरण साझा करते हुए, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा को सूचित किया कि 2017-2018 के दौरान पुलिस हिरासत में मौत के कुल 146 मामले हैं। वहीँ 2018-2019 में 136, 2019-2021 में 112, 2020-2021 में 100 और 2021-2022 में 175 मामले रिपोर्ट किए गए।
गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता हिरेन बैंकर ने कहा, ‘गांधी-सरदार के गुजरात में हिरासत में मौतों की बढ़ती संख्या राज्य के लिए शर्म की बात है। कानून का शासन एक सभ्य समाज को नियंत्रित करता है। हालांकि, बीजेपी सरकार द्वारा कैद का इस्तेमाल करना सत्ता का दुरुपयोग है।”
साथ ही गृह मंत्रालय द्वारा लोकसभा में गुजरात की जेलों में बंद कैदियों को लेकर जो आंकड़े मुहैया कराए गए हैं वे भी डराने वाले हैं।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ने लोकसभा में कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक द्वारा पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए कहा- “गुजरात में 13,999 कैदियों की जेल क्षमता है। यहाँ की जेलों में अभी 16,597 कैदी बंद हैं। अहम बात यह है कि आंकड़े बताते हैं कि गुजरात की जेलों में क्षमता से 2598 अधिक कैदी हैं”।
गृह मंत्रालय ने लोकसभा में पूछे गए एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कहा कि गुजरात में कुल 745 पुलिस स्टेशन हैं, जिनमें से 622 में सीसीटीवी हैं और 123 में नहीं है। लोकसभा में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, केंद्र सरकार ने पिछले दो वर्षों (2020-2021 और 2021-2022) में गुजरात पुलिस के उन्नयन के लिए निर्धारित 25.58 करोड़ रुपये जारी नहीं किए हैं।
कांग्रेस नेता पृथ्वीराज सिंह ने कैदियों की संख्या को लेकर सरकार से सवाल किया है। उन्होंने पूछा- “जबकि गुजरात की जेलें पहले से ही भरी हुई हैं, और एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात में 22,696 अभियुक्त अभी भी फरार हैं, उन्हें कहाँ रखा जाएगा? क्या एक नई जेल का निर्माण किया जाएगा? यह कब पूरा होगा?”
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी का हवाला देते हुए मंत्री ने कहा कि पुलिस हिरासत में मौत की घटनाओं में आयोग ने 201 मामलों में 5,80,74,998 रुपये की आर्थिक राहत और एक मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है।