तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी और बीआरएस नेता के कविता ने संसद में लंबे समय से लंबित महिला आरक्षण विधेयक को जल्द से जल्द पारित कराने की मांग को लेकर शुक्रवार को छह घंटे की भूख हड़ताल शुरू की। उनके साथ AAP, अकाली दल, PDP, TMC, JDU, NCP, CPI, RLD, NC और समाजवादी पार्टी समेत 17 विपक्षी दलों के नेता भी मौजूद रहे। कविता ने कहा, ‘अगर भारत को विकास करना है तो राजनीति में महिलाओं की अहम भूमिका होनी चाहिए, जिसके लिए पिछले 27 साल से लंबित पड़े इस बिल को लाना जरूरी है।’
जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन की शुरुआत सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने की। येचुरी ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, “विधेयक के पारित होने तक हमारी पार्टी इस विरोध में कविता को समर्थन देगी। महिलाओं को राजनीति में समान अवसर देने के लिए इस विधेयक को लाना महत्वपूर्ण है।”
27 years later, Women’s Reservation Bill still continues to be absent from the Parliament.
Together, we will ensure that 33% Women’s Reservation Bill is a reality.
I thank @cpimspeak & @SitaramYechury Ji for joining this movement today. https://t.co/5W4J35SWnE pic.twitter.com/l0KVM9LMo5
— Kavitha Kalvakuntla (@RaoKavitha) March 10, 2023
गुरुवार को कविता ने कहा था कि भूख हड़ताल उनके एनजीओ भारत जागृति द्वारा आयोजित की जा रही है, जिसमें शामिल होने के लिए सभी राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया गया है।
दिल्ली शराब नीति मामले में ईडी की जांच का सामना कर रही कविता ने इससे पहले मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था कि बिल 2010 से ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है और मोदी सरकार के पास 2024 से पहले इसे संसद में पारित कराने का ऐतिहासिक अवसर है। उन्होंने कहा, “लगभग 500-600 सदस्य भूख हड़ताल पर बैठेंगे, लेकिन उपस्थिति बहुत अधिक होगी। 6,000 से अधिक लोगों और 18 राजनीतिक दलों ने अपनी भागीदारी की पुष्टि की है।”
जंतर मंतर पर बीआरएस नेता के धरने के दौरान ये ल और राजनीतिक नेता मौजूद रहे –
• बीआरएस
• आप- संजय सिंह और चित्रा सरवारा
• शिवसेना का प्रतिनिधिमंडल
• अकाली दल – नरेश गुजराल
• पीडीपी- अंजुम जावेद मिर्जा
• नेकां – शमी फिरदौस
• टीएमसी – सुष्मिता देव
• जदयू – केसी त्यागी
• एनसीपी- सीमा मलिक
• भाकपा – नारायण के
• सीपीएम – सीताराम येचुरी
• समाजवादी पार्टी – पूजा शुक्ला
• रालोद – श्याम रजक
• कपिल सिब्बल
• प्रशांत भूषण
बता दें कि महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान वाला महिला आरक्षण बिल सबसे पहले 1996 में पेश किया गया था। 2010 में राज्यसभा ने इसे पारित किया, लेकिन लोकसभा में यह पारित नहीं हो पाया है। अगर यह विधेयक पारित हो जाता है तो सदन में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण होगा। कविता ने कहा था कि, नरेंद्र मोदी ने 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में महिला आरक्षण बिल लाने का वादा किया था। यह बीजेपी के घोषणापत्र का भी हिस्सा था। उन्होंने कहा कि भाजपा के किसी भी नेता ने इस मुद्दे को नहीं उठाया और मोदी सरकार बहुमत होने के बावजूद संसद में इस विधेयक को पारित कराने में विफल रही है।